''आप'' के पास निगम चुनावों हेतु कई वार्डों में नहीं हैं उम्मीदवार

punjabkesari.in Saturday, Jan 14, 2023 - 04:03 PM (IST)

जालंधर: नगर निगम जालंधर के वर्तमान हाउस का कार्यकाल खत्म होने में ठीक 10 दिन बचे हैं परंतु अगला पार्षद हाऊस कब गठित होगा, इस बारे कोई भी निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकता क्योंकि अभी तक आगामी निगम चुनाव के गठन हेतु प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। यह निश्चित है कि नगर निगमों के चुनाव निर्धारित तिथि से कुछ लेट होंगे परंतु इन चुनावों में कितने महीनों की देरी होगी इसे लेकर भी संशय बना हुआ है क्योंकि अभी तक कई नगर निगमों में वार्डबंदी की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है और अभी भी बहुत ही धीमी गति से चल रही है।

जालंधर की ही बात करें तो यहां अभी तक शहर की जनसंख्या का ही सही पता नहीं चल पाया है और लोकल बॉडीज के डायरैक्टोरेट्स जो टीम इस कार्य हेतु आई हुई है, अभी वह वार्डों का जनसंख्या सर्वे पूरा करने में भी करीब एक सप्ताह लगाएगी। उसके बाद ही पूरे शहर की वार्डबंदी का फार्मूला तय किया जाएगा। नए सिरे से वार्डों के नंबर लगेंगे और कुछेक वार्डों की सीमाओं में भी परिवर्तन होने के आसार हैं। अभी 12 गांवों को भी निगम के वार्डों का हिस्सा बनना है जो करीब 3 साल पहले निगम सीमा में शामिल हुए थे।

कुछ उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए मना रही है ‘आप’

पिछले साल मार्च महीने में जब आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस भाजपा और अकाली दल को पछाड़ते हुए विधानसभा की 92 सीटों पर कब्जा करके पंजाब की सत्ता हथिया ली थी तो पार्टी वर्करों के हौसले काफी बुलंद थे। उसके तुरंत बाद पार्टी को संगरूर उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इसके तुरंत बाद गुजरात विधानसभा और हिमाचल विधानसभा के चुनाव हुए जहां आम आदमी पार्टी ने सत्ता प्राप्ति के लिए पूरा जोर लगाया। एक बार तो हिमाचल में भी ‘आप’ का काफी बोलबाला दिखा परंतु वहां पार्टी एक भी सीट को जीत नहीं सकी। कमोबेश यही हालत गुजरात विधानसभा चुनावों में भी हुई जहां पार्टी सत्ता में आने के सपने देखती रही परंतु पांच सीटों से आगे ही नहीं बढ़ सकी।

उसके अलावा प्रख्यात गायक सिद्धू मूसेवाला की निर्मम हत्या के बाद पंजाब का जो लॉ एंड आर्डर बिगड़ा, वह अभी तक सरकार के कंट्रोल में नहीं आ पा रहा। उद्योग तथा व्यापार जगत भी आम आदमी पार्टी की कार्यशैली से दुखी है। प्रॉपर्टी सैक्टर को भी यह सरकार कोई राहत नहीं दे पाई उल्टे एन.ओ.सी. की शर्त ने इस कारोबार को और डाऊन कर दिया है । ऐसे में निगम चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी के कैडर में कोई खासा उत्साह नहीं दिख पा रहा। ज्यादातर में तो नामोशी सी छाई हुई है। कुछ उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने पिछले साल मार्च-अप्रैल में ‘आप’ की ओर से निगम चुनाव हेतु उम्मीदवार बनने संबंधी जोर लगाना शुरू कर दिया था परंतु पार्टी की लगातार डाऊन होती इमेज को देखकर कई उम्मीदवारों ने अपने पांव पीछे भी खींच लिए हैं इसीलिए माना जा रहा है कि पंजाब की सत्ता पर कब्जा जमा चुकी आम आदमी पार्टी को जालंधर नगर निगम के चुनावों में कई वार्डों से उम्मीदवार ही नहीं मिल पा रहे। फिर भी कई वार्ड ऐसे हैं जहां दो-दो, तीन-तीन उम्मीदवार आप टिकट से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।

अलग-अलग की पीठ थपथपा रहे हैं सरकार और संगठन के प्रतिनिधि

इस समय आम आदमी पार्टी का नेतृत्व 2 भागों में बंटा हुआ दिखाई दे रहा है। एक भाग तो जनप्रतिनिधियों और विधायकों इत्यादि का है जबकि दूसरे में संगठन से जुड़े प्रतिनिधि आते हैं। निगम चुनावों को लेकर खास बात यह दिख रही है कि सरकार और संगठन में तालमेल का अभाव है। कई वार्ड ऐसे हैं जहां सरकार और संगठन के प्रतिनिधि अलग-अलग उम्मीदवार की पीठ थपथपा रहे हैं इसलिए माना जा रहा है कि आने वाले समय में दोनों पक्षों के बीच टकराव की नौबत भी आ सकती है। फिलहाल निगम चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी ने अभी शहर के 80 वार्डों में वार्ड या बूथ स्तर की कमेटियों का गठन ही नहीं किया है। इन चुनावों हेतु पार्टी की एकमात्र बैठक दिसंबर के अंत में चंडीगढ़ में हुई थी जहां वार्डबंदी का श्रीगणेश किया जाना था। उसके बाद अभी तक आप नेता इन चुनावों को लेकर एक मंच पर कभी इकट्ठे ही नहीं हुए।

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News Editor

Urmila

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