जुर्म को रोकने के लिए तकनीकी रूप से सक्षम कानूनों की जरूरत : जस्टिस अजय मित्तल

punjabkesari.in Sunday, Mar 17, 2019 - 08:43 AM (IST)

लुधियाना (सेठी): सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिए जो तकनीकी रूप से सक्षम हों और जुर्म को रोकने में कारगर साबित हों। फिर चाहे सरकारी नियमों को लागू करवाना हो या अपराधियों पर लगाम लगाना हो। बिना ठोस कानून के कुछ भी संभव नहीं है, ऐसा कहना है माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अजय कुमार मित्तल का। पार्क प्लाजा होटल में आयोजित देशभर के टैक्स वकीलों की एक दिवसीय कांफ्रैंस में जस्टिस मित्तल ने कहा कि टैक्स प्रणाली को समझने से ही वकील अपने मुवक्किल को उचित न्याय दिला सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों व विशेषज्ञों को सुनने से कानूनों में आ रहे नए प्रावधानों को करीब से जानने का मौका मिलता है। ऑल इंडिया फैडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्ज व जिला सेल टैक्स बार एसो. द्वारा आयोजित समारोह में मुख्यातिथियों का स्वागत करते हुए एसो. प्रधान वरिन्द्र शर्मा बॉबी ने टैक्स विशेषज्ञों कपिल गोयल दिल्ली, एस. वैंकटरमन बेंगलूर, सीनियर एडवोकेट कश्मीरी लाल गोयल चंडीगढ़ को मंच पर आमंत्रित किया।

इस दौरान ज्वलंत विषय आयकर, बेनामी सम्पत्ति व नोटबंदी पर चर्चा करते हुए एडवोकेट कपिल गोयल ने कहा कि बेनामी सम्पत्तियां बनाना कानून की निगाह में एक बड़ा अपराध है और केंद्र सरकार की इस पर पैनी नजर है। जी.एस.टी. पर एस. वैंकटरमन ने कहा कि एक देश-एक टैक्स जी.एस.टी. तो लागू हो गया है लेकिन व्यापारियों को अभी तक इसकी पूर्ण कार्यप्रणाली की समझ नहीं आई है। इस अवसर पर एडवोकेट संजीव सूद बांका, हरीश राय ढांडा, सचिन अरोड़ा, साकेत गर्ग, चंद्र सहगल, गौरव शर्मा, नरेश चावला, सुशील जिंदल, लवीन राठौड़, अमित दीक्षित, संदीप गोयल, नवीन रत्न, रणजीत शर्मा, वी.आर. कौशल, बालकिशन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा, रवि जोशी, इंद्रसेन शर्मा, विवेक शर्मा टिक्कू, विशाल शर्मा, हरिओम अरोड़ा, प्रवीण खारा, सुधीर सहगल, एम.एम. भसीन, अनुज बांसल, सुधीर संगल, विजय मागो आदि उपस्थित थे।

जी.एस.टी. रिफंड में सरकार की कथनी और करनी में अंतर
सैमीनार सत्र में जी.एस.टी. का मुद्दा बड़े जोर से छाया रहा और कई टैक्स विशेषज्ञों ने सरकार की रिफंडों में देरी के मामले को आड़े हाथों लिया। एस. वैंकटरमन ने तो यहां तक कह दिया कि जी.एस.टी. रिफंड में सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। उन्होंने जी.एस.टी. के सभी पहलुओं को दरकिनार करते हुए कहा कि रिफंड समय पर न देने से साफ होता है कि सरकार इस कानून को जल्दबाजी में ले आई है। पूरे देश में व्यापारी जी.एस.टी. रिफंड से जूझ रहे हैं।


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