हर 13 मिनट बाद हो रही स्तन कैंसर से मौत

punjabkesari.in Tuesday, Oct 01, 2019 - 09:00 AM (IST)

जालंधर(शाह): आज कैंसर की बीमारी विश्व के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं ढूंढ पाया है। इससे बचने के लिए जागरूकता ही एकमात्र उपाय है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व भर में हर साल अक्तूबर में महिलाओं को स्तन कैंसर बारे जागरूक किया जाता है ताकि इस बीमारी की समय पर जांच कर इलाज करवाया जा सके।

समूचे भारत में महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर स्तनों में पाया जाता है जोकि उनकी मौत का मुख्य कारण बनता है। हमारे समाज में कैंसर बारे जागरूकता की कमी, समय पर जांच का न होना, अनपढ़ता, गरीबी कारण बीमारी का आखिरी स्टेज पर पता लगना तथा सही इलाज मुहैया न होने से मौतें भी ज्यादा हो रही हैं। एक सर्वे अनुसार समूचे विश्व में औसतन हर 2 मिनट बाद स्तन कैंसर का मरीज पाया जाता है तथा हर 13 मिनट बाद इस कैंसर से मौत हो रही है। 10 में से 1 महिला को उसकी जिन्दगी में स्तन कैंसर होने का खतरा बना रहता है। भारत में इसकी संख्या कम है पर 10,000 आबादी के पीछे 25 महिलाएं स्तन कैंसर से पीड़ित हैं। अगर इस बीमारी की समय पर जांच न हो तथा महिलाओं को इसके प्रति जागरूक न किया गया तो इसकी संख्या 2020 में दोगुना हो सकती है।

स्तन कैंसर होने के कारण
माना गया है कि कुछ कारणों से छाती का कैंसर ज्यादा होता है तथा उसको कंट्रोल करने से कैंसर कम हो सकता है। जैसे कि मोटापा, शराब तथा तम्बाकू का सेवन, खुराक, कसरत की कमी, बच्चा न होने के लिए दवाई (कंटरासैपटिव) खाना आदि। कुछ महिलाएं जो अपना दूध बच्चों को नहीं पिलातीं उनमें कैंसर ज्यादा देखा गया है। कुछ परिवारों में बरका जीन की खराबी पुश्तैनी होती है। उनको कैंसर ज्यादा होता है। इस जीन की खून में जांच व लड़कियों की युवा अवस्था में स्तनों की जांच करनी चाहिए।


लक्षण 
-स्तनों में गिल्टी का होना
-निप्पल से पानी या खून का बहना
-चमड़ी का सख्त होना
-जख्म होना
-छाती की चमड़ी में गड्ढे पडऩा
-निप्पल का स्तनों के अंदर सिंकुडऩा
-दर्द, सूजन, खारिश
-जब कैंसर फैल जाए तो अंडर आर्म या गर्दन में गिलटी का बनना।


हर गिलटी कैंसर नहीं हो सकती लेकिन जांच जरूरी : डा. अमरजीत
गवर्नमैंट मैडीकल कॉलेज अमृतसर के पैथोलॉजी के प्रोफैसर डा. अमरजीत सिंह ने महिलाओं में पाए जाने वाले स्तन कैंसर बारे बताया कि हर गिलटी कैंसर नहीं हो सकती लेकिन इसकी जांच जरूरी है। इसलिए स्तन कैंसर को घटाने व समय पर जांच करवाने के लिए सरकारी स्तर पर शहरों व गांवों में स्वास्थ्य सैंटरों पर स्क्रीनिंग व जागरूकता कैंप लगवाने चाहिएं ताकि इस बीमारी को जड़ से पकड़ा जाए। कुछ संगठन इस प्रति सराहनीय कार्य कर रहे हैं। महिलाओं को यह संदेश जरूरी है कि 30 से 40 की उम्र के बाद हर महीने नजदीकी स्वास्थ्य सैंटरों से अपने स्तनों की जांच करवाएं। शक पडऩे पर गिलटी की (मैमोग्राफी जोकि स्पैशल स्तन का एक्स-रे है) करवानी चाहिए।  हमारा फर्ज बनता है कि कैंसर पीड़ित महिलाओं की मदद की जाए तथा उत्साह दिया जाए ताकि उनके जीने की उम्मीद बनी रहे।


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