पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन में राजनीति का कंट्रोल या कब्जा? हरभजन मान पर टिकी नजरें

punjabkesari.in Wednesday, Oct 19, 2022 - 03:07 PM (IST)

जालंधर : पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन (पी.सी.ए.) में राजनीति का कंट्रोल है या कब्जा, इसकी चर्चा क्रिकेट के मैदान में आम देखी, पढ़ी और सुनी जा सकती है। वैसे तो  कंट्रोल और कब्जा  लगभग एक ही शब्द लगता है, लेकिन जब इसे इसके निरपक्ष अर्थ में लिया जाता है, तो इसके विभिन्न अर्थ सामने आते हैं। कंट्रोल का अर्थ है कि क्रिकेट की सभी गतिविधियां लोकतांत्रिक तरीके के साथ विचार-विमर्श करने के बाद उसे असली जामा पहनाया जाता है परंतु  पी.सी.ए. में जो कुछ चल रहा है उससे यह संकेत मिलता है कि पी.सी.ए. पर आम आदमी पार्टी ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया है।

कब्जे की धारणा को जोर इस आधार पर मिलता है क्योंकि जब पंजाब में 'आप' की सरकार बनी थी तब सरकारी दबाव के कारण पुरानी एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों को जबरदस्ती इस्तीफे देने के लिए मजबूर किया गया था। उस एसोसिएशन का कार्यकाल अभी 4 से 5 महीने बाकी था। ऐसी खुशबू जरूर आई थी कि इस मामले में सरकारी मशीनरी का खूब इस्तेमाल किया गया था। अब पी.सी.ए. चीफ गुलजार इंदर का इस्तीफा भी उसी सरकारी सिस्टम के दबाव का नतीजा है। |

इसी कड़ी में एक और बात समझना बेहद जरूरी है कि हरभजन सिंह आम आदमी पार्टी से राज्यसभा के सदस्य बने और पी.सी.ए. का प्रमुख सलाहकार होना बहुत कुछ दर्शाता है। वैसे पी.सी.ए. मुख्य सलाहकार का कोई संवैधानिक पद नहीं है। यह केवल कब्जा करने का काम है।

अगर हरभजन सिंह क्रिकेट की भलाई के लिए कुछ ठोस या अलग करने की कोशिश करते हैं, तो क्रिकेट से जुड़े मौजूदा और पूर्व रणजी खिलाड़ी उनका स्वागत करेंगे। सभी को उम्मीद है कि हरभजन सिंह पी.सी.ए. उन्हें एक खिलाड़ी के रूप में योगदान देना चाहिए न कि एक राजनीतिक नेता के रूप में। वैसे भी खेलों में नेताओं की एंट्री से कोई सुखदायक माहौल माहौल नहीं बनता है।

अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here

पंजाब की खबरें Instagram पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here

अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Urmila

Recommended News

Related News