मुख्यमंत्री भगवंत मान का 300 यूनिट बिजली का फैसला जनता पर कोई एहसान नहीं: राजा वड़िंग

punjabkesari.in Sunday, Apr 17, 2022 - 11:05 AM (IST)

जालंधर (जतिंद्र चोपड़ा): पंजाब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी शिकस्त और वरिष्ठ नेताओं में पनपी धड़ेबंदी को देखते हुए ऑल इंडिया कांग्रेस की प्रधान सोनिया गांधी ने 42 वर्षीय युवा व तेज-तर्रार विधायक अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के हाथों में पंजाब प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी है। पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे राजा वड़िंग ने आज ‘पंजाब केसरी’ कार्यालय में दी इंटरव्यू के दौरान कांग्रेस के अंदरूनी हालातों, ‘आप’ सरकार के एक महीने के कार्यकाल सहित अन्य कई मुद्दों पर पूछे गए सवालों पर बेबाक जवाब दिए। राजा वड़िंग का कहना है कि आम आदमी पार्टी को पंजाब में 92 सीटें आई हैं, बहुमत बहुत बड़ा मिला है। यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बिजली गारंटी पर कोई बात की है, परंतु यह एक छोटी-सी गारंटी है, अभी बहुत-सी गारंटियां बाकी हैं, यह पंजाब की जनता पर कोई एहसान नहीं है, उनका फर्ज बनता है, वह अपने फर्ज की पूर्ति कर रहे हैं क्योंकि ये सब वायदे ‘आप’ ने चुनावों के दौरान जनता से कर रखे हैं।

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प्र : क्या मुख्यमंत्री का प्रधानमंत्री से एक लाख करोड़ का कर्ज मांगना जायज था?
उ : सरकार चलाने और लोगों की बेहतरी को लेकर कर्ज तो बढ़ते हैं लेकिन कर्ज की बजाय साथ-साथ रैवेन्यू जैनरेट होना भी जरूरी है। अरविंद केजरीवाल ने चुनावों से पहले कहा था कि पंजाब के बजट में 20 प्रतिशत तो रिश्वतखोरी है, मैं वहां से 3600 करोड़ रुपए बचाकर लाऊंगा। उन्होंने कहा था कि रेत की ट्रॉली 1000 रुपए की दूंगा। अभी एक महीना हुआ है, आगे-आगे देखते हैं कि क्या होता है।

प्र : कांग्रेस विपक्ष का फर्ज निभाने में पिछड़ क्यों रही है?
उ :
पंजाब की जनता ने ‘आप’ को बड़ा बहुमत देकर सत्ता पर काबिज किया है। अगर कांग्रेस अभी से ‘आप’ को मुद्दों पर घेरना शुरू कर देगी तो जनता में गलत मैसेज जाएगा। कई बार जनता भी कहती है कि हरेक व्यक्ति को परफॉर्म करने का समय देना चाहिए लेकिन यह बात यकीनी है कि समय आने पर कांग्रेस जनता के हकों को लेकर अपना फर्ज निभाती दिखाई देगी।

प्र: एक तरफ मुफ्त बिजली दूसरी तरफ पंजाब में लगाए जा रहे स्मार्ट मीटरों पर क्या कहेंगे?
उ : केंद्र सरकार ने आप सरकार के पल्ले कुछ नहीं डालना है। लगता तो ऐसा ही है कि आप पंजाब में स्मार्ट मीटर भी लगाएगी और लोगों को प्रीपेड बिजली सुविधा को भी मजबूर करेगी। पैसे खत्म होने पर रात को सोते समय ही बिजली बंद हो जाया करेगी। यह नहीं होगा कि पैसे खत्म होने पर बिजली विभाग 5-10 दिनों तक इंतजार करेगा। ऐसी कई बातें समय आने पर सामने आएंगी कि आखिर ये लोग क्या कर रहे हैं?

प्र: कांग्रेस की बड़ी हार के बाद प्रधान पद मिलने को कितनी बड़ी चुनौती समझते हैं?
उ : मैं नहीं समझता कि यह मेरे लिए किसी प्रकार की कोई चुनौती है या यह भी कह लिया जाए कि मुझे हमेशा बड़े-बड़े चैलेंजों का सामना करने का मौका मिला है। भगवान की कृपा, मेहनत व लगन से तमाम चैलेंजों का सामना करके आगे बढ़ता आया हूं। हाईकमान ने मुझ पर जो विश्वास जताते हुए दायित्व सौंपा है उस पर खरा उतरते हुए कांग्रेस को पुन: पैरों पर खड़ा करके रहूंगा।

प्र: आप द्वारा राज्यसभा मैंबरों के चयन को कैसे देखते हैं?
उ:
अच्छा होता कि राज्यसभा में अगर भगत सिंह के किसी वारिस को राज्यसभा का मैंबर बनाया जाता। अच्छा होता कि अगर अपाहिज आश्रम जैसी किसी एन.जी.ओ के नाम पर किसी बड़े सेठ की बजाय पिंगलवाड़े या संत सीचेवाल जैसी किसी शख्सियत को राज्यसभा मैंबर बनाया होता। जनता सब जानती है, समय आने पर हरेक बात का जवाब देना ठीक होगा।

