Dhillon Brothers मामला में Call Details से हुआ बड़ा खुलासा
punjabkesari.in Thursday, Oct 31, 2024 - 06:05 PM (IST)
जालंधर : ढिल्लों ब्रदर्स की मौत के मामले में लगातार खुलासे हो रहे हैं। जश्नबीर सिंह के मोबाइल की कॉल डिटेल अनुसार जिस समय जश्नबीर ढिल्लों ने ब्यास दरिया में छलांग लगाई तब वह अपनी पत्नी के साथ बात कर रहा था। छलांग लगाते समय भी मोबाइल चल रहा था। उधर इस केस में 430 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन जो चालान 90 दिनों में पेश करना होता है, वह 430 दिन बीत जाने के बाद भी पेश नहीं किया गया। चालान पेश न किए जाने का कारण बताया जा रहा है कि कपूरथला पुलिस के पास इस मामले की इंवैस्टीगेशन को लेकर कुछ भी नहीं है। चर्चा है कि यह केस अब जालंधर बनाम कपूरथला पुलिस बनता जा रहा है।
उधर एफ.आई.आर. दर्ज करवाने वाले मानवदीप उप्पल ने पंजाब केसरी के समाने भी कुछ तथ्य रखे हैं। उप्पल ने कहा कि इस केस में जब जश्नबीर का शव मिला तो वे सभी बहुत परेशान थे। मानवजीत उसके कहने पर पहली बार थाना 1 जालंधर गया था जिसके लिए कहीं न कहीं वह खुद को भी कसूरवार समझ रहा था।
मैंने सिर्फ शिकायतों पर साइन किए: मानवजीत उप्पल
उप्पल ने कहा कि दोनों भाइयों द्वारा छलांग लगाने के बाद जो शिकायतें कपूरथला पुलिस को दी गईं वह उसने लिखी ही नहीं थी। उसने लिखी लिखाई शिकायत पर मात्र साइन किए थे और उसके पास शिकायत पढ़ने का भी समय नहीं था। उप्पल ने कहा कि एफ.आई.आर. दर्ज करवाते वक्त भी उसके बयान नहीं लिए गए और मात्र उसी लापता की शिकायत पर एफ.आई.आर. दर्ज की गई थी। उसने मात्र एफ.आई.आर. ही पड़ी थी लेकिन जब माननीय सुप्रीम कोर्ट में केस गया तो वहां से शिकायतकर्ता होने के नाते नवदीप सिंह पक्ष द्वारा जो डिफैंस रखा गया था उसकी एक फाइल उसे दी गई थी जो उसने देखी तो दंग रह गया।
उप्पल ने कहा कि उस शिकायत में जो जो बातें रखी थी वह डिफैंस पक्ष द्वारा दिए दस्तावेज और प्रूफ में गलत साबित हो रही थीं जिसके बाद उसने ढिल्लों ब्रदर्स के पिता को भी दिखाया और कहा भी कि यह आरोप अदालत में साबित नहीं होंगे, जिस कारण सारी बात शिकायतकर्ता होने के कारण उसके ऊपर आ सकती है। उप्पल ने बताया कि इस केस की पैरवी के लिए खर्चा तक वह निजी तौर पर कर रहा है और जब उसने खर्चा मांगना चाहा तो उसे टाल-मटोल कर दिया जाता था जिसके उसके पास प्रूफ भी हैं। उसने कहा कि उसकी लड़ाई सच और झूठ की है। लंबे समय से वह अदालतों और थानों के चक्कर लगा रहा है। कभी राजीनामे की बात ही नहीं की।
उसने मात्र सबूतों के चलते ही बात की थी जो गलत समझ ली गई। उसने कहा कि मान लिया कि शव जश्नबीर का ही है लेकिन जो सबूत डिफैंस में दिए गए हैं उससे साबित ही नहीं हो रहा कि जश्नबीर ने नवदीप सिंह से परेशान होकर दरिया में छलांग लगाई थी। इस मामले में जालंधर कमिश्नरेट पुलिस सारी रिपोर्ट तैयार करके डी.जी.पी. ऑफिस दे चुकी है लेकिन कपूरथला पुलिस ने एक भी जानकारी उसके साथ सांझी नहीं की।
अगर कपूरथला पुलिस के पास कोई भी इंवैस्टिगेशन दौरान तथ्य सामने आए हैं तो तथ्य कम से कम माननीय कोर्ट में कहे जाएं। उप्पल ने आरोप लगाए कि कपूरथला पुलिस ने शुरू से लेकर अब तक कोई इंवैस्टीगेशन ही नहीं की। अगर लापता की शिकायत मिलने के बाद ही जांच शुरू कर दी होती उसे इतना समय बीत जाने के बाद भी जगह-जगह धक्के नहीं खाने पड़ते।
कहीं ट्रांसफर लिस्ट आने का इंतजार तो नहीं कर रही कपूरथला पुलिस?
इस मामले में कपूरथला पुलिस कहीं न कहीं अपने मुलाजिमों का बचाव करने के लिए इंवैस्टिगेशन को धीरे नहीं कर रही है। मानवदीप उप्पल ने कहा कि यह भी हो सकता है कि ट्रांसफर का समय नजदीक है और इस केस को लंबा खींचने के लिए कपूरथला पुलिस बदली का इंतजार कर रही हो, ताकि यह केस ट्रांसफर होकर आने वाले अधिकारियों पर पड़े और दोबारा से जांच हो शुरू हो जाए। उप्पल ने कहा कि कपूरथला पुलिस को 31 दिसंबर से पहले पहले अपनी जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करनी है लेकिन मुझे नहीं लगता कि कपूरथला पुलिस की एस.आई.टी. के पास कोई तथ्य या इंवैस्टीगेशन के इनपुट हैं।