पंजाब में भाजपा की आने वाले दिनों की योजना को लेकर बड़ा खुलासा

punjabkesari.in Tuesday, Oct 11, 2022 - 08:52 AM (IST)

जालंधर (अनिल पाहवा) : पंजाब के पूर्व विधायक तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता फतेहजंग सिंह बाजवा ने पंजाब से बाहर जा रहे यूथ को रोकने तथा उन्हें स्थानीय स्तर पर जॉब उपलब्ध करवाने को लेकर जहां माडल तैयार किया है, वहीं अमृतपाल सिंह को जरनैल सिंह भिंडरांवाला की तरह प्रोजैक्ट करने पर भी कई तरह के सवाल उठाए हैं। शिरोमणि अकाली दल के साथ भाजपा के गठजोड़ को लेकर बाजवा ने बेवाकी से बात की, वहीं उन्होंने पंजाब में भाजपा की आने वाले दिनों की योजना को लेकर कुछ खुलासे किए हैं। पेश है उनके साथ बातचीत के प्रमुख अंश :-

पंजाब को लेकर क्या है आपकी सोच?
पंजाब जिसे हम लोग रंगला पंजाब के नाम से जानते थे, वह अब ट्रैक से उतर चुका है। यहां का यूथ रास्ता भटक रहा है, यह चिंता की बात है कि पंजाब का यूथ या तो विदेश जा रहा है या अमृतपाल सिंह तथा लक्खा सिडाना को फालो करने लगा है। यूथ को रोकने के लिए और दोबारा से विकास की राह पर डालने के लिए काम होने की जरूरत है, इसके लिए मैंने एक माडल तैयार किया था, जिसको केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं को सौंपा है और पार्टी हाईकमान पर इस पर काम कर रही है। पंजाब की जहां तक बात है तो यहां हम लगातार कर्ज के बोझ में फंसते जा रहे हैं। पंजाब को बचाने के लिए शिरोमणि अकाली दल तथा कांग्रेस को लोग पहले ही आजमा चुके हैं और अब आम आदमी पार्टी काम कर रही है। श्रीलंका जैसे देशों के रास्ते पर पंजाब चल रहा है और अगर ऐसा चलता रहा तो यह फिर दोबारा कभी रंगला नहीं हो पाएगा। 

क्या है आपका माडल?
पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है। कृषि के अलावा पंजाब के पास कमाई का और कोई बड़ा साधन नहीं है। अगर कृषि पर आधारित माडल होगा तो सफलता मिलनी बाजिव है। कृषि आधारित यह मेरा माडल, जिसमें साथ में कोआप्रेटिव सोसाइटियों को भी शामिल किया गया है, के तहत जहां युवाओं को रोजगार मिलेंगे, वहीं किसानों के परिवारों के लिए भी आजीविका के अन्य साधन खुलेंगे। माडल के तहत पंजाब में 1.20 करोड़ एकड़ के करीब कृषि आधारित जमीन है, अगर कृषि आधारित जमीन के आधार पर मिलें लगाई जाएं तो करीब 2000 मिलें स्थापित होंगी, जहां पर मौजूदा कृषि उत्पाद की प्रोसैसिंग होगी। किसान जो उत्पाद 5 से 7 रुपए किलो बेचता है, वह अगर बाजार में प्रोसैसिंग के बाद 60 रुपए किलो बिकता है तो किसान को भी इसका 50 प्रतिशत मिलेगा। इस माडल के तहत जिस प्रोसैसिंग मिल में काम होगा, वहां पर किसान के परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जाएगी। साथ ही कोआप्रेटिव सोसाइटी उसी किसान परिवार को दुधारू पशु खरीदने के लिए भी पैसा उपलब्ध करवाएगी। इससे किसान और उसके परिवार को काफी फायदा होगा और युवाओं को बाहर जाने की जरूरत नहीं रहेगी। 

अमृतपाल सिंह की कैंपेन को आप कैसे देखते हैं?
अमृतपाल की यह कोई कैंपेन नहीं है, बल्कि मौके के हिसाब से मामले को कैश करने का तरीका है। कुछ गरमख्याली इस अभियान में शामिल हो सकते हैं। शिरोमणि अकाली दल के कमजोर होने से जो खाली जगह बनी है, उसे भरने और कैश करने के लिए हो सकता है कि अमृतपाल सिंह को मैदान में उतारा गया हो ताकि अकाली दल को जाने वाला वोट या समर्थन हासिल हो सके। शायद इसीलिए जरनैल सिंह भिंडरांवाला जैसा रूप तैयार कर अमृतपाल को आगे किया गया है। 