प्र: सुरजीत धीमान के टिकटों के बेचने के आरोपों पर क्या कहेंगे?
उ:
सुरजीत धीमान के आरोप बिना सिर-पैर के हैं। अगर कोई व्यक्ति किसी दस्तावेज, कोई प्रूफ के साथ आरोप लगाए तो उस बात का जवाब देना बनता है। परंतु बेबुनियाद बातों को महत्व देना मैं नहीं समझता जायज है। मैं 10 साल विधायक रहा, पंजाब सरकार के कार्यकाल के अंतिम 3 महीनों में मंत्री बना, तब तो किसी ने कोई बात नहीं की, अब प्रधान बनने के बाद ही ऐसी बात को क्यों उछाला गया, लोग सब समझते हैं।

प्र. क्या नवजोत सिद्धू पार्टी में अलग धड़ा खड़ा कर रहे हैं?
उ :
मेरा फर्ज बनता है कि मैं सब लोगों को साथ लेकर चलूं। अगर किसी के सम्मान को ठेस पहुंची होगी तो उसकी तसल्ली करना, गिले-शिकवे दूर करना मेरा फर्ज बनता है परंतु सिद्धू जैसे कद्दावर नेता के साथ मुझे तो ऐसा नहीं लगता है, अगर फिर भी कोई ऐसी बात हुई तो वह उनसे मिलकर सभी भ्रांतियों को भी दूर करेंगे। मैं सबसे छोटा हूं, हरेक के घर जाऊंगा, एक बार नहीं सौ बार ट्राई करूंगा कि जिसके पास 2 वोट भी हों उस कार्यकत्र्ता को भी साथ लेकर चलूं। कांग्रेस पार्टी के परिवार को एकत्रित करके आगे बढ़ूं।

प्र: सिद्धू जब प्रधान बने तब आप गाड़ी चला रहे थे, आज वह आपसे मिले तक नहीं?
उ :
नवजोत सिद्धू के प्रधान बनने की बेहद खुशी थी, खुशी मनाई भी थी परंतु प्रदेश प्रधान पद की कोई लालसा नहीं थी। लेकिन नीयत साफ हो तो भगवान बूर डाल देता है, यही कारण है कि तीसरी बार विधायक बना हूं। मेरा किसी से भी कोई कम्पीटीशन नहीं है, सभी मेरे से ज्यादा तजुर्बेकार हैं। पार्टी ने प्रधान बनाया, हाईकमान जब कहेगी पद छोड़ दूंगा।

प्र: मनप्रीत बादल के साथ गिले-शिकवे दूर होंगे?
उ :
मेरे किसी के साथ निजी गिले-शिकवे हो सकते हैं, परंतु जब पंजाब प्रदेश कांग्रेस का प्रधान बन गया तो हरेक को साथ लेकर चलूंगा। मनप्रीत बादल मेरे बड़े भाई हैं, उनसे भी जल्द मिलकर अगर कोई नाराजगी हुई तो दूर कर लूंगा।

प्र: चरणजीत चन्नी को ई.डी. द्वारा तलब किए जाने को कैसे देखते हैं?
उ :
पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी हम सभी के सम्मानीय नेता हैं, परंतु ई.डी. की जांच प्रक्रिया को लेकर मेरा कोई भी टिप्पणी करना जायज नहीं होगा।

प्र: सिद्धू मूसेवाला के विवादित गाने पर क्या कहेंगे?
उ :
सिद्धू मूसेवाला को लेकर केवल विपक्ष शोर मचा रहा है, जबकि गाने संबंधी विवाद को लेकर पंजाब में कोई ऐसी मूवमैंट नजर नहीं आई। गाने के 3.50 मिलियन व्यूअर्ज हैं, न ही ऐसा कोई मामला सामने आया है कि उस गाने पर किसी आम आदमी ने धरना-प्रदर्शन किया हो। इस कारण विवाद का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।

प्र : रोडवेज के डिपो में ड्राइवरों और कंडक्टरों की कमी से बसें क्यों खड़ी हैं?
उ :
रोडवेज की बसों को चलाने के लिए ड्राइवरों और कंडक्टर आऊटसोॄसग पर रखे जाते हैं। ट्रांसपोर्ट मंत्री के अपने कार्यकाल में मैंने कांट्रैक्ट की अवधि को बढ़ा दिया था, परंतु पता नहीं आप सरकार में क्या दिक्कत है। कंपनी को जितने कहो वह सुबह आपको ड्राइवर और कंडक्टर मुहैया करवा देगी परंतु सरकारी बसें अगर अड्डों पर खड़ी हैं तो ऐसा होना आप सरकार की नालायकी है।

