सिविल अस्पताल बना मनचलों व नशेड़ियों का अड्डा

punjabkesari.in Monday, Jun 24, 2019 - 12:56 PM (IST)

फिल्लौर(भाखड़ी): स्थानीय सिविल अस्पताल जो शहर और आसपास के गांवों के लोगों के उपचार के लिए एकमात्र बड़ा अस्पताल है, आज नशेडिय़ों, मनचलों और गुंडे-मवालियों की पनाहगाह बना हुआ है। गर्मियों की छुट्टियों का आनंद मनाने के लिए जहां बच्चे अपने नानके घर या फिर पहाड़ों में जाना पसंद करते हैं, वहीं मवाली कि स्म के लोग गर्मियों की छुट्टियां स्थानीय सिविल अस्पताल में काट जिंदगी का आनंद मान रहे हैं।
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इन नशेड़ी मवालियों ने अस्पताल के दूसरी मंजिल पर बने वार्ड को अपने कब्जे में लिया हुआ है, जहां वे मरीजों के बिस्तर पर लेट कर कोई मोबाइल फोन पर गेम खेल रहा होता है तो कोई नशे का सेवन कर जूतों सहित मरीजों के बिस्तर पर लेटा हुआ होता है  यह लड़के पिछले लम्बे समय से यहां डेरा जमाए हुए हैं। उधर शहरवासी जहां बिजली के लिए हाय-तौबा कर रहे हैं, वहीं अस्पताल में डेरा जमाए बैठे इन मवालियों के लिए बिजली जाते ही तुरंत जैनरेटर चल पड़ता है। लोगों को महंगाई के इस युग में 2 वक्त का खाना जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है, जबकि इनको प्रात: मरीजों को दी जाने वाली चाय बिस्तरों पर लेटे-लेटे ही मिल रही है और दोपहर का भोजन एक धार्मिक संस्था द्वारा भेजे जा रहे लंगर के रूप में प्राप्त हो रहा है। 

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डाक्टर भी परेशान, पुलिस कर्मचारी तैनात करने की मांग 
इस संबंध में जब अस्पताल के डाक्टरों से बात की गई तो उन्होंने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे खुद इन मवालियों से बहुत परेशान है, उन्हें समझ नहीं आ रही कि वे इन्हें यहां से कैसे भगाएं। कई बार उन्होंने उक्त नशेडिय़ों को यहां नशे के टीके लगाते और सफेद पाऊडर का सेवन करते पकड़ा है। वे या तो बहस करने लग पड़ते हैं या फिर हाथ छुड़वा कर भाग जाते हैं। उन्होंने बताया कि सुबह-शाम वे जब भी राउंड पर जाते हैं तो वे इधर-उधर खिसक जाते हैं। उन्होंने कई बार पुलिस से भी मांग की है कि दो वक्त पुलिस कर्मचारी यहां चक्कर काट कर जाएं और उक्त नशेड़ी युवकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। 


अस्पताल के शौचालय में ओवरडोज से दम तोड़ चुके हैं 2 नौजवान
 कुछ समय पहले अस्पताल के शौचालय में नशा करते हुए 2 नौजवान लड़के ओवरडोज से दम तोड़ चुके हैं। उक्त घटना से न तो स्थानीय प्रशासन ने कोई सबक लिया है और न ही अस्पताल के प्रबंधों में कोई सुधार हुआ, बल्कि अस्पताल में अवैध तौर पर रहने वाले इन मनचलों की गिनती दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अगर जल्द प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया तो अस्पताल में इलाज करवाने वाले मरीज नहीं बल्कि इन मनचलों का कब्जा होगा। 


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