बैसाखी 2020: कोरोना के कारण फीकी पड़ी पर्व की चमक, जानिए इस त्योहार से जुडी ख़ास बातें

punjabkesari.in Monday, Apr 13, 2020 - 11:09 AM (IST)

पंजाब : बैसाखी सिखों का पवित्र त्योहार है। पूरे उत्तर भारत में विशेषकर पंजाब और हरियाणा में बैसाखी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण सभी धार्मिक स्थल बंद हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते इस त्यौहार की चमक फीकी पड़ गयी है। लोग इस महामारी के संकट में सामाजिक दूरी बनाने को विवश है। ऐसे में धर्मगुरू ने इस पर्व को सभी से घरों में ही रहकर मनाने की अपील की है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी लोगों को घरों में रह कर अरदास करने की अपील की है। बैसाखी कृषि पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है, क्योंकि इस समय पंजाब में रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है। आज बैसाखी के पर्व पर आइए जानते हैं इसका महत्व और इससे जुड़ी खास बातें...

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आज ही के दिन रखी थी खालसा पंथ की नीव 
सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में वर्ष 1699 में खालसा पंथ की नींव रखी थी। इसका 'खालसा' खालिस शब्द से बना है। जिसका अर्थ- शुद्ध, पावन या पवित्र होता है। खालसा-पंथ की स्थापना के पीछे गुरु गोबिन्द सिंह का मुख्य लक्ष्य लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त कर उनके जीवन को श्रेष्ठ बनाना था। इस पंथ के द्वारा गुरु गोबिन्द सिंह ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी। इस दिन सिख गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं।

हिन्दू धर्म में भी है ख़ास महत्व 
यह त्यौहार सिर्फ सिखों के लिए ही नहीं हिंदुओं के लिए भी खास महत्व रखता है। हिंदू धर्म के अनुसार हजारों सालों पहले गंगा इसी दिन धरती पर उतरी थीं। यही वजह है कि इस दिन धार्मिक नदियों में नहाया जाता है और गंगा किनारे जाकर मां गंगा की आरती करना शुभ माना जाता है। 

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इन नामों से भी मनाई जाती है बैसाखी 
असम में इस पर्व को बिहू कहा जाता है, इस दौरान यहां फसल काटकर इसे मनाया जाता है। बंगाल में भी इसे पोइला बैसाख कहते हैं। पोइला बैसाख बंगालियों का नया साल होता है। केरल में इस पर्व को विशु कहा जाता है।


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Riya bawa

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