अहम खबरः प्रताप बाजवा की वापसी पर गर्माई सियासत

punjabkesari.in Monday, Dec 06, 2021 - 10:20 AM (IST)

गुरदासपुर (जीत मठारू): पंजाब कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्य सभा मैंबर प्रताप सिंह बाजवा की तरफ से अपने ही जद्दी हलका कादियां में वापसी करके आज से मीटिंग करने के किए ऐलान ने न सिर्फ जिला गुरदासपुर की राजनीति गर्मा गई बल्कि पूरे पंजाब के राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। प्रताप बाजवा की यह सक्रियता सिर्फ ऐलान तक ही सीमित नहीं बल्कि बाजवा ने हलके में पहुंचते सार ही कादियां हलके अलग-अलग ब्लाकों अंदर 6 दिसंबर को समर्थकों और कांग्रेसी वर्करों की बड़ी मीटिंगों का प्रोग्राम भी खींच दिया है। प्रताप सिंह बाजवा अभी इस बारे बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। सूत्रों अनुसार बाजवा ने कांग्रेस प्रधान सोनिया गांधी और राहुल गांधी से हरी झंडी मिलने के बाद हलका कादियां की तरफ वृक्ष किया है और आने वाले कुछ दिनों में वह पूरी तेजी के साथ काम करेंगे।

रहस्य बनी हुई थी हलके की चयन संबंधी प्रताप सिंह बाजवा की मर्जी
प्रताप सिंह बाजवा ने 2009 के बाद अब तक केंद्र में रहकर बतौर लोकसभा मैंबर और राज्य सभा मैंबर पंजाब की आवाज बुलंद की है। काफी समय पहले ही वह पंजाब की राजनीति में वापसी का ऐलान कर चुके थे। यह बात रहस्य ही बनी हुई थी कि प्रताप सिंह बाजवा पंजाब की सक्रिय राजनीति में लौटने के लिए कौनसे विधानसभा हलके से चयन लड़ेंगे। चाहे पिछले करीब 2-3 महीनों दौरान घटे घटनाक्रम दौरान सबसे पहले बाजवा ने बटाला से चयन लड़ने के संकेत दिए थे। पार्टी की तरफ से एक परिवार को एक टिकट देने के किए फैसले और पंजाब कांग्रेस में हुए बड़े फेरबदल के बाद फिर यह बात बुझारत बन गई आखिरकार प्रताप सिंह बाजवा किस हलके में जाएंगे?

बाजवा के जद्दी हलके कादियां में उनके सगे भाई फतेहजंग सिंह बाजवा मौजूदा विधायक हैं और फतेह बाजवा ने अभी तीन दिन पहले ही काहनूवान में बड़ी रैली की है। आज सभी कयासों पर विराम लगाते हुए प्रताप बाजवा ने अपनी मर्जी स्पष्ट करते हुए चंडीगढ़ से कादियां की वापसी करने मौके जनतक तौर पर ऐलान कर दिया है कि वह पंजाब की राजनीति में वापसी के लिए अपनी कर्मभूमि कादियां के लिए रवाना हो रहे हैं, जहां उनका दिल धड़कता है।

विनोद खन्ना के मजबूत गढ़ को फतेह कर केंद्र की राजनीति में गए थे बाजवा
सियासी माहिरों अनुसार प्रताप सिंह बाजवा का ज्यादा रुझान हमेशा पंजाब की राजनीति में ही रहा है। वह पहले बार हलका काहनूंवान से 1992 में विधायक बने थे और कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उन्होंने हलके अंदर कई बेमिसाल कार्य करवाए थे। फिर वह 2002 में विधायक चुने गए और फिर कैबिनेट मंत्री रहे। 2007 की विधानसभा मतदान दौरान चाहे कांग्रेस की हालत बेहद पतली रही। फिर भी प्रताप सिंह बाजवा चयन जीत गए। इस उपरांत 2009 की लोग सभा मतदान गुरदासपुर लोकसभा की सीट को बेकार का सवाल बना कर कांग्रेस हाईकमान काफी चिंतित थी, क्योंकि बीबी सुखबंस कौर भिंडर के बाद फिल्मी स्टार विनोद खन्ना लगातार इस सीट पर विजेता रहे थे। इस कारण कांग्रेस हाईकमान ने प्रताप सिंह बाजवा को चयन मैदान में उतारा और बाजवा ने विनोद खन्ना को हराकर गुरदासपुर की सीट फिर कांग्रेस की झोली में पाई थी। उपरांत बाजवा 2014 तक लोकसभा मैंबर रहे। इसी दौरान उनको पंजाब कांग्रेस के प्रधान की जिम्मेदारी भी मिली और बाद में हाईकमान ने उनको राज्य सभा मैंबर बनाया।

पिछली मतदान दौरान भी कादियां की सीट को लेकर बाजवा परिवार में रही थी कशमकश
2009 में प्रताप सिंह बाजवा के लोकसभा मैंबर बनने उपरांत हुई उपचयन दौरान फतेहजंग सिंह बाजवा को सेवा सिंह सेखवां खिलाफ चयन मैदान में उतारा था। फतेह बाजवा चयन हार गए थे। उपरांत 2012 की मतदान दौरान प्रताप सिंह बाजवा की पत्नी चरणजीत कौर बाजवा ने चयन लड़ी और वह चयन जीत कर 2017 तक विधायक रही थी। 2017 की मतदान दौरान चरणजीत कौर बाजवा की जगह पर फतेहजंग सिंह बाजवा ने टिकट पर दावेदारी जताई था।

सूत्रों अनुसार उस मौके बाजवा परिवार में काफी कशमकश रही थी। बाजवा निवास में इस परिवार के समर्थकों और पारिवारिक सदस्यों की मौजूदगी में फैसला हुआ था कि जिस तरह चरणजीत कौर सीटिंग विधायक होने के बावजूद अपनी सीट फतेहजंग सिंह बाजवा को दे रही है, उसी तरह अगली विधानसभा मतदान में फतेहजंग बाजवा यह सीट बाजवा के लिए छोडेंगे। इसलिए अब यह समझा जा रहा है कि प्रताप सिंह बाजवा और उनके समर्थक यह दावा कर रहे हैं कि इस सीट पर सबसे पहले हक प्रताप सिंह बाजवा का है। अब देखने वाली बात होगी कि बाजवा परिवार इतना मतदान से पहले इस हलके की सीट को लेकर किस तरह की सहमति बनाता है। प्रताप सिंह बाजवा की वापसी के साथ उनके करीबी काफी राहत महसूस कर रहे हैं। 

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News Editor

Urmila

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