जी.एस.टी. से प्राप्त राजस्व गिरा, केंद्र व राज्यों के मध्य टकराव के हालात

punjabkesari.in Friday, Dec 27, 2019 - 12:00 PM (IST)

जालन्धर(धवन): देश में चल रहे मंदी के माहौल में केंद्र सरकार को जी.एस.टी. से प्राप्त हो रहे कम राजस्व के कारण ही केंद्र व राज्य सरकारों के मध्य आपसी टकराव की स्थिति पैदा हो रही है। भारत में आर्थिक विकास दर में आ रही गिरावट तथा दूसरी ओर महंगाई में हो रही बढ़ौतरी के कारण केंद्र सरकार के सामने आर्थिक समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। केंद्र सरकार के लिए राज्यों को वार्षिक 14 प्रतिशत मुआवजा देना मुश्किल हो रहा है। 

जी.एस.टी. कौंसिल के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में औसत राजस्व का अनुमान हर महीने 49,020 करोड़ था जबकि राज्यों के लिए औसत: मासिक राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य 43,166 करोड़ था। 2019-20 में वार्षिक राजस्व 1,56,000 करोड़ रखा गया जोकि पिछले साल की तुलना में दोगुना था। राज्य सरकारों ने पहले ही जी.एस.टी. मुआवजे की राशि में देरी पर अपना असंतोष जताया हुआ है। राज्यों के असंतोष के बाद केंद्र ने पिछले दिनों पंजाब को 2200 करोड़ रुपए की राशि रिलीज कर दी थी क्योंकि मुख्यमंत्री कैप्टन लगातार राष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को उठा रहे थे। वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने भी जी.एस.टी. कौंसिल में इस मामले को उठाया था। 

केंद्र ने राज्यों को जी.एस.टी. मुआवजा देने के लिए 1.09 लाख करोड़ की राशि मौजूदा वित्तीय वर्ष में रखी थी जिसमें 47,000 करोड़ की कमी चल रही है। केंद्र इसीलिए राज्यों को जी.एस.टी. का भुगतान नहीं कर पा रहा है परन्तु राज्य सरकारों का मानना है कि जी.एस.टी. को लागू करते समय केंद्र ने यह भरोसा दिया था कि राज्यों को राजस्व में होने वाले नुक्सान की भरपाई केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। जी.एस.टी. लागू होने के बाद राज्य सरकारों की आमदनी में भी कमी आई है। राज्य सरकारों को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा है। 

जी.एस.टी. राजस्व में पिछले कुछ महीनों से लगातार गिरावट आ रही है जो केंद्र व राज्य सरकारों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। नवम्बर को छोड़कर उससे पहले सितम्बर तथा अक्तूबर में भी राज्य सरकारों को केंद्र सरकार ने जी.एस.टी. मुआवजे की राशि का भुगतान नहीं किया। यद्यपि अधिकारियों की कमेटी ने जी.एस.टी. की दरों को बढ़ाने की बात कही थी परन्तु जी.एस.टी. कौंसिल ने जी.एस.टी. दरों को बढ़ाने के संबंध में कोई फैसला नहीं लिया। जी.एस.टी. कौंसिल का मानना था कि टैक्स चोरी व लीकेज को रोकने के प्रयास किए जाने चाहिएं। इसके लिए कुछ नए कदम सुझाए गए हैं। जी.एस.टी. के साथ पंजीकृत ट्रेडर्ज व अन्य लोगों को आधार के साथ जोड़ने की बात कही जा रही है।

जी.एस.टी. राजस्व में कमी का कारण देश में चल रही आर्थिक मंदी है। आर्थिक मंदी पर रोक लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। चाहे जी.एस.टी. कौंसिल को अधिकारियों की कमेटी ने टैक्स दरों में बढ़ौतरी करने की बात कही थी परन्तु राज्य सरकारें भी जी.एस.टी. की दरों में बढ़ौतरी करने के खिलाफ हैं। पंजाब सरकार ने भी टैक्स दरों में बढ़ौतरी का विरोध किया था क्योंकि राज्य सरकार का मानना था कि मंदी के हालात पहले ही चल रहे हैं और ऊपर से टैक्स दरों में बढ़ौतरी से ट्रेड व इंडस्ट्री पर अनावश्यक बोझ और पड़ जाएगा।


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Edited By

Sunita sarangal

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