बुढ़ापा पेंशन ले रहे NRI पर पंजाब सरकार सख्त, जल्द होगी बंद : डॉ. बलजीत कौर

punjabkesari.in Monday, Nov 07, 2022 - 02:41 PM (IST)

जालंधर : मरीजों की नजर परखने में माहिर डॉ. बलजीत कौर की सियासी नजर भी खूब पारखी है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सत्ता आने के बाद इकलौती महिला मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाली बलजीत कौर टेबल पर आई फाइल देखकर ही मजमून भांप लेती हैं। इसी के चलते उन्होंने अपने महकमे में फर्जी पैंशन घोटाले की फाइलों से पर्दा उठाया। इतना ही नहीं, फर्जी पैंशन धारकों के खाते बंद कर प्रति माह सरकारी खजाने के करीब 14 करोड़ रुपए भी बचाए। बलजीत कौर की मानें तो यह धनराशि अभी और बढ़ेगी, क्योंकि अब उनकी नजर उन एन.आर.आईज पर है, जो विदेश में रहते हैं लेकिन आज भी उनके यहां के खातों में पैंशन का लाभ दिया जा रहा है। विभाग इसकी वैरीफिकेशन करवाएगा। उम्मीद है कि इस मुहिम से भी सरकार को कई करोड़ रुपए का लाभ मिलेगा। कुछ ऐसी ही नई मुहिम, विभागीय स्कीम्स, पायलट प्रोजैक्ट्स व विभागीय कामकाज और निजी जिंदगी से जुड़े अनुभवों पर पंजाब की सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की मंत्री डॉ. बलजीत कौर से ‘पंजाब केसरी’ के अश्वनी कुमार ने खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश -

प्र. फर्जी पैंशन घोटाले का मामला इन दिनों काफी सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री ने भी इस घोटाले को उजागर करने पर विभाग की तारीफ की है। यह पूरा मामला आपके ध्यान में कैसे आया? 

उ. मामला तब ध्यान में आया, जब पैंशन धारकों के आंकड़े देखे। इन आंकड़ों में पाया गया कि पिछले 5 सालों के दौरान 17 लाख बुजुर्ग बढ़ गए। बुजुर्गों की इतनी संख्या बढ़ जाना बहुत खटका कि अचानक पंजाब में इतने लोग कैसे बुजुर्ग हो रहे हैं? तब आंगनबाड़ी वर्कर्स की सहायता से डोर-टू-डोर सर्वे करवाया और पूरे मामले की गहनता से जांच करवाई, जिससे सच सामने आ गया। इसके बाद फर्जी पैंशन धारकों की पैंशन बंद की गई। इस पहल से पंजाब सरकार को आज करीब 14 करोड़ रुपए प्रति माह की बचत हो रही है।
 
प्र. पैंशन घोटाले से पहले वजीफा घोटाले के कारण विभाग सुर्खियों में रहा है। आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से इस मामले में लगातार सख्त कार्रवाई की बात कही जा रही है। मौजूदा समय में क्या स्थिति है?

उ. वजीफा घोटाले के दो पहलू हैं। पहला 2017-20 तक बच्चों की स्कॉलरशिप पैंडिंग पड़ी है। दूसरा, वजीफे का घोटाला, जिसकी विभागीय स्तर पर जांच-पड़ताल मुकम्मल होने की कगार पर थी, लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान ने फैसला किया कि इस मामले की विजीलैंस जांच करवाई जाए। अब यह पूरा मामला विजीलैंस और मुख्यमंत्री भगवंत मान के स्तर पर मॉनीटर किया जा रहा है।

प्र. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तो हाल ही में कहा था कि वजीफा घोटाले के गुनाहगारों पर जल्द ही सख्त कार्रवाई होगी, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?

