कैप्टन अमरेंद्र सिंह का हो गया है भगवाकरण: भगवंत मान

punjabkesari.in Saturday, May 30, 2020 - 12:34 PM (IST)

जालंधर: पंजाब में बिजली का मसला काफी गर्माया हुआ है, खास तौर पर किसानों का जो बिजली का बिल आता है, उसको लेकर सियासत तेज हो गई है। पंजाब में आम आदमी पार्टी के प्रधान व सांसद भगवंत मान द्वारा आज इस संबंध में मीटिंग की गई है और अकाली दल भी इस मसले पर सत्ताधारी पार्टी को घेर रहा है। पूरा मामला क्या है और पंजाब के ज्वलंत मुद्दों को लेकर पंजाब केसरी के संवाददाता रमनदीप सिंह सोढी के साथ बातचीत के दौरान सांसद भगवंत मान ने बेबाकी भरे लहजे से कहा कि जब से पंजाब में कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सरकार बनी है उन्होंने कभी भी केंद्र सरकार से पंजाब के हितों की बात नहीं की, जबकि केंद्र सरकार ने फैसला करवाना होता है।

कैप्टन साहिब केवल उनकी हां में हां मिला देते हैं। मैं तो यह कहूंगा कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह का भगवारण हो गया है। अभी पिछले दिनों बिजली के बिलों को लेकर विचार-विमर्श हुआ है कि किसानों को जो खेतीबाड़ी के लिए बिजली मिलती है उसके मीटर लगाने हैं। नियम यह है कि कोई भी राज्य सरकार अपनी जी.एस.डी.पी. (ग्रॉस स्टेट डोमैस्टिक प्रोडक्ट) का 3 प्रतिशत उधार ले सकती है। पंजाब का 5 लाख 40 हजार करोड़ रुपए बनता है। पंजाब की 18,000 करोड़ रुपए लिमिट है केंद्र सरकार से उधार लेने की। इसे 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करना है तो इसके लिए केंद्र सरकार की कुछ शर्तें हैं जिन्हें मानना होगा। उससे 12,000 करोड़ रुपए और उधार मिल जाएंगे। पंजाब सरकार केंद्र सरकार से  कुल 30,000 करोड़ रुपए उधार लेगी। केंद्र सरकार से 12,000 करोड़ रुपए उधार लेने हैं जिसको लेकर कैप्टन सरकार शर्तें मानने को तैयार हो गई है। शर्त यह है कि पंजाब सरकार किसानों को जो बिजली मुफ्त देती है उसको बंद किया जाए। सरकार ने इसे ‘ओके’ कर दिया है। राजनीतिक तौर पर यह फैसला लेना बहुत मुश्किल है, क्योंकि बहुत से किसानों के परिवार इससे जुड़े हुए हैं। 

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सरकार ने एक लालच दिया है कि हम डी.बी.टी. (डायरैक्ट बैनिफिट ट्रांसफर) कर देंगे। किसानों को लालच दिया है कि हम आपके खातों में पैसे डाल दिया करेंगे और आप उससे बिल भर देना। मतलब कि बिजली के मीटर जरूर लगाने हैं। सवाल यह है कि जो सरकार साढ़े तीन साल में एक भी वायदा पूरा नहीं कर सकी, चाहे वह युवाओं को नौकरी देने, बेघर गरीबों को पांच-पांच मरले के प्लॉट देकर घर बनाकर देने, फीस माफी, बुढ़ापा पैंशन व चाहे स्मार्ट फोन का वायदा हो, उस सरकार पर लोग कैसे यकीन कर सकते हैं कि वह उनके बिजली के बिल भर दिया करेगी। इस सरकार से तो मुलाजिमों के वेतन तक नहीं दिए जाते हैं। उनमें कटौतियां कर रही है। 

