फिरोजपुर संसदीय सीट :मुद्दों से ज्यादा कांटे की टक्कर पर सबकी नजर

punjabkesari.in Wednesday, May 01, 2019 - 11:48 AM (IST)

मलोट(जुनेजा): पंजाब में सभी उम्मीदवारों द्वारा अपने-अपने नामांकन पत्र दाखिल किए जा चुके हैं। राज्य में जिन लोकसभा सीटों पर सबसे बड़ा घमासान होने जा रहा है। उनमें एक सीट लोकसभा हलका फिरोजपुर है। यहां शिरोमणि अकाली दल प्रधान व पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल का सीधा मुकाबला कांग्रेस पार्टी के शेर सिंह घुबाया से है। 

PunjabKesari

देश-विदेश की निगाहैं हैं फिरोजपुर सीट पर
अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल खुद चुनाव में उतरें हैं, इसलिए प्रदेश ही नहीं देश-विदेश से भी इस सीट पर लोगों की नजर रहेगी। ऐसी स्थिति में मुद्दों से ज्यादा सबकी नजर सुखबीर बादल और घुबाया के बीच मुकाबले पर रहेगी। इस हलके में 2014 की लोकसभा सीट व 2017 के विधानसभा चुनावों में अकाली दल और कांग्रेस के अलावा तीसरे गुट ‘आप’ उम्मीदवारों के बीच हुए मुकाबले के बाद यह बात सामने आई कि इस लोकसभा क्षेत्र के अधीन आते 9 विधानसभा हलकों में ‘आप’ किसी भी सीट से जीत तो नहीं प्राप्त कर सकी, लेकिन जीत-हार के लिए निर्णायक वोट इस पार्टी के पास मौजूद हैं।

PunjabKesari

2014 में जाखड़ से था घुबाया
2014 के आम चुनावों में मुख्य मुकाबला अकाली दल प्रत्याशी शेर सिंह घुबाया और कांग्रेस के सुनील जाखड़ में था। शेर सिंह घुबाया को 4,87,932 वोट मिले थे, जबकि सुनील जाखड़ को कुल 4,56,512 वोट मिले थे और ‘आप’ के सतनाम राय कंबोज को 1,13,417 वोट पड़े थे। जाखड़ महज 31,420 वोटों के अंतर से हार गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिरोजपुर शहरी, फिरोजपुर देहाती, गुरुहरसहाय, फाजिल्का, बल्लूआना व मलोट 6 सीटों पर जीत प्राप्त की थी जबकि अकाली दल-भाजपा ने जलालाबाद, श्री मुक्तसर साहिब व अबोहर 3 सीटों पर जीत हासिल की और ‘आप’ का हाथ खाली रहा, लेकिन वह लोकसभा से दोगुनी से अधिक वोट ले जाने में कामयाब रही।

PunjabKesari

सुखबीर बादल के लिए हार-जीत को प्रभावित करने वाले फैक्टर
 

 विरोध में बातें

  •  बेअदबी की घटनाओं से लोगों में रोष।
  •  कांग्रेस के 6 मुकाबले के अकाली दल के पास सिर्फ 3 सीटें।
  •   राज्य में कांग्रेस की सरकार होने के कारण परिणाम को प्रभावित करने वाली वोट का सरकार पक्षीय होना। 

 पक्ष में बातें

  •  अकाली दल वर्करों की चुनाव रणनीति व एडवांस शुरू की गई मुहिम।
  •  दशकों से अकाली दल के हक में रही सीट।
  •  कांग्रेसी नेताओं में एकसुरता की कमी।
  •   सुखबीर सिंह बादल के पार्टी प्रधान होने के नाते राज्यभर से पार्टी वर्कर उनकी जीत के लिए जी-जान लगा सकते हैं। 

शेर सिंह घुबाया के लिए हार-जीत को प्रभावित करने वाले फैक्टर
 

 विरोध में बातें

  •  दल बदलना 
  •  कांग्रेस विधायकों व हलका इंचार्जों में तालमेल की कमी

पक्ष में बातें
लविधानसभा चुनावों में पार्टी का बढ़ा वोट बैंक
ल कांग्रेस की सरकार व पार्टी के पास विधायकों की बहुसंख्या व कैप्टन की बिस्तरा गोल करने की घुड़की। कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी के हवाले से अपने  हलके से वोटें कम लाने वाले विधायकों व मंत्रियों की पद व टिकट से छुट्टी की घुड़की ने घुबाया की मुहिम के लिए ऑक्सीजन का काम किया है। 

आम आदमी उम्मीदवार के हक में बातें

विरोध में बातें 

  •  नया होने के कारण चुनाव मुहिम से अनजान।
  •  आम आदमी पार्टी का किसी हलके में विजेता उम्मीदवार न होना।
  •  विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक वोट ले जाने वाले आप उम्मीदवार मोहन सिंह फलियांवाला का कांग्रेस में जाना।
  •  साधनों की कमी।

पक्ष में बातें

  •  नया चेहरा ।
  •  पार्टी की तरफ से वालंटियर को टिकट देने कारण लोगों में अच्छा प्रभाव।
  •  वोटरों में दोनों पार्टियों के प्रति रोष होने का लाभ मिल सकता है।

 

विधानसभा हलका और विजयी पार्टी को मिले वोट

हलका   राजनीतिक पार्टी     वोट
फिरोजपुर शहरी    कांग्रेस 67,559
फिरोजपुर देहाती  कांग्रेस 71,037
गुरुहरसहाय  कांग्रेस 62,787
मलोट  कांग्रेस 49,098
बल्लुआणा   कांग्रेस 65,607
फाजिल्का   कांग्रेस 39,276
जलालाबाद  अकाली दल  75,271
श्री मुक्तसर साहिब   अकाली दल  44,784
अबोहर भाज 55,091

 

PunjabKesari

 
  
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

swetha

Recommended News

Related News