भाजपा में गुटबंदी, अकाली दल में फूट और कांग्रेस  की खराब स्थिति का फायदा उठा सकती है ‘AAP’

punjabkesari.in Friday, Jan 31, 2020 - 08:54 AM (IST)

जालंधर(गुलशन): पंजाब में विधानसभा चुनावों में अभी करीब 2 साल का समय शेष है लेकिन सभी राजनीतिक दल पंजाब के भविष्य को लेकर समीक्षा करने में जुटे हुए हैं। भाजपा पंजाब के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की ताजपोशी के दौरान जिस प्रकार भाजपा के पूर्व मंत्रियों ने पंजाब में हरियाणा-दिल्ली की तर्ज पर अकेले चुनाव लडऩे के संकेत दिए हैं, उससे भाजपा कार्यकत्र्ताओं के चेहरे खिल उठे, वहीं आम आदमी पार्टी के नेता भी इससे काफी खुश हैं।

आम आदमी पार्टी का मानना है कि अगर पंजाब में अकाली-भाजपा का गठबंधन टूटता है तो इससे उन्हें काफी फायदा मिलेगा। पिछले विधानसभा चुनावों में पंजाब में आम आदमी पार्टी को 20 जबकि अकाली दल को 15 और भाजपा को 3 सीटें मिली थीं। फिलहाल आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनावों पर फोकस कर रही है। दिल्ली चुनावों का रिजल्ट ‘आप’ के पक्ष में आने के बाद वे इसे पंजाब में भी भुनाने का प्रयास करेगी। 

भाजपा के सामने तीनों विकल्प हैं कि वह पंजाब में अकेले चुनाव लड़े, दूसरा पहले से ज्यादा सीटें मांगे और तीसरा पहले की तरह 23 सीटों पर ही चुनाव लड़े। इसके लिए भाजपा हाईकमान पंजाब में कार्यकत्र्ताओं की नब्ज टटोल रही है। दूसरी तरफ पूर्व भाजपा अध्यक्ष श्वेत मलिक के कार्यकाल में पंजाब के अंदर गुटबंदी पूरे चरम पर रही है।

गुटबंदी के चलते पार्टी की सीनियर लॉबी व कार्यकत्र्ता हाशिए पर ही रहे। अब पंजाब भाजपा की कमान पूर्व विधायक अश्विनी शर्मा को सौंपी गई है। पार्टी को संगठित करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा उनके पिछले कार्यकाल के दौरान भाजपा ने पंजाब की 23 सीटों में से 19 सीटें जीती थीं। अब पार्टी की हिचकोले खाती नैया को स्थिर करने के लिए अश्विनी शर्मा को एक बार फिर पंजाब का प्रधान नियुक्त किया गया है। अगर अभी भी पार्टी नेता और कार्यकत्र्ता संगठित नहीं हुए तो पंजाब में भाजपा की सत्ता में आने की राह आसान नहीं होगी। इसका फायदा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी उठा सकती है।


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swetha

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