Recall:अमृतसर में दशहरे पर हुई थी 70 लोगों की मौत, कैप्टन को महसूस नहीं हुआ दर्द
punjabkesari.in Sunday, Oct 06, 2019 - 10:53 AM (IST)
अमृतसर। (सूरज ठाकुर) दशहरा फिर आ गया, बीते साल अमृतसर के जोड़ा फाटक में रेल हादसे में मारे गए 70 लोगों के परिजनों के जे़हन में दिल दहला देने वाला वो मंजर फिर से घूमने लगा है। वो रावण दहन में पटाखों के धमाके, भगदड़ की गड़गड़हाट, खून से सना रेलवे ट्रैक और चीख-पूकारों से गूंजता आसमान, जिस किसी ने भी उस दशहरे में शिरकत की वो उसे भुला ही नहीं पाया है। ऐसे में जिन्होंने उस दर्दनाक हादसे में अपनों को खो दिया, उनके दर्द का कोई मूल्य ही नहीं है। यहां आपको बताना चाहते हैं कि हमेशा की तरह उस दौरान हादसे में मारे परिजनों के जख्मों पर सियासतदानों में मरहम लगाने कोशिश की। सूबे में दस लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं को रोजगार मुहैया करवाने का दावा करने वाली कैप्टन सरकार ने मृतकों के हर परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया था, पर पूरा नहीं किया। अजीब है पूरे सूबे में रोजगार मेले लगाकर युवाओं को नियुक्ति पत्र बांट रहे सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह को इस हादसे में मारे गए परिजनों का दर्द महसूस नहीं हुआ।
ऐसे हुआ था हादसा
बीते साल दशहरा 19 अक्टूबर को था। अमृतसर रेलवे स्टेशन से करीब 4 किलोमीटर दूर जोड़ा फाटक के पास मेले का आयोजन किया गया था। करीब 7 हजार लोग रावण दहन के मौके पर मौजूद थे। मैदान में ही एक दीवार है जो रेलवे लाइन और मैदान को अलग करती है। लोग दीवार और रेलवे ट्रैक पर मौजूद थे। शाम करीब 6.40 बजे रावण दहन के वक्त वहां पटाखे चले और रावण का पुतला नीचे गिरा तो वहां भगदड़ की स्थिति बन गई। इसी दौरान वहां से ट्रेन गुजरी और सैकड़ों लोगों को कूचलते हुए निकल गई। हादसे में 70 लोगों की मौत हुई और कई घायल हो गए।
बस इतनी ही मदद
इस भयावह हादसे को देखते हुए पंजाब में एक दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया था। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया था, ‘अमृतसर रेल दुर्घटना के मद्देनजर प्रदेश में कल शोक रहेगा। सभी दफ्तर और शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।’इसके अलावा कैप्टन ने मृतकों के परिजनों व घायलों के लिए तीन करोड़ रुपए की राशि जारी करने का भी ऐलान किया किया था। हादसे में जो लोग मारे गए थे वे परिवार के कमाऊ सदस्य थे, इसी के चलते सरकार ने मृतक के हर परिवार के एक-एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया था। पंजाब सरकार ने इन परिवारों को 5-5 लाख रुपए दिए हैं। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने भी महीने भर पहले इन परिवारों को 2-2 लाख के चैक दिए हैं।
फौरी राहत के साथ खत्म होती संवेदना
मृतकों के परिजनों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दी गई धनराशि अब समाप्त हो चुकी है। कैप्टन से सरकारी नौकरी की आस लगाए हुए ये परिवार पिछले एक साल में कई दफा नौकरियों के लिए आवेदन कर चुके हैं। कहीं भी नौकरी नहीं मिल रही है। मृतकों के ज्यादातर आश्रित बेहाल हो चुके हैं। हादसों से पैदा होने वाली विकट परिस्थिति से निपटने के लिए सरकारों और सियासतदानों की संवेदना और आर्थिक राहत फौरी ही होती है। संवेदना फौरी आर्थिक मदद के साथ ही खत्म हो जाती है और वादे ठंडे बस्ते में चले जाते हैं। ऐसा ही कुछ अमृतसर में रेल हादसे में मारे गए लोगों के परिजन अब महसूस कर रहे हैं।