18 हजार करोड़ का मामला, इन्वेस्ट पंजाब और जीएसटी विभाग आमने-सामने
punjabkesari.in Thursday, Feb 06, 2025 - 11:05 PM (IST)
लुधियाना (धीमान) : पंजाब सरकार के सामने 18 हजार करोड रुपए का ऐसा मामला आया है जिसके चलते इन्वेस्ट पंजाब और जीएसटी विभाग आमने-सामने हो गए हैं। इस मामले को लेकर जीएसटी विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर 18 हजार करोड रुपए देना पड़ गया तो पंजाब सरकार कंगाल हो जाएगी। इस मामले को लेकर सरकार के उच्च स्तर पर काफी हलचल मच गई है क्योंकि इसका सीधा संबंध देश की नामी ग्रामी कंपनियों के साथ है जिन्होंने पंजाब में खुलकर निवेश किया हुआ है।
इन्वेस्ट पंजाब का पॉलिसी इंप्लीमेंटेशन विभाग कहता है की पॉलिसी में स्पष्ट है कि जो भी पंजाब में निवेश करेगा उसे वैट के रूप में सब्सिडी दी जाएगी। दूसरी और जीएसटी विभाग जो पहले वैट को डील करता था उसका कहना है कि अगर बड़ी कंपनियों को सब्सिडी के रूप में 18 हजार करोड़ दे दिया तो सरकार का खजाना पूरी तरह से खाली हो जाएगा। पंजाब केसरी के पास ऐसे दस्तावेज आए हैं जिनसे पता चलता है कि उक्त दोनों विभाग एक आयल कंपनी को 18 हजार करोड रुपए देने और ना देने के चक्कर में आमने-सामने हो गए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हाल ही में रिटायर हुए इन्वेस्ट पंजाब के इंप्लीमेंटेशन विभाग के एक उच्च अधिकारी ने जाने से पहले जीएसटी विभाग को कह दिया की पॉलिसी में यह स्पष्ट लिखा गया है कि सरकार वैट के रूप में आयल कंपनी को सब्सिडी देगी। जब जीएसटी विभाग के अधिकारियों ने उनसे पूछा कि यह सब्सिडी किस तरह दी जा सकती है तो उन्होंने कोई इसका स्पष्ट जवाब तो नहीं दिया और ना ही यह बताया कि पॉलिसी में कहां साफ लिखा गया है कि वैट के रूप में सरकार सब्सिडी देगी।
इतना ही नहीं, इस अधिकारी ने रिटायर होने से पहले एक ऐसा और खेल-खेल दिया जिसके चलते सरकार में खूब बवाल मचा हुआ है।देश की सबसे बड़ी दूध और चॉकलेट बनाने वाली कंपनी से पिछली तारीख में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डी.पी.आर ) तैयार करवा कर उन्हें भी अरबो रुपए की सब्सिडी दिलवाने के लिए इन्वेस्ट पंजाब के जरिए अप्लाई करवा कर सरकार के पास फाइल भिजवा दी। छानबीन करने के बाद पता चला कि उक्त कंपनी ने तकरीबन दो साल पहले अपने प्लांट को अपग्रेड कर लिया था।
रिटायर होने वाले अधिकारी ने पिछली तरीकों में इस कंपनी से डीपीआर तैयार करवा कर उसे अरबो रुपए दिलवाने की पेशकश कर दी। इस संबंध में वर्ल्ड एमएसएमई फोरम के प्रधान बदीश जिंदल ने मुख्यमंत्री भगवत सिंह मान को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि इस मामले की तुरंत प्रभाव से उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए। यह तो अभी एक-दो मामले ही सामने आए हैं। ऐसे और कई मामले हो सकते हैं।
पता चला है कि रिटायर होने वाले अधिकारी ने जाने से पहले बड़ी कंपनियों को खुश कर फाइलों को धड़ाधड़ पास कर अपनी जेबै खूब गर्म की है। जिंदल ने पत्र में लिखा है कि छोटे कारोबारिओ के लिए इंडस्ट्री लगाने से पहले डीपीआर जमा करवाना अनिवार्य है। लेकिन बड़ी कंपनियों के लिए ऐसा कोई कानून नहीं है। छोटी कंपनियों को जीएसटी रिफंड तक नहीं मिलता और यह वेट की सब्सिडी दिलाने के लिए फाइल पास करके चले गए।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में जब इन्वेस्ट पंजाब के पॉलिसी इंप्लीमेंटेशन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर रविंदर गर्ग से बात की तो उन्होंने साफ कहा कि पॉलिसी में ऐसा कुछ भी स्पष्ट नहीं है कि वेट की सब्सिडी देना अनिवार्य है। उनसे जब पूछा गया कि पिछले अधिकारी फिर किस तरह फाइल पास करके चले गए कि एक ऑयल कंपनी को 18 हजार करोड़ रूपया जीएसटी विभाग देगा तो उन्होंने इस पर कुछ नहीं कहा। इतना जरूर कहा कि वह कई वर्षों तक इस विभाग में रहे उन्होंने इसको किस तरीके से जीएसटी विभाग के समक्ष पेश किया उस बारे में वह कुछ नहीं कह सकते।