पंजाब के पूर्व डीआईजी और डीएसपी 1993 के fake encounter मामले में दोषी करार

punjabkesari.in Friday, Jun 07, 2024 - 03:36 PM (IST)

पंजाब डेस्क: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पूर्व डीआईजी दिलबाग सिंह और डीएसपी गुरबचन सिंह को 1993 के तरनतारन निवासी गुलशन कुमार के नकली एनकाउंटर के मामले में दोषी करारा है। लुधियाना के वासी दिलबाग और गुरदासपुर के रहने वाले गुरबचन को मर्डर और किडनैपिंग के मामले में दोषी करारा गया है। 7 जून को सजा की अवधि सुनाई जाएगी।

डीएसपी दिलबाग सिंह, इंस्पेक्टर गुरबचन सिंह, ए.एस.आई अर्जुन सिंह, ए.एस.आई दविंदर सिंह और ए.एस.आई बलबीर सिंह के खिलाफ सीबीआई द्वारा चार्जशीट जारी की गई है, लेकिन ट्रायल के दौरान आरोपी अर्जुन सिंह, दविंदर सिंह और बलबीर सिंह की मौत हो गई थी और उनके खिलाफ कार्यवाही रोक दी गई थी।

जानकारी के अनुसार केस शिकायतकर्ता चमन लाल के कहने पर 22 जून, 1993 में दर्ज कराई गई थी। उसको उसके बेटों परवीन कुमार, बॉबी कुमार और गुलशन कुमार सहित डीएसपी दिलबाग सिंह और एस.एच.ओ सिटी तरनतारन गुरबचन सिंह की अगुवाई में पुलिस ने उठाया था। गुलशन कुमार को छोड़कर सभी को कुछ दिनों के बाद रिहा कर दिया गया था। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि गुलशन कुमार जो एक सब्जी विक्रेता था, अवैध हिरासत में पुलिस स्टेशन में रहा और फिर 22 जुलाई, 1993 को तीन अन्य व्यक्तियों के साथ एक फर्जी मुठभेड़ में उसकी हत्या कर दी गई। उसका शव घरवालों को नहीं सौंपा गया और लावारिस अवस्था में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

जांच पूरी करने के बाद सीबीआई ने 7 मई, 1999 को मामला दर्ज किया था और 32 गवाहों का हवाला दिया था, लेकिन मुकदमे के दौरान केवल 15 ने ही गवाही दी, क्योंकि उनमें से अधिकांश की आरोपियों की योग्यताहीन याचिकाओं के आधार पर देरी से सुनवाई के कारण मृत्यु हो गई थी, जिन्हें बाद में खारिज कर दिया गया था।

शिकायतकर्ता चमन लाल की भी बयान दर्ज करने से पहले मृत्यु हो गई थी। मामले की घटना 22 जून, 1992 की है, लेकिन आरोपियों के खिलाफ आरोप 7 फरवरी, 2022 को तय किए गए थे और इसलिए पहले गवाह का बयान 25 अप्रैल, 2022 को ट्रायल कोर्ट के समक्ष दर्ज किया गया है, यानी घटना के लगभग 30 साल बाद।


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Content Editor

Radhika Salwan

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