आशुतोष महाराज के मामले में कोर्ट की दो टूक-‘सुख-सुविधाओं में रहना संन्यास नहीं’
punjabkesari.in Wednesday, Feb 08, 2017 - 09:26 AM (IST)

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): ‘संन्यासी को सबसे पहले अपनी भूख से लडना पड़ता है। उसके बाद काफी अंगों को नियंत्रित करना पड़ता है। एक संन्यासी की छवि कमंडल लेकर सभी सुख-सुविधाओं को छोड़ विचरने की है। सिर्फ अपने गृहस्थ जीवन का त्याग कर सुख-सुविधाओं में रहना संन्यास नहीं है।’ आशुतोष महाराज समाधि मामले में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की तरफ से आशुतोष महाराज को संन्यासी बताते हुए केस में दलीलें देने पर कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
कोर्ट ने कहा, ‘संन्यासी सुख-सुविधाओं में नहीं रहते। आगे हमें कुछ कहने के लिए उकसाएं मत। हम उन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते।’ कोर्ट ने संस्थान की दलीलों पर कहा कि समाधि क्या है हम जानते हैं, मगर हम समाधि को लेकर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते कि क्या आशुतोष महाराज समाधि में हैं या नहीं। कोर्ट तर्कों पर चलता है।
कोर्ट ने कहा कि साइंस के मुताबिक वह मृत करार (क्लीनिकली डैड) दिए जा चुके हैं। बॉडी डिकंपोज होने लगी और बाद में उन्हें समाधि में बताया गया। कोर्ट ने साथ ही कहा कि समाधि में क्या हार्टबीट नियंत्रित की जा सकती है या नहीं। इसे साबित करके दिखाएं। यदि वाकई महाराज समाधि में हैं तो उनका कोई शिष्य इस प्रकार की समाधि में जाकर दिखाए और फिर वापस आ जाए।
इस पर संस्थान के वकील ने कहा कि आत्मा को शरीर से बाहर निकालना हर किसी के बस का नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि हम सभी चंदा मामा की कहानियां सुनते हुए बड़े हुए हैं, मगर इसे कार्रवाई के अंतर्गत शामिल नहीं कर सकते। मामले की अगली सुनवाई 1 मार्च को होगी।
महाराज के बेटे ने भी की दलीलें पेश
केस की सुनवाई के दौरान आशुतोष महाराज का बेटा होने का दावा करने वाले दिलीप झा के वकील ने कहा कि उनकी डी.एन.ए. की अर्जी पर सुनवाई लंबित है। कहा गया कि बेटे को अपने पिता के अंतिम संस्कार का हक है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह उसकी ड्यूटी है। इस पर आशुतोष महाराज के कथित बेटे के वकील द्वारा कोई रिकार्ड पेश नहीं किया गया। बीते 28/29 जनवरी, 2014 की रात को आशुतोष महाराज की तबीयत बिगड़ी थी। उन्हें क्लीनिकली डैड घोषित किया गया था जिसके बाद से वह संस्थान की तरफ से समाधि में बताए जा रहे हैं।
क्या महाराज के समाधि से वापस आने का निश्चित समय है
संस्थान ने कहा कि साई बाबा ने जब प्राण त्यागे थे तो उनके अनुयायियों ने उनके संस्कार की बात कही, एक अनुयायी ने कहा कि वह वापस आएंगे और 3 दिन बाद वह वापस आ गए। इस पर जज ने पूछा कि आपके केस में वापस आने का अनिश्चित समय है। वहीं कहा कि महाराज के अनुयायी तो नाशवान हैं। वह इस प्रकार का आशीर्वाद नहीं पाए हुए हैं। ऐसे में अगर कभी महाराज समाधि से वापस आए तो किस अवतार और रूप में होंगे, इसे कौन देखेगा और वह कब आएंगे। इस पर संस्थान ने 3 दिनों से लेकर 300 साल तक की समाधि के उदाहरण कोर्ट को दिए। कोर्ट ने कहा कि यह किसने तय किया कि महाराज वापस आएंगे। इसी बीच मामले में आशुतोष महाराज की एक अनुयायी ने कोर्ट में खड़े होकर बताया कि महाराज ने पहले ही बता दिया था कि वह वर्ष 2014 में चले जाएंगे और फिर से वापस आएंगे और मिशन को आगे बढ़ाएंगे। ऐसे में उनके जल्द वापस आने की बात बताई गई। गीता का एक श्लोक पेश करते हुए गुरु शिष्य परम्परा के बारे में बताया। कहा कि हम अपने गुरु की पालना कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि गीता के अर्थ काफी गहरे हैं। इसलिए एक श्लोक को आधार न बनाएं।