घर-घर में चल रहे अवैध गैस फिलिंग स्टेशन, सरकार की हो रही किरकिरी

punjabkesari.in Saturday, Sep 21, 2019 - 11:33 AM (IST)

लुधियाना(खुराना): महानगर के घनी आबादी वाले रिहायशी इलाकों से लेकर झोंपड़पट्टियों तक में फैले घरेलू गैस की कालाबाजारी के गोरखधंधे के मामले में अब आम जनता के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए शब्दी हमले तेज कर दिए हैं। इस मामले में चंडीगढ़ रोड स्थित जीवन नगर, शेरपुर, जमालपुर, टिब्बा रोड, मुंडिया, राहों रोड, बस्ती जोधेवाल व कैलाश नगर आदि के निवासियों ने तो सीधे-सीधे विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों पर गैस माफिया को संरक्षण देने के लिए महीना तक फिक्स करने जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए प्रशासनिक अधिकारियों से भ्रष्ट व रिश्वतखोर कर्मचारियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने की मांग की है। उक्त सारे एपीसोड में हैरान करने वाली अहम बात यह है कि शहर भर के दर्जनों इलाकों में चल रहे अवैध गैस फिङ्क्षलग स्टेशनों व छोटे देसी गैस सिलैंडरों में गैस की पलटी मारने के नाम पर खुलेआम मौत का काला कारोबार फल-फूल रहा है जिस पर न तो कभी पुलिस प्रशासन ने लगाम लगाने की कोशिश की है और न ही खाद्य सप्लाई विभाग के अधिकारियों ने कदम उठाए हैं। जबकि उक्त गैर कानूनी अधिकारी कालाबाजारियों पर कार्रवाई करने की जगह उन्हें मौत का कारोबार चलाने के लिए नए-नए पैंतरे सिखाने में लगे रहते हैं ताकि उनकी (अधिकारियों/कर्मचारियों) जेबें गर्म होती रहें। 

संरक्षण को लेकर महिला पार्षद का नाम की चर्चा में
सूत्रों की मानें तो बस स्टैंड के नजदीक पड़ते एक इलाके में नामचीन गैस माफिया द्वारा पूरे धड़ल्ले में आटो रिक्शा में एल.पी.जी. गैस रिफङ्क्षलग का गैर-कानूनी अड्डा चलाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि जब कभी विभाग की छापामारी टीम द्वारा कालाबाजारी के उक्त अड्डे पर दबिश की जाती है तो सत्ताधारी पक्ष की एक महिला पार्षद का फोन छापामारी टीम के कर्मचारियों को आ जाता है। ऐसे में बिना किसी कार्रवाई के टीम को मजबूरन खाली हाथ वापस लौटना पड़ता है। इस की पुष्टि दबी जुबान में विभागीय कर्मचारियों द्वारा की जा रही है। 

सवाल- कौन मुहैया करवा रहा कालाबाजारियों को सिलैंडर?
अब अगर देखा जाए तो घरेलू गैस सिलैंडर की बुकिंग के बाद भी जहां आम जनता को कई-कई दिनों तक सिलैंडर की डिलीवरी के लिए इंतजार करना पड़ता है वहीं दूसरी ओर गैस माफिया के अवैध अड्डों पर रोजाना करीब 500 से 700 सिलैंडरों की खपत हो रही है। ऐसे में यह गंभीर चिंता का विषय है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में कालाबाजारियों को सिलैडर कौन सी एजैंसियां मुहैया करवा रही हैं और क्यों आज तक विभाग के अधिकारियों द्वारा इस नैटवर्क को तोड़ा नहीं जा सका है।

घरेलू गैस सिलैंडर फटने से हुई मौतों से नहीं लिया सबक
विगत समय में घरेलू गैस सिलैंडर फटने से लुधियाना में करीब डेढ़ दर्जन मौतें हुई हैं लेकिन न तो इस दर्दनाक हादसे से प्रशासन ने सबक लिया और न ही विभागीय कर्मचारियों ने। आज भी दर्जनों इलाकों के लोगों में यह खौफ बना हुआ है कि न जाने कब किसी हादसे में उनके हंसते-खेलते परिवार टूट कर बिखर जाएं क्योंकि इन इलाकों में खुलेआम मौत की मंडियां सजाई जा रही हैं लेकिन बावजूद इसके कोई भी कालाबाजारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इतनी बड़ी तादाद में अवैध गैस सिलैंडर क्या लोकल एजैंसियों के डीलर माफिया को मुहैया करवा रहे हैं या फिर अन्य शहरों से तस्करी किए जा रहे हैं। विभाग के पास इस बात तक का जवाब नहीं है।  विभागीय टीमें अगर कभी छापामारी के लिए सड़कों पर उतरती भी हैं तो केवल रेहड़ी-फड़ी वाले गरीब परिवारों को निशाना बनाते हुए उनके सिलैंडर उठाकर झूठी वाहवाही लूटने की फिराक में रहती हैं जबकि बड़े मगरमच्छों पर तो हाथ तक नहीं डाला जाता है। 

जल्द की जाएगी छापेमारी : कंट्रोलर
इस संबंध में जब खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की कंट्रोलर गीता बिशंभु से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह जल्द ही गैस माफिया के ठिकानों पर छापामारियां करते हुए उन्हें सबक सिखाएंगी। लेकिन जब मैडम को बताया गया कि आपसे इस संबंध में गत 23 अगस्त को भी बात हुई थी तब भी अपने माफिया के खिलाफ सख्त एक्शन लेने संबंधी दावा किया था लेकिन इस पर कोई एक्शन नहीं हुए जबकि विभाग की इस लापरवाही के कारण आम पब्लिक में सरकार की किरकिरी हो रही है।


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