शहर की हालत को न स्वच्छ भारत अभियान संवार पाया और न ही स्मार्ट सिटी

punjabkesari.in Monday, Oct 02, 2023 - 01:13 PM (IST)

जालंधर : आज से 8-9 साल पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में स्वच्छ भारत मिशन लागू किया था तब उन्होंने साफ सफाई व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान देने के अलावा इस मिशन के लिए अरबों रुपए के फंड की भी व्यवस्था की थी। तब यह तय हुआ था कि शहरी क्षेत्रों को उनकी जनसंख्या के हिसाब से स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रांट दी जाएगी। उस समय जालंधर निगम को भी प्रति व्यक्ति के हिसाब से ग्रांट आई थी जो 20 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की थी।

खास बात यह है कि जालंधर निगम के अधिकारी उस ग्रांट को पूरी तरह खत्म ही नहीं कर पाए और पिछले सालों दौरान करीब 75 लाख रुपए से ज्यादा पैसे वापस सरकार को भेजने पड़े। यह पैसे जालंधर निगम के अधिकारी आसानी से खर्च कर सकते थे और इन पैसों को खर्च करने के बाद सरकार से अतिरिक्त पैसे तक मंगवाए जा सकते थे परंतु ऐसा हुआ नहीं जिस कारण इस घटना को शहर का एक बड़ा नुक्सान माना गया। यही हाल स्मार्ट सिटी मिशन का भी रहा। प्रधानमंत्री मोदी ने करोड़ों-अरबों रूपए राज्य सरकार और निगम को भेजे पर यह पैसा फिजूल के प्रोजेक्टों पर ही खर्च कर दिया गया। ज्यादातर पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया जिसकी अब विजिलेंस जांच चल रही है।

जिस ग्रांट का इस्तेमाल नहीं हो पाया

मशीनरी फंड :

- फंड आए : 4 करोड़ 60 लाख

- खर्च हुए : 4 करोड़ 5 लाख 54 हजार

- वापस किए : 54 लाख 46 हजार

पिट्स एंड शैड फंड :

- फंड आए : 2 करोड 16 लाख 22 हजार

- खर्च हुए : दो करोड़ 15 लाख 71 हजार 480

- वापस भेजे : 50 हजार 520

ट्राई साइकिल :

- फंड आए : 50 लाख

- खर्च किए : 32 लाख 61 हजार 600

- फंड वापस भेजे : 17 लाख 38 हजार 400

ऑर्गेनिक वेस्ट कंपोस्ट :

- फंड आए : 4 लाख 50 हजार

- खर्च किए : निल

- वापस भेजे : 4 लाख 50 हजार

70 लाख की मशीनरी और खरीद सकता था निगम

केंद्र सरकार की ओर से आए फंड को यदि निगम पूरी तरह खर्च करता तो निगम करीब 70 लाख रुपए से ज्यादा की राशि से कूड़ा ढोने वाली मशीनरी और रेहडे़ इत्यादि खरीद सकता था परंतु अधिकारियों की लापरवाही के चलते ऐसा नहीं हो सका। निगम अधिकारियों के पास यदि विजन होता तो इस 70 लाख रुपए से छोटे टिप्पर खरीद कर पूरे शहर को सुविधा प्रदान की जा सकती थी परंतु निगम अधिकारियों ने इस मामले में घोर नालायकी बरती।

जागरूकता पर ही खर्च कर दिए पूरे 53 लाख

स्वच्छ भारत मिशन के तहत जालंधर को आई.ई.सी गतिविधियों के लिए 53 लाख रुपए की ग्रांट मिली थी जिसके तहत लोगों को गीले सूखे कूड़े तथा साफ-सफाई प्रति जागरूक किया जाना था। हैरानी की बात यह है कि निगम ने इस ग्रांट का एक-एक पैसा खर्च कर लिया हालांकि यह ग्रांट नुक्कड़ नाटकों और सेमिनारों में ही खर्च हो गई जिसका शहर को कोई लाभ नहीं हुआ और आज भी शहर के लोग गीले और सूखे कूड़े को अलग अलग नहीं कर रहे। इन 53 लाख को खर्च करने के लिए जालंधर निगम ने जो विशेष टीम रखी हुई थी उसने इन कार्यकाल दौरान खानापूर्ति हेतु कई आयोजन किए और उन आयोजनों पर लाखों रुपए फिजूल ही खर्च कर दिए गए। यदि स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिली इस 53 लाख रुपए की ग्रांट के खर्च की जांच करवाई जाए तो जालंधर निगम में ही एक बड़ा घपला सामने आ सकता है।

सभी तजुर्बे फ्लॉप रहे, कूड़े का कोई समाधान नहीं हुआ

स्वच्छ भारत अभियान और स्मार्ट सिटी फंड से आई करोड़ों रुपए की ग्रांट खर्चने के बावजूद भी जालंधर निगम के अधिकारी आज तक शहर के कूड़े की समस्या को हल नहीं कर पाए और पिछले समय दौरान तो कूड़े के डंप स्थानों को लेकर जन आंदोलन तक शुरू हुए। हालात यह हैं कि कूड़े की प्रोसैसिंग को लेकर शहर में अब तक जितने भी तजुर्बे किए गए वह सभी फ्लाप रहे। कांग्रेस की सरकार दौरान करोड़ों रुपए लगाकर जगह-जगह पिट कंपोस्टिंग यूनिट बनाए गए जहां गीले कूड़े को डालकर उसे खाद में बदला जाना था परंतु वह प्रोजैक्ट भी फ्लॉप होकर रह गया।

नगर निगम के पास न तो गीला कूड़ा अलग से आ रहा है, न इन यूनिटों पर बिजली या सीवर पानी के कनेक्शन लग पाए हैं और न ही निगम के पास वर्क फोर्स का इंतजाम है। कूड़े पर जो केमिकल डाले जाने हैं वह भी निगम के पास नहीं है। ऐसे में अब शहर में करोड़ों की लागत से बने पिट कंपोस्टिंग यूनिट बेकार होकर रह गए हैं। छोटी मशीनें खरीद कर कूड़े को कंपोस्ट में बदले जाने का प्रोजैक्ट भी बनाया गया पर फाइलों में ही दफन हो गया।

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News Editor

Kalash

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