April Fool''s Day: आज के दिन ही क्यों मनाया जाता है अप्रैल फूल्स डे, जानें क्या हैं इतिहास

punjabkesari.in Thursday, Apr 01, 2021 - 04:54 PM (IST)

नई दिल्ली : हर साल एक अप्रैल को फ़ूल्स डे यानी मूर्ख दिवस मनाया जाता है। ये केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। कुछ देशों में एक अप्रैल को छुट्टी होती है। लेकिन भारत सहित कुछ देशों में अप्रैल फूल के दिन कोई छुट्टी नहीं होती है। एक अप्रैल को हर तरह का मज़ाक करने की छूट होती है। यही नहीं जिनके साथ मज़ाक होता है वह बुरा भी नहीं मानते। लेकिन कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच याद रखें कि आपको कुछ ऐसा नहीं करना है, जिससे कोई अफवाह फैले या इस नियम का उल्लघंन हो। 

जानें इतिहास 

  • अप्रैल फूल को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि अप्रैल फूल्स डे (मूर्ख दिवस) की शुरुआत फ्रांस में 1582 में उस वक्त हुई, जब पोप चार्ल्स IX ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया। बताया जाता है कि इस दौरान कुछ लोग पुरानी तारीख पर ही नया साल मनाते रहे और उन्हें ही अप्रैल फूल्स कहा गया। साथ ही उनका मज़ाक भी उड़ाया गया, हालांकि कई जगह इसकी शुरुआत 1392 भी बताई जाती है, लेकिन इसके कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है।
  • इतिहास की बात करें तो - जैसे 1539 में फ्लेमिश कवि 'डे डेने' ने एक अमीर आदमी के बारे में लिखा, जिसने 1 अप्रैल को अपने नौकरों को मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए बाहर भेजा। 
  • 1 अप्रैल 1698 को कई लोगों को 'शेर की धुलाई देखने' के लिए धोखे से टॉवर ऑफ लंदन में ले जाया गया। खक कैंटरबरी टेल्स (1392) ने अपनी एक कहानी 'नन की प्रीस्ट की कहानी' में 30 मार्च और 2 दिन लिखा, जो प्रिंटिंग में गलती के चलते 32 मार्च हो गई, जो असल में 1 अप्रैल का दिन था।इस कहानी में एक घमंडी मुर्गे को एक चालाक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था। इस गलती के बाद कहा जाने लगा कि लोमड़ी ने एक अप्रैल को मुर्गे को बेवकूफ बनाया। वहीं, अंग्रेज़ी साहित्य के महान लेखक ज्योफ्री चौसर का 'कैंटरबरी टेल्स (1392)' ऐसा पहला ग्रंथ है जहां एक अप्रैल और बेवकूफी के बीच संबंध का ज़िक्र किया गया था। 

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Vatika

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