उ. वजीफा घोटाले में कुछ भी रुका हुआ नहीं है। विभागीय इंक्वायरी से लेकर विजीलैंस जांच तक सीधे मुख्यमंत्री की नजर में है इसलिए जनता को यकीन रखना चाहिए कि जल्द ही गुनहगार सलाखों के पीछे होंगे।

प्र. केंद्र सरकार के स्तर पर कहा गया है कि पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम के करीब 192 करोड़ रुपए संबंधी यूटिलाइजेशन सर्टीफिकेशन पंजाब सरकार ने जमा नहीं करवाए हैं। यह रकम सरकार के खाते में पैंड़िग पड़ी है, जिसे वापस किया जाए।

उ. पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम का कोई भी पैसा या मामला पैंङ्क्षडग नहीं है। केंद्र सरकार ने 60:40 की रेशो वाली वजीफा स्कीम को 2017 में बंद कर दिया था। केंद्र सरकार की तरफ से फंड रिलीज नहीं होने के बाद से ही कुछ वित्तीय दिक्कतें आई थीं। 2020 के बाद से स्कीम स्थाई तौर पर चल रही है। मौजूदा समय में कोई भी पैसा या यूटेलाइजेशन सर्टीफिकेट पैंङ्क्षडग नहीं है।

प्र. अगर वजीफा स्कीम को लेकर सबकुछ सही चल रहा है तो राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने अनुसूचित जाति वजीफा स्कीम को लेकर विस्तृत रिपोर्ट क्यों तलब की थी?

उ. मुझे लगता है कि इस संबंध में कुछ बातें मुख्यमंत्री भगवंत मान के स्तर पर साफ हो सकती हैं। जहां तक विभागीय स्तर की बात है तो 2017-20 तक केंद्र सरकार की तरफ से धनराशि नहीं दिए जाने के कारण कई तरह की दिक्कतें आई थीं। 

प्र. बीते दिनों राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति से जुड़े बच्चों की कम होती संख्या पर ङ्क्षचता जताते हुए रिपोर्ट तलब की है। यह पूरा मामला क्या है?

उ. मौजूदा समय में पंजाब के उच्च शिक्षण संस्थानों में किसी विशेष वर्ग के बच्चों की कम होती संख्या जैसा कोई मामला नहीं है। संभव है कि कोविड काल के दौरान संख्या कम हुई हो लेकिन अब बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज स्थितियां सामान्य हैं।

प्र. पंजाब में बच्चों के सशक्तिकरण को लेकर काफी बातें कही जाती हैं, लेकिन बड़ी संख्या में आज भी गली-नुक्कड़ में मासूम भीख मांगते दिखाई देते हैं। इसके लिए विभाग क्या कर रहा है?

उ. पंजाब के सामाजिक सुरक्षा विभाग ने झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों का डाटा इकट्ठा कर परिवारों को जागरूक करने की मुहिम शुरू की हुई है, लेकिन यह अभी भी नाकाफी है क्योंकि इन बच्चों के पारिवारिक हालात बच्चों को काम करने पर मजबूर कर देते हैं। इसलिए ऐसी योजना पर काम किया जा रहा है, जिससे भीख मांगने वाले बच्चे ही नहीं बल्कि देह व्यापार में लिप्त महिलाओं को भी इससे बाहर निकाला जा सके।

जल्द ही इसका पायलट प्रोजैक्ट शुरू किया जाएगा। केंद्र सरकार की वात्सल्य स्कीम भी काफी बेहतर है। पंजाब सरकार सभी अनाथालयों में वीडियो कांफ्रैंसिंग सिस्टम लगाने पर भी काम कर रही है ताकि विभाग के स्तर पर सभी जगह सीधा संपर्क रहे और बच्चों की सभी समस्याओं का समाधान हो।

प्र. पंजाब में महिला, बच्चे व बुजुर्गों सहित सामाजिक कार्यों से जुड़ी कई स्वयंसेवी संस्थाएं हैं। क्या विभाग इन संस्थाओं के फंड बढ़ाने या फंड ले रही संस्थाओं के कार्यों की मॉनीटरिंग पर विचार कर रहा है?

