भारत पहुंचते ही माफिया के लिए सोना बन जाता है विदेशी कोयला

punjabkesari.in Tuesday, Oct 10, 2017 - 08:47 AM (IST)

लुधियाना(खुराना): कोयला माफिया के लिए विदेशी धरती से भट्ठा मालिकों को सप्लाई किए जाने वाला कोयला सोने की खान साबित होने लगा है, क्योंकि विदेश से समुद्री जहाज के जरिए गुजरात बंदरगाह पर उतरने वाले कोयले को बड़े ट्रकों में भरकर माफिया द्वारा ईंटों के भट्ठों तक पहुंचाने से पहले रास्ते में ही ढाबों व अन्य स्थानों पर रोक कर कोयले की बड़े पैमाने पर चोरी कर ली जाती है और कोयले का पूरा वजन दिखाने के लिए कोयले में पानी मिलाकर भट्ठा मालिकों को लाखों का चूना लगाया जा रहा है। 

यह जानकारी लुधियाना ईंट भट्ठा मालिक एसोसिएशन के प्रधान रमेश मोही, प्रवीन जिंदल महासचिव, दर्शन सिंह जवंदा चीफ पैट्रन, अवतार सिंह मान, जोगिंद्र सिंह बाल, दविंद्र गिल, कुलदीप खुल्लर आदि ने देते हुए बताया कि कोयला माफिया के इस गोरखधंधे का सीधा खामियाजा आम पब्लिक को चुकाना पड़ेगा, क्योंकि मौजूदा सीजन में ईंट की कीमत 4200 रुपए प्रति हजार से बढ़ाकर 5 हजार रुपए का आंकड़ा पार कर जाएगी, क्योंकि भट्ठा मालिकों पर पडऩे वाला एक्स्ट्रा बोझ कहीं न कहीं आम जनता के सिर पर ही पड़ेगा। भट्ठा कारोबारियों ने एक ढाबे पर खड़े कोयले के लदे ट्रक में कोयला चोरी करके उसमें पानी मिला रहे कर्मचारियों की वीडियो दिखाते हुए दावा किया है कि कोयला माफिया की इस करतूत से ईंट तैयार करने की लागत बढ़ जाएगी, जिसे मजबूरन भट्ठा कारोबारियों को भी बढ़ाकर आगे सेल करना पड़ेगा। 

2 महीने में 2000 रुपए प्रति टन की बढ़ौतरी 
ईंट भट्ठा मालिकों ने दावा किया है कि जो कोयला कारोबारियों को जुलाई माह के अंतिम दिनों में 5100 रुपए प्रति टन मिल रहा था, वह माफिया की मिलीभगत से अब 7 हजार रुपए प्रति टन का आंकड़ा पार कर चुका है। सीजन के दिनों में कोयला माफिया पूरी तरह से सक्रिय होकर भट्ठा व्यापारियों व आम जनता का खून निचोड़ रहा है, जबकि कोई भी प्रशासनिक अधिकारी माफिया पर नकेल कसने में दिलचस्पी नहीं दिखाता है, जोकि साफ करता है कि विभागीय अधिकारियों को भी उनका कथित हिस्सा माफिया द्वारा पहुंचाया जा रहा है। 

यू.एस.ए. से आता है शुद्ध माल, बाद में मिलाई जाती है राख 
पिछले करीब 3-4 वर्षों से भट्ठा मालिकों को कोयले की सप्लाई यू.एस.ए. द्वारा प्राप्त हो रही है, जोकि शुरू में बहुत ही बढिय़ा क्वालिटी का मिल रहा था, जबकि बाद में माफिया व दलालों की गिरफ्त में आने के चलते कोयले में राख व पत्थर की मिलावट करके सप्लाई किया जाने लगा है। वहीं अब पहले के मुकाबले कीमत में भी अवैध रूप से बड़ा फेरबदल कर दिया गया है। भट्ठा मालिकों ने बताया कि यू.एस.ए. द्वारा समुद्री सफर पार करने के बाद कोयला करीब 18 से 20 दिनों में गुजरात बंदरगाह पर उतरता है, जबकि माफिया व दलालों द्वारा यह तर्क देते हुए भारत पहुंचने पर कोयले में पानी मिलाने का काला खेल खेला जाता है कि कोयले के डम्प में गर्मी के चलते आग पकडऩे की संभावना बनी रहती है।


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