कैग की आडिट रिपोर्ट ने जालंधर स्मार्ट सिटी में हुए भ्रष्टाचार का किया पर्दाफाश, पढ़ें पूरा मामला

punjabkesari.in Wednesday, Apr 24, 2024 - 02:22 PM (IST)

जालंधर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से करीब 10 साल पहले जब स्मार्ट सिटी मिशन लॉन्च किया था, तब जालंधर को भी स्मार्ट बनने जा रहे शहरों की सूची में शामिल किया गया था। तब शहर के लोगों को लगा था कि उन्हें ऐसी अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी कि शहर की नुहार ही बदल जाएगी परंतु प्रधानमंत्री का यह मिशन पंजाब आकर फेल साबित हुआ और जालंधर में तो स्मार्ट सिटी मिशन के नाम पर खूब भ्रष्टाचार हुआ जिसकी चर्चा आज तक सुनाई दे रही है।

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अब तक जालंधर में करीब 60 प्रोजैक्ट चलाए गए। इनमें से आधे प्रोजैक्ट पूरे हो चुके हैं, बाकी लटक रहे हैं परंतु शायद ही कोई प्रोजैक्ट ऐसा हो जिसमें गड़बड़ी सामने न आई हो। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पंजाब सरकार ने जहां स्मार्ट सिटी के तमाम प्रोजैक्टों की विजिलेंस जांच के आदेश दे रखे हैं वहीं केंद्र सरकार ने भी स्मार्ट सिटी जालंधर में हुए भ्रष्टाचार की जांच का काम शुरू कर रखा है। केंद्र सरकार के तत्कालीन मंत्री हरदीप सिंह पुरी, साध्वी निरंजन ज्योति, अर्जुन मेघवाल और अनुराग ठाकुर ने भी जालंधर स्मार्ट सिटी में हुए भ्रष्टाचार की जांच संबंधी आश्वासन दे रखे हैं।

जालंधर स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार का शोर मचने के चलते कुछ माह पहले केंद्र सरकार के संस्थान कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ़ इंडिया) की टीम ने जालंधर स्मार्ट सिटी के खातों का ऑडिट किया। यह ऑडिट 2015-16 से लेकर 2022-23 तक की समय अवधि का किया गया। कैग ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों और जालंधर स्मार्ट सिटी को भेजी है, जिसमें जालंधर स्मार्ट सिटी में पिछले समय दौरान हुए घोटालों का पर्दाफाश किया गया है।

माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर आने वाले समय में केंद्र सरकार और पंजाब सरकार की संबंधित जांच एजैंसियां कोई न कोई एक्शन अवश्य लेंगीं और जो भी अफसर इस भ्रष्टाचार या घोटाले में संलिप्त रहे हैं, उनसे पूछताछ की जाएगी। कैग की रिपोर्ट आने के बाद पंजाब की अफसरशाही में हड़कंप सा मच गया है क्योंकि जालंधर स्मार्ट सिटी से संबंधित रहे आई.ए.एस. या अन्य स्तर के अधिकारी न केवल इस समय महत्वपूर्ण पोस्टों पर तैनात हैं, वहीं कुछ अफसर रिटायर होकर भारी भरकम पैंशन तक ले रहे हैं।

एल.ई.डी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट में कई गड़बड़ियों का हुआ खुलासा

- दिल्ली की एच.पी.एल कंपनी को स्ट्रीट लाइटें लगाने हेतु 43.83 करोड़ का टैंडर अलाट किया गया परंतु उसे अफसरों ने मनमर्जी से बढ़ाकर 57.92 करोड़ तक पहुंचा दिया। यह राशि 25 प्रतिशत बढ़ोतरी से भी अधिक हो गई जिसकी किसी से अनुमति नहीं ली गई। काम खत्म होने के बाद कंपनी ने 5 साल तक ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस करनी थी जिसकी एवज में उसे 13.14 करोड़ का भुगतान होना था। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी का काम अभी तक पूरा खत्म नहीं हुआ परंतु स्मार्ट सिटी द्वारा कंपनी को ऑपरेशन एंड मेंटिनेस चार्ज अदा किए जा रहे हैं। फरवरी 2024 तक कंपनी को इस हेतु 2.56 करोड़ दिए गए हैं जो सरासर गड़बड़ी है।

- एल.ई.डी प्रोजैक्ट पर काम 31 मार्च 2022 को खत्म होना था परंतु काम अभी तक समाप्त नहीं हुआ। शर्त के मुताबिक कंपनी पर 7.5 प्रतिशत के हिसाब से 4 करोड़ 34 लाख की पैनल्टी लगनी थी जो स्मार्ट सिटी द्वारा नहीं लगाई गई।

- स्मार्ट सिटी कंपनी ने ठेकेदार कंपनी को 5.54 करोड़ रुपए की ज्यादा पेमैंट कर दी। ठेकेदार कंपनी ने 1.04 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी भी देनी थी। ठेकेदार कंपनी को अतिरिक्त पेमेंट हो जाने संबंधी पता चलने पर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया और ज्यादातर राशि ठेकेदार कंपनी ने अभी तक स्मार्ट सिटी को वापस नहीं दी है।

