शहर में किसकी मिलीभगत से कट रही हैं अवैध कॉलोनियां

punjabkesari.in Sunday, Dec 27, 2020 - 11:39 AM (IST)

जालंधर(सोमनाथ): नगर निगम की ओर से अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। पिछले कुछ दिनों में 8 के करीब अवैध कॉलोनियों पर निगम की डिच चलती नजर आई और आगे भी यह कार्रवाई जारी रहेगी। ऐसा निगम के बिल्डिंग विभाग के अधिकारियों का कहना है।

उल्लेखनीय है कि बिल्डिंग एडहॉक कमेटी के चेयरमैन निर्मल सिंह निम्मा और कमेटी मैंबर सुशील कालिया द्वारा पिछले कुछ महीनों से लगातार अवैध कॉलोनियों और बिल्डिंग बॉयलाज का उल्लंघन कर बनने वाली इमारतों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है। चेयरमैन और मैंबरों का मानना है कि नगर निगम अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई करती है और पैमाइश कर कॉलोनाइजरों से बनती फीस वसूल करती है तो निगम को 100 करोड़ से ज्यादा की आय हो सकती है, जबकि मौजूदा समय में अवैध कॉलोनियों से निगम को 25 करोड़ की आय होती है। मगर देखने वाली बात यह है कि पिछले कुछ दिनों में जो कार्रवाई हुई है, उसमें केवल विधायक परगट सिंह का विधानसभा हलका ही टार्गेट बना है।

हालांकि नगर निगम पर कांग्रेस पार्टी काबिज है और कांग्रेस की ही कुछ नेताओं द्वारा नाम नहीं छापने की शर्त पर सवाल उठाया जा रहा है कि क्या कैंट विधानसभा में ही अवैध कॉलोनियां कट रही है। साथ-साथ ही यह भी सवाल दागा जा रहा है कि कैंट हलके सहित बाकी शहर में किसकी शह और मिलीभगत के साथ अवैध कॉलोनियां अस्तित्व में आई और काटी रही हैं।

नवजोत सिद्धू के समय भी हुई थी ऐसी ही कार्रवाई
विधायक नवजोत सिंह सिद्धू ने निकाय मंत्री का पदभार संभालते ही अवैध कॉलोनियों के खिलाफ सख्ती दिखाई थी। अवैध कॉलोनियों को खिलाफ नगर निगम की ज्वाइंट टीम ने कार्रवाई शुरू की तो विधायक सुशील रिंकू और विधायक राजिंदर बेरी ने कड़ा विरोध जताया था। मामला मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंचने और मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद वैस्ट हलके में कार्रवाई रोक दी गई थी। इसके ज्वाइंट टीम ने कैंट विधानसभा हलके का रुख किया तो विधायक परगट सिंह ने बिल्डिंग बॉयलाज का उल्लंघन कर बनी बिल्डिंग के खिलाफ कार्रवाई का पूर्ण समर्थन किया था और आज भी स्थिति वैसी ही है।

जो गलत है उसका साथ क्यों?
कैंट विधानसभा में ही अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में जब विधायक परगट सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जो गलत है, उसका साथ ही क्यों दिया जाए। उन्होंने कहा कि वैसे तो अवैध कॉलोनियां अस्तित्व में आनी ही नहीं चाहिएं। जब यह कॉलोनियां काटी जा रही होती हैं तब नगर निगम के बिल्डिंग विभाग के अधिकारी क्यों नहीं जागते। उन्होंने मैटरोपोलिटन सिटीस का उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली और एन.सी.आर. में जब भी कोई कॉलोनाइजर कॉलोनी/एन्क्लेव डिवैल्प करता है तो सड़क, पानी और लाइटस की सुविधा कॉलोनाइजर और बिल्डर्स द्वारा मुहैया करवाई जाती है, लेकिन पंजाब में स्थिति और है। यहां पर कॉलोनाइजर कॉलोनियां काटकर गायब हो जाते हैं और जनता को सुविधाएं नगर निगम को मुहैया करवानी पड़ती हैं। सड़कें बनाने, पानी और सीवरेज जैसी सुविधाओं के लिए नगर निगम को करोड़ों रुपए डिवैल्पमैंट पर खर्च करने पड़ते हैं। सुविधाओं के मामले में उनका मानना है कि डिमांड और सप्लाई बराबर होनी चाहिए। अब भी निगम की तरफ से जो कार्रवाई की जा रही है वह उचित ही है।

सैटलमैंट के लिए 19 कॉलोनियों के आए आवेदन
नगर निगम के एस.टी.पी. परमपाल सिंह ने बताया कि नगर निगम की सख्ती और कॉलोनाइजरों के खिलाफ हाल ही में अमल में लाई गई सख्ती के बाद से 19 कॉलोनियों के सैटलमैंट के लिए आवेदन नगर निगम के पास आए हैं। इन कॉलोनियों से बनती फीस वसूल करने के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि अवैध कॉलोनियों के साथ अवैध बिल्डिंगों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाए जाएगी। उन्होंने बताया कि इस महीने करीब 12 दुकानों जिन्हें दोआबा चौक और सोढल रोड की 2 दुकानों पर कार्रवाई के अलावा 6 जगह सीलिंग की गई है। उन्होंने बताया कि अवैध कॉलोनियों की लिस्ट बनाई जा रही हैं और केस स्टेटस के हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।

फिलहाल कॉलोनियों की नहीं होगी पैमाइश
बिल्डिंग एडहॉक कमेटी की अवैध कॉलोनियों की पैमाइश के बाद इन कॉलोनियों को रैगुलर करने की मांग की तरफ नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है। इस संबंध में जब एस.टी.पी. से बात की गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल बिल्डिंग विभाग का ध्यान नगर निगम की आय बढ़ाने पर है। जो कॉलोनियां रैगुलर होंगी उनकी पैमाइश बाद में भी की जा सकती है। पैमाइश करना लंबी प्रक्रिया है। जिस कॉलोनाइजर ने कॉलोनी रैगुलर करने के लिए आवेदन किया है, उसकी उतनी ही कॉलोनी रैगुलर होगी जितना एरिया उसने आवेदन में दिखाया है और एरिया के हिसाब से ही उससे बनती फीस ली जाएगी।


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Sunita sarangal

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