अप्रत्यक्ष रूप से किसानों से मुफ्त बिजली छीनने की योजना है यह शर्त
जब उनसे यह पूछा गया कि यह केंद्र सरकार की स्कीम है और इसमें कोई किं तु-परंतु नहीं है। आपकी आशंका यह है कि जो सरकार वायदे पूरे नहीं कर सकी वह बिजली के बिल कैसे भर देगी तो भगवंत मान ने कहा कि नहीं अप्रत्यक्ष रूप से यह शर्त किसानों से मुफ्त बिजली छीनने की योजना है। मुझे हैरानी इस बात की है कि सांसद सुखबीर बादल इसका कैसे विरोध करेंगे, जबकि यह पॉलिसी केंद्र सरकार ने बनाई है। केंद्र सरकार ने यह शर्त रखी है और केंद्र सरकार में अकाली दल हिस्सेदार है।

अकाली भाजपा, जिसकी केंद्र में सरकार है उसके द्वारा तैयार की गई पॉलिसी को पंजाब सरकार मानने को तैयार है तो फिर जितना इसके लिए कैप्टन अमरेंद्र सिंह जिम्मेदार हैं, उतना ही सुखबीर बादल भी हैं। फिर ये दोनों किसके हितों की बात करते हैं। मैं तो यह कहता हूं कि बीबी हरसिमरत कौर बादल, सुखबीर बादल, हरदीप पुरी जी, सोम प्रकाश और कैप्टन अमरेंद्र सिंह अपना स्टैंड स्पष्ट करें कि वे किसके साथ खड़े हैं, किसानों के साथ या फिर केंद्र सरकार जिसकी राज्यों से अधिकार छीनने की नीतियां हैं, उसके साथ खड़ा होंगे। 

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सुखबीर बादल सीधे केंद्र सरकार से क्यों नहीं कहते
सुखबीर सिंह बादल तो खुद कैप्टन अमरेंद्र सिंह पर तंज कसते हुए नजर आए हैं। उन्होंने कहा है कि यह खुलेआम किसानों के साथ धोखा है और कैप्टन सरकार किसानों की पीठ में छुरा घोंप रही है। इस सवाल के जवाब में भगवंत मान ने कहा कि वह केंद्र सरकार से यह बात क्यों नहीं कहते कि पंजाब के पैस्टी बेल आऊट करो। पंजाब को जी.डी.पी. का पैसा ही दिलवा दें जो 4400 करोड़ रुपए है। पंजाब के लिए कोई और स्पैशल पैकेज ले आएं। शर्त केंद्र की है उसे हां कह रहे हैं सुखबीर बादल और जिम्मेदार ठहरा रहे हैं कैप्टन को। मैं तो यह कहता हूं कि ये दोनों आपस में मिले हुए हैं। पहले ही पंजाब सारे देश से महंगी बिजली दे रहा है वह भी घरेलू। इसका जिक्र दिल्ली के चुनावों में भी हुआ था, जब लोगों ने सवाल किया कि पंजाब में बिजली किस दर से देते हैं। सबसे महंगी बिजली देकर वोट किस मुंह से मांगते हो। इस पर दूसरे दिन ही ये लोग चुनाव प्रचार छोड़ कर लौट आए थे। पंजाब सरकार तो यह भी कहती है कि सुप्रीम कोर्ट ने थर्मल प्लांटों में प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए संयंत्र लगाने को कहा है। पंजाब सरकार उसका खर्च भी लोगों से लेने की बात कह रही है। तो यह कहता हूं कि बिजली, जोकि किसानों की गर्दन है, वह यह सरकार केंद्र को थमाने जा रही है, लेकिन आम आदमी पार्टी पंजाब विधानसभा में विपक्षी दल होने के नाते यह सब नहीं होने देगी। पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार आंदोलन के रूप में सड़कों पर उतरेगी। 