स्टॉर्म वाटर प्रोजेक्ट के ठेकेदार को पहुंचाया गया अनुचित लाभ

- 120 फीट रोड पर जिस कंपनी ने स्टार्म वाटर सीवर प्रोजैक्ट पर काम किया, टेंडर की शर्त के मुताबिक उस कंपनी के हर रनिंग बिल पर 5 प्रतिशत की कटौती की जानी थी परंतु स्मार्ट सिटी ने ऐसी कोई कटौती की ही नहीं और पूरे पूरे बिल ठेकेदार को दिए जाते रहे जिससे ठेकेदार को फायदा और स्मार्ट सिटी को वित्तीय नुकसान झेलना पड़ा।

- ठेकेदार कंपनी द्वारा स्मार्ट सिटी को दी गई बैंक गारंटी की अवधि अक्टूबर 2021 में खत्म हो गई परंतु उसके बाद भी स्मार्ट सिटी ने ठेकेदार को करोड़ों की पेमेंट की जो अनुचित था। बैंक गारंटी खत्म होने के बावजूद ठेकेदार को 5.71 करोड़ की पेमेंट कर दी गई।

- ठेकेदार कंपनी को बिना मांगे ही एक करोड रुपए की एडवांस पेमेंट 12 नवंबर 2021 को कर दी गई। इस एडवांस पेमैंट पर स्मार्ट सिटी ने कोई ब्याज नहीं लिया। इस कारण स्मार्ट सिटी को 69 हजार रुपए का नुकसान झेलना पड़ा।

- 2022 में प्रोजैक्ट खत्म होने के बावजूद आज तक उस प्रोजैक्ट को कंप्लीशन सर्टीफिकेट अलाट नहीं किया गया है।

अफसरों की भर्ती में जरा भी पारदर्शिता नहीं रखी

स्मार्ट सिटी जालंधर ने अढ़ाई अढ़ाई लाख रुपए प्रति माह के वेतन पर दो कंसलटैंट (एक लीगल और एक अर्बन प्लानिंग कंसल्टैंट) नियुक्त किया परंतु इन नियुक्तियों के लिए आई बिड नियमों का पालन नहीं किया गया। नियमों के मुताबिक ऐसे कंसल्टैंट्स को 15 साल का अनुभव जरूरी था परंतु स्मार्ट सिटी ने इस शर्त को 10 वर्ष कर दिया। इस बाबत स्टेट लेवल कमेटी को भी सूचित नहीं किया गया।

- स्मार्ट सिटी कंपनी ने अढ़ाई लाख रुपए प्रति माह के वेतन पर जो लीगल एक्सपर्ट भर्ती किया, उसे जून 2023 से दिसंबर 2023 तक 17.50 लाख रुपए वेतन का भुगतान किया गया। उसका काम था कि बिड डॉक्यूमैंट इत्यादि को तैयार करना और उसे प्रीक्योर करना परंतु जिस अवधि का लीगल एक्सपर्ट को इतना भारी भुगतान किया गया, उस अवधि के दौरान स्मार्ट सिटी ने एक भी टैंडर को आमंत्रित ही नहीं किया इसलिए लीगल एक्सपर्ट को दी गई सैलरी बिल्कुल व्यर्थ गई। ऑडिट रिपोर्ट में स्मार्ट सिटी के स्टाफ की भर्ती पर भी कई सवाल उठाए गए हैं।

66 फीट रोड पर सड़क बनाने में हुई अनियमितता

- अर्बन एस्टेट फेज 2 से व्हाइट डायमंड रिसोर्ट तक 66 फीट रोड पर सड़क बनाने का काम 1.94 करोड़ रुपए में अलाट किया गया। स्मार्ट सिटी ने ठेकेदार के बिलों में से पांच प्रतिशत राशि काटनी थी परंतु ऐसा नहीं किया गया और ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाया गया जिससे स्मार्ट सिटी को वित्तीय नुकसान हुआ।

- स्मार्ट सिटी ने ठेकेदार को बैंक गारंटी रिन्यू करने बाबत भी नहीं कहा। सड़क निर्माण का काम पहले निगम ने करना था परंतु उसे स्मार्ट सिटी के खाते से करवा लिया गया जिस बाबत उचित अथॉरिटी से अनुमति तक नहीं ली गई। इस काम का भी कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया।

स्मार्ट रोड्स बनाने वाले ठेकेदार को भी पहुंचाया लाभ

- ऑडिट रिपोर्ट में 50.29 करोड रुपए की लागत वाले स्मार्ट रोड्स प्रोजेक्ट दौरान हुई वित्तीय गड़बड़ियों को दर्शाया गया है। 12 नवंबर 2021 को ठेकेदार को एक करोड़ रुपए की एडवांस पेमैंट कर दी गई परंतु ठेकेदार कंपनी से कोई ब्याज नहीं वसूला गया। इस प्रकार स्मार्ट सिटी को करीब 59 हजार रुपए का वित्तीय नुकसान झेलना पड़ा।

- इस ठेकेदार के रनिंग बिलों में से भी 5 प्रतिशत की कटौती स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा नहीं की गई। यह राशि 2 करोड़ रुपए बनती थी जिस कारण इस पर 38 लाख रुपए से ज्यादा के ब्याज का वित्तीय नुकसान स्मार्ट सिटी को झेलना पड़ा।

- बैंक गारंटी को रिन्यू करने के मामले में भी ठेकेदार कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाए गए।

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News Editor

Kalash

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