प्र: राणा गुरजीत द्वारा बेटे के चुनाव लडऩे व धड़ेबंदी में उलझे नेताओं पर क्या कार्रवाई करेंगे?
उ :
मैं तो सभी वरिष्ठ नेताओं से केवल इतना ही कहूंगा कि पुरानी बातें छोड़ कर नई कहानी को लिखें क्योंकि अब समय आ गया है कि हम एक बार फिर से इकट्ठे होकर पंजाब के ज्वलंत मुद्दों और आम लोगों की लड़ाई लड़ें ताकि पंजाब की जनता हम पर विश्वास करे और कांग्रेस पुन: सत्ता में वापस आए, पंजाब और पंजाबियत की सेवा करे।

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भगवंत मान सरकार द्वारा पेश किए एक महीने के रिपोर्ट कार्ड को आप कैसे देखते हैं?
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रिपोर्ट कार्ड में बहुत बातें की हैं परंतु उनमें से एक भी बात पूरी नहीं हुई है। उन्होंने घरों तक राशन सप्लाई की बात की थी, गैंगस्टर के खिलाफ टास्क फोर्स बना दी है, आज भी जालंधर में गोली चली है, अगर 30 दिनों में 26 लोगों का कत्ल हो जाए तो ऐसे हालातों में टास्क फोर्स तो जितनी चाहे बनाते रहो। भगत सिंह के स्टैच्यू लगाने की बात की थी कहीं नहीं लगा, न कोई आर्डर किया गया। जहां तक शहीदी दिवस पर अवकाश की बात है तो अगर भगत सिंह जिंदा होते तो वह अपने जन्मदिन पर 2 घंटे अधिक काम करने को कहते परंतु अवकाश होने से जनता को सरकारी विभागों में डॉक्टर, तहसीलदार कोई नहीं मिला, अगर छुट्टियां इतनी हो जाएंगी तो काम कौन करेगा?

बिजली के 300 यूनिट की माफी पर क्या कहेंगे?
मुख्यमंत्री मान ने 300 यूनिट बिजली माफी का ऐलान किया, लेकिन वह भी एक महीनों के बाद, परंतु 300 यूनिट बिजली माफ कैसे करेंगे, उसका फार्मूला नहीं समझाया। उन्होंने कहा है कि 200 यूनिट जिसको बिजली माफ थी उसको 300 कर दिया है यानी कि कांग्रेस सरकार एक किलोवाट तक के जिन 22.50 लाख परिवारों को 200 यूनिट फ्री बिजली देती थी, उसे 300 कर दिया गया है लेकिन हम 7 किलोवाट के कम लोड वाले उपभोक्ताओं को जो 3 रुपए सबसिडी देकर गए थे जिसमें 50 लाख और परिवारों को सीधा लाभ मिला था, क्या वे बिजली के रेट बढ़ा तो नहीं दिए जाएंगे?

कांग्रेस को मुफ्त बिजली योजना में शंका क्यों दिखती है?
मुझे शंका नहीं यकीन है क्योंकि ‘आप’ ने जो राय बनाई है कि कांग्रेस की पूर्व कांग्रेस बिजली की जो दरें सस्ती करके गई है, उस पर बनने वाली 2400 करोड़ की सबसिडी खत्म कर दी जाए। हम जो 200 यूनिट की बिजली दे रहे थे, उस पर 1700 करोड़ रुपए सबसिडी होती थी। 
दोनों सबसिडियों को मिला लिया जाए तो कांग्रेस सरकार लगभग 4100 करोड़ रुपए सबसिडी दे रही थी। अगर 200 से 100 यूनिट बिजली बढ़ा कर 300 यूनिट बिजली दी जाती है और अन्यों के लिए बिजली महंगी कर दी जाती है तो इस ऐलान से कोई फायदा होने वाला नहीं है। अगर ‘आप’ सरकार 3 रुपए यूनिट की सबसिडी देना बरकरार रखती है तो उसे शाबाश भी देंगे परंतु क्या होगा इसका जुलाई को पता चलेगा।

केजरीवाल का ब्यूरोक्रेसी को दिल्ली बुलाना कहां तक जायज है?
केजरीवाल का पंजाब के अधिकारियों को दिल्ली बुलाकर मीटिंग करना बेहद दुखदायी है। अगर अधिकारियों से कुछ नया कराना ही था तो उन्हें ट्रेनिंग सैंटर भेजते। एक तरफ केजरीवाल और मुख्यमंत्री मान दोनों रोज बयान देते हैं कि केंद्र सरकार हमारे अधिकारों पर डाका मार रही है जो बिल्कुल सही और जायज है परंतु अब केजरीवाल की सरकार जो हमारे मुख्यमंत्री के अधिकारों पर डाका मार रही है उसे कैसे सही माना जाए। केजरीवाल पार्टी के कन्वीनर हैं, वह भगंवत मान को रोजाना बुला सकते हैं कि पंजाब में क्या पार्टी पॉलिसी है, उसे लागू करें। केजरीवाल के इस कदम के बाद ही अब गवर्नर साहिब बॉर्डर का दौरा कर रहे हैं, पंजाब के अधिकारियों की मीटिंग बुला ली, हालांकि मान उस मीटिंग में मौजूद थे लेकिन गवर्नर का कोई अधिकार नहीं बनता कि वह पंजाब के अधिकारियों के साथ मीटिंग करें।

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News Editor

Urmila

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