डी.बी.टी. के पैसे को लेकर खड़े होंगे सवाल
पंजाब में खेतीबाड़ी को लेकर जो बिजली की मोटरें लगी हैं उनके कनैक्शन बड़े-बुजुर्ग के नाम से चले आ रहे हैं। बुजुर्गों के आगे परिवारों में दो-दो, तीन-तीन मैंबर हैं। अब जब पंजाब सरकार किसानों से बिजली के मीटर लगाने के लिए कह रही है तो मीटर ट्रांसफर को लेकर बहुत बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी। इस संबंध में सवाल करने पर भगवंत मान ने कहा कि मैंने यह सवाल आज मीडिया में भी उठाया था कि पंजाब सरकार डी.बी.टी. की बात कह रही है, लेकिन ये पैसे ट्रांसफर किसे करेगी, क्योंकि बिजली की मोटरों के जो कनैक्शन हैं वे दादा-परदादा के नाम हैं और आगे उनकी पीढिय़ां आ गई हैं। यह मामला तब भी उठता है जब कभी ओलावृष्टि होती है तो उसकी गिरदावरी के बाद जो पैसा मिलता है वह जमीन के मालिक को मिलता है और जब यह जमीन ठेके पर दी होती है तो भी पैसे जमीन के मालिक को मिलते हैं। इस कारण जिसने जमीन ठेके पर ली होती है उसे फायदा नहीं होता। आम तौर पर इस पर विवाद खड़ा हो जाता है। यह तो एक लॉलीपॉप है। धीरे-धीरे डी.बी.टी. का पैसा भी बंद हो जाएगा। 

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‘आप’ का बिजली आंदोलन जारी
इससे पहले घरेलू बिजली महंगी होने को लेकर आम आदमी पार्टी ने इस मसले को बहुत ही जोर-शोर से उठाया था, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से अब यह ठंडे बस्ते में डलता नजर आ रहा है तो सांसद ने कहा कि कहा कि हमारा बिजली आंदोलन जारी है। पंजाब सरकार ने तो लॉकडाऊन का भी बिजली का बिल पिछले साल की एवरेज के हिसाब से भेज दिया है। हम पिछले साल की मार्च, अप्रैल और मई के साथ कैसे तुलना कर सकते हैं। पिछले साल मार्च, अप्रैल और मई में लोगों को आमदनी होती थी, लेकिन अब तो तीन महीने से लोगों के पास रोजगार ही नहीं है, कारोबार बंद पड़े हैं। लोगों की जेबों को जो बिजली का करंट लगा, उसका खमियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। सोलर प्लांट्स लगने से बिजली बहुत सस्ती हो गई है। कहीं से भी खरीदी जा सकती है। उन्होंने कहा कि अकाली दल सरकार जो सफेद हाथी खड़े कर गई थी, कैप्टन सरकार तो सिर्फ उन्हें पाल रही है लोगों की जेबों पर डाका मार कर।  

ट्रिपल माफी मांगने से क्या सरकार का घाटा पूरा हो गया 
पिछली दिनों पंजाब मंत्रिमंडल की मीटिंग हुई तो यह आशा की जा रही थी कि पंजाब को मौजूदा संकट से बाहर कैसे लाया जाएगा, लेकिन पूरी मीटिंग पंजाब सरकार के अफसर कर्ण अवतार सिंह के इर्द-गिर्द ही घूमती नजर आई। तीन बार माफी का जिक्र हुआ। आप इस पूरे घटनाक्रम को कैसे देखते हैं तो भगवंत मान ने कहा कि तीन बार माफी पर मैं वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, चरणजीत सिंह चन्नी, सुखजिन्द्र सिंह रंधावा और राजा वङ्क्षडग़ से कि इस ट्रिपल माफी से पंजाब के खजाने को कितना लाभ हुआ है? रैवेन्यू के नुक्सान की बात चल रही थी कि इतने सौ करोड़ रुपए का नुक्सान एक्साइज पॉलिसियों की गलतियों के कारण हो गया है तो क्या वह ट्रिपल माफी से पूरा हो गया। मैं राजा वडिंग से सवाल करता हूं कि जो हर पंद्रह मिनट के बाद ट्वीट करते थे कि कर्ण अवतार इससे इंकार करेंगे कि उनके बेटे का हमीर डिस्टीलरी में कोई हिस्सा नहीं है, उनके जालंधर और चंडीगढ़ के शराब कारोबारियों से संबंध नहीं हैं तो उन ट्वीटों का क्या बना? ट्वीट भी डिलीट हो गए। जो इतना बड़ा विवाद खड़ा हुआ था क्या वह तीन माफियों से खत्म हो गया। तो फिर पंजाब के लोग क्यों न यह कहें कि इनको अपना-अपना हिस्सा मिल गया होगा। यह सब पंजाब के लोगों के साथ सरेआम धोखा है।   


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Vaneet

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