रैवेन्यू रिकॉर्ड को लेकर 31 May तक मिली Deadline, जारी हुए सख्त निर्देश
punjabkesari.in Saturday, Apr 19, 2025 - 10:47 AM (IST)

जालंधर (चोपड़ा): सरकारी अवकाश के कारण जिला के अधिकांश सरकारी कार्यालय बंद थे, लेकिन जालंधर जिला के फर्द केंद्रों में बैठकर स्टाफ ने निरंतर काम किया। डिप्टी कमिश्नर डॉ. हिमांशु अग्रवाल द्वारा जिला से संबंधित समूचे ऑफलाइन रैवेन्यू रिकार्ड को 31 मई तक ऑनलाइन करने के सख्त निर्देशों के बाद तहसील व फर्द केंद्रों का स्टाफ हरकत में आया है।
हालांकि जिला में अर्बन डाटा एंट्री (यू.डी.ई.) कार्यक्रम के तहत रैवेन्यू रिकार्ड को ऑनलाइन करने का काम पिछले 2 सालों से चल रहा है परंतु लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों की वजह से यह काम आज तक अधर में लटका हुआ है। डिप्टी कमिश्नर के निर्देशों के बाद फर्द केंद्रों में काम को निपटाने की खातिर खासी होड़ लग गई है, क्योंकि अगर फर्द केंद्र-1 की ही बात करें तो जालंधर-1, जालंधर-2, जालंधर-3, जालंधर-4, जालंधर-5 से संबंधित रैवेन्यू रिकार्ड ऑनलाइन न हो सके, उसे जानबूझकर लटकाया जा रहा है।
पंजाब सरकार द्वारा रेवेन्यू रिकॉर्ड संबंधी सुविधाएं ऑनलाइन कर देने के बावजूद शहर के पुराने इलाकों से संबंधित अगर किसी व्यक्ति ने अपनी जमीन या प्रॉपर्टी की फर्द लेनी होती है तो उसे आज भी ऑफलाइन ही मिलती है, जिसको लेकर फर्द केंद्र-1 के कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आती है। कल सरकारी अवकाश के बावजूद जिला प्रशासनिक कॉम्प्लेक्स में स्थित फर्द केंद्र जालंधर-1 और फर्द केंद्र जालंधर-2 कार्यालयों में कई कर्मचारियों ने दिनभर रैवेन्यू रिकार्ड संबंधित कामकाज निपटाते रहे। क्योंकि 31 मई की डैडलाइन मिलने के बाद अब यू.डी.ई. कार्यक्रम के तहत मैनुअल/ऑफलाइन रिकॉर्ड को कम्प्यूटराइज्ड करना है, जिससे जनता को बेहतर सेवाएं मिल सकेगी।
डिप्टी कमिश्नर के निर्देशानुसार जिला का जितना भी भूमि रिकॉर्ड संबंधी डाटा यू.डी.ई. कार्यक्रम के तहत अभी तक डिजीटल नहीं किया गया है उसे तुरंत निपटाया जाना है। वहीं डिप्टी कमिश्नर ने यू.डी.ई. की पहल को महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि इससे भूमि रिकॉर्ड की पारदर्शिता और नागरिकों की सुविधा बढ़ेगी।
100 में से केवल 5-6 गांवों का रिकॉर्ड रह गया पेंडिंग : प्रतीक बेदी
फर्द केंद्र जालंधर-2 के असिस्टैंट सिस्टम मैनेजर (ए.एस.एम.) प्रतीक सिहं बेदी ने बताया कि उनके कार्यालय में बस्ती गुजां -1 और बस्ती गुजां-2, बस्ती शेख, बस्ती दानिशमंदा, नागरा का रेवेन्यू रिकॉर्ड कम्प्यूटराईज्ड किया जा रहा है। प्रतीक ने बताया कि फर्द केंद्र-1 के अधीन 100 गांव आते हैं, जिनमें से 95 प्रतिशत काम कंपलीट हो चुका है और जो बाकी रह गया है, उसे भी चंद दिनों में निपटाने से सारा भूमि रिकार्ड लाइव हो जाएगा।
फर्द केंद्र-2 के इलाकों की रिकार्ड एंट्री न हो पाने के कारण पेंडैंसी का ग्राफ खासा बढ़ा
