Driving License बनवाना हुआ मुश्किल, छूटे लोगों के पसीनें, हालात ऐसे कि...
punjabkesari.in Saturday, Sep 27, 2025 - 10:13 AM (IST)

जालंधरः अगर आप जालंधर रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आर.टी.ओ.) के अधीन ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट सैंटर पर ड्राइविंग लाइसैंस बनवाने की सोच रहे हैं तो घंटों पसीना बहाने और लापरवाह सिस्टम के आगे परेशान होने के लिए तैयार रहिए। यहां की व्यवस्थाएं दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही हैं और अधिकारियों की ढीली निगरानी के चलते जनता का सब्र टूटने लगा है। आज सैंटर का नजारा किसी अफसरशाही की हकीकत बयान करने के लिए काफी था। सैंटर पर लर्निंग लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसैंस, इंटरनैशनल लाइसैंस और डुप्लीकेट लाइसैंस बनवाने पहुंचे सैकड़ों लोगों की लंबी कतार बाहर तक लगी रही। हाल यह रहा कि सेंटर के अंदर लोगों को सर्विस देने के लिए सिर्फ एक महिला कर्मचारी मौजूद थी। सोचिए आर.टी.ओ. ने पूरे ऑफिस का कामकाज एक ही कर्मचारी के भरोसे छोड़ दिया गया था। एक कर्मचारी के होने के कारण काम खासा स्लो रहा, जिस कारण कतार इतनी लंबी थी कि लोग धूप में खड़े-खड़े हलकान हो गए। भीषण गर्मी में घंटों इंतजार करने के बावजूद उनकी बारी नहीं आई। बाहर खड़े लोगों का कहना था कि हम यहां लाइसेंस लेने आए हैं या अपनी परीक्षा देने? यह जनता की सहनशीलता की खुली परीक्षा है।
कभी कर्मचारियों की कमी, सर्वर डाउन और कैमरे खराब रोज़ का बहाना
आर.टी.ओ. कार्यालय की सबसे बड़ी समस्या यही है कि यहां सर्वर डाउन होना और कैमरे खराब होना आम बात है। कभी सॉफ्टवेयर नहीं चलता, तो कभी कर्मचारियों की कमी समूचे सिस्टम को जवाब दे देती है। अधिकारी हर बार स्टाफ की कमी का बहाना बनाकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं, लेकिन आम जनता को घंटों का इंतजार और बेकार की दौड़-भाग करनी पड़ती है।
आखिर कर्मचारियों की कमी का कब होगा हल?
आवेदकों ने बताया कि यहां कर्मचारियों की कमी नई बात नहीं है। अक्सर स्टाफ की संख्या इतनी कम होती है कि कामकाज ठप पड़ जाता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह कमी दूर करने की बजाय अफसर लोग केवल "जुगाड़" से दिन काटते हैं। सवाल यह उठता है कि जब राज्य सरकार ई-गवर्नेंस और ऑटोमेशन की बात करती है, तो ऐसे ऑफिसों की दुर्दशा क्यों नहीं सुधारी जाती?
सिस्टम की पोल खोलता जनता का गुस्सा
आज केंद्र के बाहर खड़े लोगों ने जमकर गुस्सा निकाला। एक आवेदक रत्नेश ने कहा कि एक तरफ सरकार डोर स्टेप पर सेवाएं प्रदान करने के दावे कर रही है, सरकार ने ऑनलाइन अपॉइंटमेंट और ऑटोमेटिड सिस्टम की बात तो की खूब की, लेकिन हकीकत यह है कि यहां सब कुछ भगवान भरोसे है। एक अन्य आवेदक गौतम ने कहा कि यहां आने वाला हर व्यक्ति का पूरा दिन बर्बाद होता है। और इन्ही हालातों के कारण लोग दलालों और बिचौलियों की जेबें गर्म करने को मजबूर होते है।