SGPC के प्रधान धामी के नेतृत्व में नवनिर्वाचित कमेटी की पहली बैठक, लिए गए अहम फैसले

punjabkesari.in Tuesday, Nov 22, 2022 - 05:37 PM (IST)

अमृतसर (गुरिंदर सागर): शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी की अगुवाई में अंतरिंग कमेटी की बैठक के दौरान बंदी सिंहों की रिहाई के लिए राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर अभियान की रूपरेखा तैयार की। इस आंदोलन को देश के कोने-कोने में फैलाने का फैसला किया गया। गत 9 नवंबर को नवनिर्वाचित कार्यकारिणी कमेटी की यह पहली बैठक थी, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि 1 दिसंबर 2022 से बंदी सिंहों की रिहाई के लिए सक्रिय अभियान जारी रखा जाएगा।

इसके तहत बंदी सिंहों के मुकदमों और दी गई सजाओं के बारे में संगत को जागरूक करने के साथ-साथ प्रोफार्मा भरा जाएगा। इस आंदोलन को देशव्यापी बनाने के लिए पंजाब के साथ-साथ सिख मिशनों और शिरोमणि कमेटी की गुरुद्वारा कमेटियों के जरिए अलग-अलग राज्यों तक पहुंच बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस अभियान का मुख्य केंद्र शिरोमणि कमेटी कार्यालय होगा, जबकि पंजाब के हर जिले में उप-केन्द्र और पंजाब के बाहर सिख मिशन स्थापित किए जाएंगे। खासकर पंजाब में गुरुद्वारों, शिक्षण संस्थानों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों, शहरों और कस्बों के महत्वपूर्ण चौराहों पर कैंप लगाकर प्रोफार्मा भरे जाएंगे। एडवोकेट धामी ने बताया कि प्रोफार्मा भरने का काम पूरा करने के बाद शिरोमणि कमेटी के सभी सदस्य चंडीगढ़ में एक दिन का धरना देंगे और सभी प्रोफार्मा पंजाब के राज्यपाल को सौंपे जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि प्रोफार्मा भरते समय साथ-साथ सभी रिकॉर्ड को लिखित और डिजिटल रूप में बनाए रखने की प्रक्रिया भी की जाएगी।

एडवोकेट धामी ने अन्य फैसलों की जानकारी देते हुए  बताया कि पिछले दिनों श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशानुसार शिरोमणि कमेटी ने भारत सरकार से साहिबजादे के शहीदी दिवस को 'वीर' की जगह 'साहिबजादे शहीदी दिवस' के रूप में मनाने की अपील की थी जिसके चलते केंद्र और राज्य सरकारों से इस फैसले को लागू करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि साहिबजादों का शहीदी दिवस सिख इतिहास का एक महत्वपूर्ण पृष्ठ है, जिसे सिख विरासत और गुरमत की भावना के अनुसार मनाया जाना चाहिए। इसलिए भारत सरकार को श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा गठित कमेटी के सुझाव के अनुसार इस दिन का नाम 'साहिबजादे शहीदी दिवस' के तौर पर मनाने का ऐलान करे। उन्होंने राज्यों की सरकारों से भी इसी भावना के अनुरूप कार्यक्रम आयोजित करने को कहा, न कि 'वीर बाल दिवस' के रूप में।

शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष ने कहा कि भविष्य में सिरोपाओ  के समुचित उपयोग के लिए नियम भी निर्धारित किए गए हैं। अब हर शिक्षण संस्थान में सिरोपाओ, लोई व सम्मान चिन्ह के स्थान पर केवल पुस्तकें देने का निर्णय लिया गया है। गुरुद्वारा साहिबों में भी गुरुमत भावना के अनुरूप सिरोपाओं का प्रयोग अनिवार्य करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि केवल पंथक कार्यों में योगदान देने वालों को ही सिरोपाओ दिया जाएगा, जबकि अन्य सम्मानित हस्तियों को पुस्तकें भेंट की जाएंगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि अंतरिंग कमेटी ने अगले 6 महीने के लिए शिरोमणि कमेटी के अंदर भर्ती पर पूरी तरह  से रोक लगाने का फैसला किया है। एडवोकेट धामी ने कहा कि केवल बड़े मेलों के दौरान आवश्यकता के अनुसार आरजी लेबर लगाई जा सकेगी।  एडवोकेट धामी ने शिरोमणि कमेटी के विभिन्न कार्यों को नियमित रूप से संगत तक पहुंचाने के लिए 24 घंटे सेवा वाला यूट्यूब चैनल चलाने की भी जानकारी दी।

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News Editor

Urmila

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