पंजाब की 50 हजार हैक्टेयर जमीन बंजर

punjabkesari.in Friday, Nov 18, 2016 - 02:17 AM (IST)

लुधियाना (सलूजा): पांच दरियाओं की धरती पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में आज भी लगभग 50 हजार हैक्टेयर जमीन बंजर पड़ी हुई है। यह जमीन इसलिए भी खेती करने के लायक नहीं रही, क्योंकि इस जमीन का कोई वाली वारिस ही नहीं है। बंजर जमीनों में कुछ जमीनें पंचायतों, शामलाट व विवाद वाली हैं। साऊथ वैस्ट पंजाब का लगभग 4 लाख हैक्टेयर रकबा खारे व नमक वाले पानी के प्रभाव अधीन है, जिससे खेती उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है।

पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के भूमि विज्ञान विभाग के माहिरों का कहना है कि 70-80 के दशक में 7 लाख हैक्टेयर जमीन पंजाब में खारे/नमक वाले पानी के प्रभाव अधीन थी। पी.ए.यू. के वैज्ञानिकों की दिन-रात की मेहनत से 5.5 लाख हैक्टेयर रकबे को खेती योग्य बना दिया। इस जमीन पर किसानों ने रिकार्डतोड़ धान व गेहूं की पैदावार करके अच्छा मुनाफा भी क माया। आज केवल लगभग 50 हजार हैक्टेयर जमीन है जिस पर खेती नहीं हो रहीं। 

पंजाब का 42 फीसदी पानी नमकीन/खारा
यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि इस समय पंजाब के 42 फीसदी हिस्से का पानी नमकीन व खारा हो चुका है। खारे पानी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, जिससे जमीन की पैदावार शक्ति को भी खतरा पैदा हो सकता है।

सेम की मार अधीन पंजाब के कई जिले 
पी.ए.यू. से मिली जानकारी के अनुसार पंजाब के मुक्तसर, मलोट व फाजिल्का व भटिंडा के कुछ ऐसे इलाके हैं जो सेम की मार के अधीन हैं। यह रकबा अंदाजन 30 से 32 हजार हैक्टेयर है। भूमि माहिरों का कहना है कि सेम का प्रभाव उस समय बढ़ जाता है जब बारिश अधिक हो जाती है, तब यह प्रभावित एरिया 1 लाख हैक्टेयर को भी पार कर जाता है। 

बंजर जमीन पर भी हो सकती है खेती
खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के माहिरों का कहना है कि बंजर जमीन पर भी खेती हो सकती है। इसके लिए पहले वहां की मिट्टी व पानी की टैस्टिंग करवानी होगी। उसके बाद आई रिपोर्ट के अनुसार ही जमीन को खेती योग्य बनाने का कार्य शुरू हो पाएगा। बंजर जमीन पर सबसे पहले धान की खेती करके उसके बाद गेहूं की बुआई भी की जा सकती है। माहिरों का कहना है कि पहली एक-दो फसलों से उत्पादन अधिक नहीं मिलेगा, लेकिन इसके बाद उत्पादन में इजाफा होना यकीनी है। 

खड़े पानी का प्रयोग मछलियां पाल कर करें
यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन इलाकों में अधिक समय तक पानी या फिर बारिश का पानी खड़ा रहता है, वहां इस पानी को एक तलाब के रूप में संभाल लें। इसमें मछलियां पालन का काम करके किसान व मछली पालक अच्छा मुनाफा कमा सकता है। इस कार्य के लिए सरकार की तरफ से बाकायदा सबसिडी भी दी जा रही है।

खारे व नमक वालेे पानी से प्रभावित इलाके
फिरोजपुर, फरीदकोट, बरनाला, भटिंडा, संगरूर व मुक्तसर, फाजिल्का व मानसा  आदि ऐसे इलाके हैं जो खारे व नमक वाले पानी से प्रभावित हैं। 

खारे व नमक की मात्रा को कम करना होगा
जिन इलाकों में किसानों को खारे व नमक वाले पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है, वहां के किसानों को चाहिए कि वह यहां जिप्सम के साथ ही नहरी पानी को मिला कर खेती करने को पहल दें। पानी से खारे व नमक की मात्रा को कम करने के बाद ही किसी फसल की अच्छी पैदावार की कल्पना की जा सकती है।

समय-समय पर जमीन की करवाएं जांच 
लगातार फसलों का उत्पादन लेने से भी जमीन की पैदावार शक्ति प्रभावित होती है, इसलिए किसानों को चाहिए कि वे समय-समय पर जमीन की जांच करवाएं। खेती व भूमि माहिरों की सिफारिश पर ही जमीन की संभाल पर काम करें ताकि उनकी जमीन बंजर होने की स्थिति में न पहुंच जाए। 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News