Municipal Commissioner हाजिर हो- अदालत ने बुलाया निगम कमिश्नर को

punjabkesari.in Wednesday, Oct 01, 2025 - 09:36 PM (IST)

लुधियाना (मेहरा): स्थानीय एल्डिको एस्टेट-1, हुसैनपुरा में एसटीपी प्लांट के कनेक्शन को जोड़े जाने से संबंधित अदालत में चल रहे मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने नगर निगम द्वारा आदेशों की अवहेलना का कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने नगर निगम आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।

परमानेंट लोक अदालत के चेयरमैन बलविंदर सिंह संधू ने सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत ने नगर निगम को गलाडा द्वारा 11 मार्च 2025 को लिखे गए पत्र पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कई बार कहा, लेकिन निगम की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। इस कारण अदालत के पास निगम आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

अदालत ने आदेश दिया कि नगर निगम को 15 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा, अन्यथा निगम आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना पड़ेगा। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि निगम आयुक्त यह स्पष्ट करें कि आदेशों की अवहेलना करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।

उल्लेखनीय है कि एल्डिको निवासी मनु चावला, हरीश बांबा, विवेक बेरी, चेतन चावला, राकेश शर्मा, दुष्यंत कुमार, सर्वजीत सिंह, संदीप कालड़ा और विकास शर्मा द्वारा गलाडा, एल्डिको मैनेजमेंट और नेशनल हाईवे अथॉरिटी के खिलाफ लगभग 3 साल पहले दायर की गई शिकायत अब भी अदालत में विचाराधीन है। इस दौरान अदालत ने नगर निगम और वन विभाग को भी आवश्यक पक्ष मानते हुए नोटिस जारी कर तलब किया था।

गलाडा ने अपने जवाब में कहा था कि उन्होंने संबंधित विभागों को कॉलोनी की सीवरेज पाइपलाइन जोड़ने के लिए पत्र लिखा है। वहीं निवासियों ने आरोप लगाया कि एसटीपी प्लांट को मुख्य सीवरेज लाइन से न जोड़े जाने के कारण गंदा पानी स्कूल की खाली पड़ी जमीन और अन्य स्थानों पर फेंका जा रहा है। इससे क्षेत्र में डेंगू, चिकनगुनिया और अन्य बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ रहा है तथा बदबू भी फैली हुई है।

निवासियों ने अपनी शिकायत में कहा कि गलाडा ने 24 जनवरी 2019 को एल्डिको कंपनी को कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया था, जबकि कॉलोनी में कई काम अब भी अधूरे पड़े हैं। सबसे अहम मुद्दा यह है कि एसटीपी प्लांट को मुख्य सीवरेज लाइन से नहीं जोड़ा गया है और न ही इसको लेकर कोई ठोस नीति बनाई गई।

एडवोकेट राजेश मेहरा ने कहा कि निवासियों को मजबूरी में अदालत का सहारा लेना पड़ा। अदालत ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए शर्तों का एक प्रस्ताव भी दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि विभाग एसटीपी प्लांट के पाइप जोड़ने पर सहमत हैं, तो एक माह के भीतर अपनी-अपनी शेयर कॉस्टिंग बनाकर अदालत में जमा करवाएं। हालांकि, गलाडा की ओर से विभागों को शेयर कॉस्टिंग बताने के लिए पत्र लिखा जा चुका है।

निवासियों ने आरोप लगाया कि यदि गलाडा अपनी ही मंजूरशुदा कॉलोनियों से पैसे लेने के बावजूद ऐसी लापरवाही करता है, तो अवैध कॉलोनियों का हाल और भी खराब होगा। अदालत को बताया गया कि 11 मार्च 2025 को गलाडा ने निगम को पत्र लिखकर अपनी शेयर कॉस्टिंग बताने के लिए कहा था, लेकिन निगम ने कोई जवाब नहीं दिया। इस पर अदालत ने सख़्त रुख अपनाते हुए निगम आयुक्त को 17 अक्तूबर को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का निर्देश दिया है।

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Content Editor

VANSH Sharma

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