उ. विभाग के स्तर पर स्वयंसेवी संस्थाओं को फंड दिया जाता है, लेकिन पिछले कुछ समय के दौरान यह भी सामने आया है कि कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं केवल नाम की ही हैं, कोई काम नहीं करती हैं। ऐसे में अब फंड के लिए आवेदन करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं की ग्राऊंड रिपोर्ट मंगवाई जा रही है। इस रिपोर्ट के संतोषजनक होने पर ही फंड रिलीज किए जाएंगे। विभाग के स्तर पर आदेश जारी किए गए हैं कि स्टाफ फील्ड विजिट करे ताकि पूरी जानकारी उपलब्ध हो।

पंजाब सरकार देगी सहारा 

प्र. महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर सालों से काम हो रहा है लेकिन महिलाओं का उत्पीडऩ व समस्याएं जस की तस हैं। आपका विभाग इसके लिए क्या कर रहा है?

उ. विभाग जल्द ही एक एप्लीकेशन लांच करेगा, जिस पर महिलाओं के उत्पीडऩ का तत्काल समाधान होगा। होशियापुर में जल्द ही नए सखी सैंटर की ओपङ्क्षनग के समय यह एप्लीकेशन लांच की जाएगी। विभाग ने जिला स्तर पर बने सखी वन स्टॉप सैंटर को मजबूत बनाने का दायित्व भी संभाला है। मेरी नजर में महिला पीड़ित होती है तो वह घर छोड़कर आ जाती है लेकिन उसे रहने का सहारा नहीं मिलता। सखी सैंटर में भी 3-4 दिन ठहरने की व्यवस्था है लेकिन उसके बाद कोई व्यवस्था नहीं है। विभाग इसी व्यवस्था को दुरुस्त करने पर काम कर रहा है ताकि पंजाब सरकार पीड़ित महिलाओं का सहारा बने। इसके लिए वर्किंग वुमव होस्टल, वृद्ध आश्रम या कोई अन्य स्थायी व्यवस्था तैयार करने पर काम चल रहा है।

...तो तस्वीर बदल सकती है

प्र. आपने सरकारी डाक्टर के तौर पर कई साल सेवा की और अब आप मंत्री पद संभाल रही हैं। आज अपनी नौकरी के अनुभव को कैसे देखती हैं?

उ. पेशे से डाक्टर के तौर पर मैंने यह समझा है कि किसी भी काम को किसी भी पद पर रहते हुए अगर जज्बे से किया जाए तो तस्वीर बदल सकती है। सरकारी अस्पताल में आंखों के डाक्टर के तौर पर मैंने इस तस्वीर को बदलते हुए देखा है। मैंने अस्पताल में मरीजों का सस्ता व मुफ्त इलाज किया। जिन आंखों के ऑप्रेशन का 20-25 हजार रुपए प्राइवेट अस्पतालों में वूसला जाता था, उसे मैंने सरकारी अस्पताल में 2-3 हजार रुपए में किया, लेकिन यह बात कुछ लोगों के निजी हितों को भी चोट पहुंचाने लगी तो निजी हित वालों का एक वर्ग मेरे खिलाफ खड़ा हो गया। उन्होंने मुझे धमकियां तक दीं लेकिन मैं अपने रास्ते से विमुख नहीं हुई, जिसका फल भी मिला।

बुजुर्गों को दिया जाएगा पारिवारिक माहौल 

प्र. आपने हाल ही में गांव की तर्ज पर शहरी इलाकों में बुजुर्गों के लिए ‘पिंड दी सत्थ’ जैसा प्रोजैक्ट लांच करने की बात कही थी, यह पूरा प्रोजैक्ट क्या है?

उ. गांव में तो आमतौर पर बुजुर्ग एक जगह इकट्ठे हो लेते हैं लेकिन शहर में ऐसा नहीं है। इसलिए शहरी इलाकों में भी ‘पिंड दी सत्थ’ जैसा प्रोजैक्ट लांच करने की योजना बनाई गई है। फिलहाल यह मुख्यमंत्री के स्तर पर विचाराधीन है। योजना में नए आइडिया भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि महिलाएं भी पुरुष बुजुर्गों के साथ उस जगह पर बैठ सकें। जल्द ही इसका पायलट प्रोजैक्ट लांच किया जाएगा।


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News Editor

Kalash

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