अमृतपाल को लेकर केंद्रीय एजैंसियों पर उठ रहे सवाल
केंद्रीय एजैंसियां भला अमृतपाल को क्यों प्रोजैक्ट करेंगी, इससे किसी का भी कोई भला नहीं होने वाला है। फिर भी मेरी अपील है कि इस मामले में केंद्र को जांच करवानी चाहिए कि आखिर अमृतपाल सिंह कौन है और रात भर में वह कैसे प्रकट हो गया। जिस तरह से अमृतपाल को दस्तारबंदी करवाई गई और प्रोजैक्ट करने की कोशिश की गई, वह जांच का विषय है क्योंकि ऐसी चीजें एक या दो दिन में नहीं होती। इस मामले में स्थिति साफ होनी जरूरी है। पंजाब के लोगों ने पहले ही बेहद बुरा दौर देखा है। 

एस.जी.पी.सी. को लेकर अकाली दल नाराज क्यों?
पंजाब में गुरुद्वारों की देखरेख अगर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कर रही है तो इसमें किसी को कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन अगर दिल्ली और हरियाणा में अलग से कमेटी गुरुद्वारों की देखरेख करना चाहती है और सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी वही है, तो फिर शिरोमणि अकाली दल का भाजपा या केंद्र के प्रति रोष जताना गलत है। यह तो हर राज्य की कमेटी का हक है कि वह अपने राज्य में गुरुद्वारा साहिब की जीर्णोद्धार करने का जिम्मा खुद ले। एस.जी.पी.सी. के लिए जो जरूरी काम है, उस पर कोई बात नहीं कर रहा, खास कर धर्म परिवर्तन करवा जो सिख समाज में सेंध लगाई जा रही है, वह सबसे बड़ी चिंता का विषय है। गुरुद्वारों की प्रधानगी से ज्यादा बेहतर है कि सिख कौम को बचाया जाए, जिस पर कोई बात नहीं कर रहा। खुद जत्थेदार धर्म परिवर्तन की बात कर रहे हैं, लेकिन यह क्यों हो रहे हैं और किस कारण हो रहे हैं, उस पर कोई काम करने को तैयार नहीं है। 

पंजाब को लेकर भाजपा की क्या योजना ?
पंजाब में भाजपा 23 सीटों पर चुनाव लड़ती रही है, लेकिन अकाली दल से अलग होने के बाद पार्टी खुद को मजबूत कर रही है। पंजाब में सदा ही केंद्र की सरकार के खिलाफ किसी न किसी पार्टी को वोट देकर सत्ता में लाया जाता रहा है, लेकिन अब लोगों की यह सोच बदल रही और अब लोग डबल इंजन की सरकार में विश्वास जताने लगे हैं। पंजाब में सबसे बड़ा चिंता का विषय ड्रग्स है, जिस पर काम होना बेहद जरूरी है। 

गांवों के लोग तो भाजपा को देखना पसंद नहीं करते?
ऐसा नहीं है, वह एक दौर था, लेकिन आज माझा या मालवा इलाकों में भाजपा को लेकर लोगों की सोच में फर्क दिखने लगा है। जहां पहले लोग भाजपा नेताओं को देखकर दरवाजे बंद कर लिया करते थे, वहीं अब लोग भाजपा की बात सुनने लगे हैं। लोगों की सोच बदलने लगी है और यह भाजपा के लिए अच्छा बदलाव है। 

भाजपा को लेकर पंजाब में नफरत क्यों?
कांग्रेस को 1984 के दंगों से लेकर हरिमंदिर साहिब पर सेना के एक्शन के कारण पंजाब के लोगों में रोष था, जो धीरे-धीरे कम हुआ है। लेकिन भाजपा ने तो ऐसा किया ही कुछ नहीं, जिससे यह कहा जाए कि पार्टी के प्रति लोगों में नफरत है। हां किसान बिलों को लेकर जरूर रोष था, जिसे पार्टी ने समय रहते हल किया और सरकार ने बिल वापस ले लिया। यह एक कोशिश थी और इस कड़वाहट को और कम करने के लिए भी पार्टी प्रयासरत्त है। सिख समाज के लिए करतारपुर साहिब का रास्ता खोला जाना और 14 नवम्बर को साहिबजादों के नाम पर वीर बाल दिवस घोषित करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की सिख समाज के प्रति एक सकारात्मक सोच का ही परिणाम है। 

क्या फिर एक साथ होंगे अकाली-भाजपा?
मुझे लगता है कि ये दूरियां जल्द नजदीकियों में बदलेंगी। वैसे तो यह केंद्रीय भाजपा का काम है और संभवतः पार्टी इस मामले में कुछ योजना बना रही होगी। लेकिन मेरी निजी सोच यही है कि दोनों नाखून-मांस एक बार फिर से इकट्ठे होंगे। इस संबंध में कोई बातचीत चल रही है, यह मेरी जानकारी में नहीं है, लेकिन अगर पार्टी मेरी जिम्मेदारी लगाएगी तो मैं अपनी तरफ से हरसंभव प्रयास करूंगा, ताकि अकाली दल और भाजपा दोबारा एक साथ हो जाए।


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Content Writer

Vatika

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