दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला, पंजाब सरकार की संपत्ति रहेगा कपूरथला हाऊस

punjabkesari.in Wednesday, Aug 07, 2019 - 10:28 PM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): नई दिल्ली में स्थित कपूरथला हाऊस, जो मौजूदा समय में पंजाब के मुख्यमंत्री की राष्ट्रीय राजधानी में रिहायश है, अब राज्य सरकार के कब्जे अधीन रहेगा क्योंकि भारत सरकार की ओर से मांग के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने कपूरथला के स्व. महाराजा की आलीशान जायदाद को बेचने के अधिकार को खारिज कर दिया है। 31 जुलाई के फैसले, जिसकी प्रति मंगलवार को प्राप्त हुई थी, में हाईकोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की 2 जजों वाली पीठ ने फैसला दिया कि मान सिंह रोड पर नंबर-3 की जायदाद को बेचा नहीं जा सकता क्योंकि महाराजा ने बेचने का अधिकार गंवा दिया है। अदालत में पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पैरवी की। भारत सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि प्रॉपर्टी का सही हकदार समझते हुए पंजाब को कब्जा दे दिया गया है।

एडवोकेट जनरल अतुल नन्दा ने बताया कि पैप्सू (पटियाला एंड ईस्ट पंजाब स्टेट यूनियन) में शामिल होने से पहले और बाद उसके भारत सरकार में शामिल होने से पहले कपूरथला रियासत थी। प्रॉपर्टी की रिक्वीजीशन दिल्ली प्रिमिसिस (रिक्वीजीशन एंड एक्वीजीशन) एक्ट-1947 की धारा 3 के तहत 17 जून, 1950 को पास आदेश द्वारा की गई। 4 दिसम्बर, 1950 को भारत सरकार ने स्व. राधेश्याम मखनीलाल सेकसरिया से प्रापर्टी का कब्जा लिया, जिन्होंने कपूरथला रियासत के पूर्व शासक स्व. महाराजा परमजीत सिंह से 10 जनवरी, 1950 को 1.5 लाख की रजिस्टर्ड सेल डीड द्वारा खरीदी थी। संयोग से रीक्यूजीशङ्क्षनग एंड एक्यूजीशन ऑफ इमूवेबल प्रापर्टी एक्ट, 1952 ने 1947 के एक्ट को रद्द कर दिया। 

एक्ट 1952 की धारा 24 के तहत जिन जायदादों की एक्ट 1947 के तहत मांग की गई थी, को 1952 के एक्ट के तहत ले लिया गया। विवाद तब पैदा हुआ जब सेकसरिया ने 1960 में जिला अदालत, दिल्ली में जायदाद के हक के लिए मुकद्दमा दर्ज किया था, जो 1967 में दिल्ली हाईकोर्ट में भेज दिया गया। मुकद्दमे दौरान सेकसरिया का देहांत हो गया और 4 बच्चों को कानूनी प्रतिनिधि के तौर पर योग्यता अनुसार वादी पक्ष के तौर पर नामजद किया गया। साल 1989 में हाईकोर्ट के एक जज ने मुद्दई के हक में इस आधार पर फैसला किया कि 1952 के एक्ट के तहत 17 साल बीत जाने पर 1987 में भारत सरकार ने हक छोड़ दिया। इसके तुरंत बाद पंजाब सरकार ने अपील की और हाईकोर्ट के एक डिवीजन बैंच ने कहा कि मुद्दइयों का जायदाद पर कोई अधिकार नहीं है।
 
नंदा के अनुसार कई सालों दौरान हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में कई अपीलें और अर्जियां भेजी गईं जिससे अब याचिकाकत्र्ता ने केस लडऩे के लिए आर.टी.आई. के प्रयोग को भी रद्द कर दिया, जो दिल्ली हाईकोर्ट के डिवीजन बैंच के सामने पेश हुई। बैंच ने याचिकाकत्र्ता के जायदाद पर अधिकार को इस आधार पर रद्द कर दिया कि मांग के बाद महाराजा कपूरथला का जायदाद पर कोई हक नहीं रहा इसलिए वह याचिकाकत्र्ताओं के पुरखों को जायदाद का हक नहीं दे सकता। 


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