वहीं फर्द केंद्र जालंधर-2 के अधीन आते इलाकों में रिकार्ड एंट्री न हो पाने के कारण पेंडैंसी का ग्राफ खासा बढ़ चुका है। फर्द केंद्र के कर्मचारियों ने बताया कि पेंडिंग काम को कम्प्लीट करने को लेकर 12 के करीब ऑपरेटर लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जालंधर शहर के पुराने इलाकों से संबंधित जालंधर-1, 2, 3, 4 और जालंधर 5 का रिकॉर्ड डिजिटल होना बाकी है। जब यह रिकॉर्ड कम्प्यूटाईज्ड कर दिया जाएगा तो लोगों को उनकी प्रॉपर्टी की फर्द की सुविधा ऑनलाइन मिल सकेगी।
जेब भारी और सिफारिश हो तो छुट्टी वाले दिन भी मिल जाती है फर्द की कॉपी
किसी भी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री, बैंक लोन सहित अन्य कामों को कराने को लेकर किसी भी प्रॉपर्टी की अटैस्ट की हुई फर्द की कापी का होना बेहद जरूरी होता है। तहसील जालंधर-1 और तहसील जालंधर-2 के अंतर्गत आती प्रॉपर्टियों की फर्द प्रशासनिक काम्पलैक्स के फर्द केंद्रो, सेवा केंद्रों और हरेक व्यक्ति ऑनलाइन भी इसे प्राप्त कर सकता है। लोगों को फर्द लेने के लिए पहले ऑनलाइन या ऑफलाइन अप्लाई करना पड़ता है, जिसके उपरांत हरेक फर्द को लेकर बनने वाले पेपर के मुताबिक ही उसकी फीस जमा कराने के उपरांत फर्द को बार कोड के साथ जारी किया जाता है।
हालांकि आम दिनों में फर्द पाने के लिए सरकारी कार्यालयों में वर्किंग टाइम में अप्लाई करना पड़ता है। परंतु सिफारिश हो व जेब भारी हो तो सरकारी अवकाश के दिन भी फर्द की सुविधा मुहैया करा दी जाती है। फर्द केंद्र-1 के काउंटर पर भी आज ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला जहां मौजूद स्टाफ कर्मी नियमों की अनदेखी कर फर्द केंद्र की पब्लिक विंडों पर कुछ लोगों के फर्द संबंधी काम करते दिखाई दिए।
आखिर फर्द का प्रॉपर्टी संबंधी कामों में क्यों होता है महत्व
भूमि और प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों में "फर्द" एक अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। यह दस्तावेज न केवल जमीन की कानूनी स्थिति को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि जमीन का असली मालिक कौन है। आजकल जब जमीन की खरीद-फरोख्त, लीज, ट्रांसफर या लोन लेने जैसे कामों में पारदर्शिता और वैधानिकता जरूरी हो गई है, ऐसे में फर्द की भूमिका और भी अहम हो गई है।
जब भी कोई व्यक्ति किसी भूमि को खरीदना चाहता है, तो फर्द देखकर ही यह सुनिश्चित करता है कि बेचने वाला वास्तव में उस जमीन का मालिक है या नहीं। आजकल डिजिटल इंडिया अभियान के तहत कई राज्यों में फर्द ऑनलाइन भी उपलब्ध है, जिससे लोग घर बैठे ही इसे देख और डाऊनलोड कर सकते हैं।
सिविल केसों के माहिर एडवोकेट अनूप गौतम का कहना है कि जमीन से जुड़े किसी भी निर्णय से पहले फर्द को जरूर जांचना चाहिए। अगर इसमें कोई गलती या विवाद हो तो उसे सुधारना बेहतर होता है। एक सही और स्पष्ट फर्द न केवल कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि संपत्ति की वैधता और मूल्य भी बढ़ाती है। गौतम ने कहा कि इसलिए फर्द को नजरअंदाज करना किसी भी प्रॉपर्टी डील के लिए खतरे का संकेत हो सकता है। यह एक छोटा लेकिन अत्यंत प्रभावशाली दस्तावेज है, जो जमीन से जुड़े हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य बन गया है।
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