पूर्व मेयर जीती सिद्धू पर टिकी सबकी निगाहें, हक में उतरे समर्थकों व पार्षदों ने किया यह ऐलान

punjabkesari.in Sunday, Jan 01, 2023 - 10:10 AM (IST)

मोहाली (नियामियां): स्थानीय निकाय विभाग द्वारा नगर निगम मोहाली के मेयर अमरजीत सिंह जीती सिद्धू को हटाए जाने के बाद मेयर पद रिक्त हो गया है। जीती सिद्धू इस समय विदेश में हैं जिन्हें 5 जनवरी तक लौटना था लेकिन उनकी गैर मौजूदगी में हुई इस घटना को देखते हुए वह 3 जनवरी को देश लौट रहे हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि जीती सिद्धू के वार्ड में सरकार 48 घंटे का नोटिस देकर दोबारा चुनाव कराएगी या फिर मेयर की शक्तियां नगर आयुक्त के पास चली जाएंगी। जीती सिद्धू के एक्शन पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

सूत्रों का मानना है कि जीती सिद्धू को अपने खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की आशंका पहले से ही थी, जिसके चलते उन्होंने इस मामले को चुनौती देने के लिए अपने वकीलों से चर्चा कर केस तैयार किया है। जीती सिद्धू द्वारा 3 जनवरी को कोर्ट में यह केस दाखिल करने के बाद अगर कोर्ट स्टे जारी करती है तो सिद्धू का मेयर पद बना रह सकता है लेकिन अगर सरकार को नोटिस जारी किया जाता है तो भले ही जीती सिद्धू को फौरी राहत न मिले लेकिन सरकार चुनाव नहीं करवा सकती। 

वैसे भी अगर सरकार 2 जनवरी को चुनाव कराने का नोटिस जारी करती है तब भी 4 जनवरी से पहले चुनाव नहीं हो सकता। इस दौरान जीती सिद्धू कोर्ट में अपना पक्ष रख सकेंगे और सरकार के इंतजामों पर ब्रेक लग सकती है। खास बात यह है कि पिछले निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी के 37 प्रत्याशी जीते थे जबकि 3 सदस्य (मनजीत सिंह सेठी, कुलदीप कौर धनोआ व निर्मल कौर) निर्दलीय चुनाव लड़े व जीते थे। बाकी 10 सीटों पर आजाद ग्रुप और ‘आप’ के पार्षदों ने जीत हासिल की थी।

बाद में 2 सदस्यों ने अकाली दल छोड़ दिया और मेयर अमरजीत सिंह जीती सिद्धू भाजपा में शामिल हो गए। मेयर के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस के 8-10 पार्षदों ने पार्टी आलाकमान के कहने पर मेयर से अपना समर्थन वापस ले लिया, जबकि बाकी पार्षदों ने कांग्रेस आलाकमान के फैसले के खिलाफ बगावत कर अपने समर्थन का ऐलान कर दिया। इन सबके चलते मोहाली में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा और मोहाली में वह बुरी तरह कमजोर हो गई। पार्टी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए सीनियर डिप्टी मेयर अमरीक सिंह सोमल और डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया, लेकिन बाकी पार्षदों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि ये पार्षद भाजपा में शामिल नहीं हुए, लेकिन अभी भी मेयर जीती सिद्धू के साथ हैं और निगम का बहुमत अभी भी उसी गुट के पास है। 

जीती सिद्धू के समर्थक पार्षदों की एक आपात् बैठक सीनियर डिप्टी मेयर अमरीक सिंह सोमल के नेतृत्व में मेयर जीती सिद्धू के आवास पर हुई। बैठक में करीब 27 पार्षदों के शामिल होने की सूचना है। सरकार की इस कार्रवाई को बदले की कार्रवाई बताते हुए पार्षदों ने संकल्प लिया कि कोई भी इस कार्रवाई के खिलाफ झुकेगा नहीं और जरूरत पड़ी तो मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। जीती सिद्धू के भाई और पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू इस संबंध में पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि इस मामले को कानूनी लड़ाई से हर हाल में जीत लिया जाएगा। सिद्धू का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से अवैध है।

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News Editor

Urmila

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