दिल्ली के भाजपा सांसद हंसराज हंस ने पंजाब सरकार से लेकर जंतर-मंतर तक पर दिए बेबाकी से जवाब
punjabkesari.in Friday, May 05, 2023 - 01:04 PM (IST)

जालंधर(अनिल पाहवा) : गायिकी के क्षेत्र से रूहानी और अब रूहानी जिंदगी से राजनीति के क्षेत्र में आए जालंधर के रहने वाले और दिल्ली के नार्थ वैस्ट से सांसद हंसराज हंस ने दावा किया है कि जालंधर की लोकसभा सीट पर भाजपा न केवल सफल होगी, बल्कि 2024 में पंजाब की राजनीति में अपनी रणनीति का भी आगाज करेगी। पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत के दौरान हंसराज हंस ने जहां जंतर-मंतर पर धरने को लेकर अपनी बात कही, वहीं जालंधर के लोकसभा उपचुनाव पर भी अपनी बात बेबाकी से रखी। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश:-
पंजाब में भाजपा का ऊंट किस करवट बैठेगा?
पंजाब में भाजपा तेजी से उभर रही है। अकाली दल के साथ मिलकर पहले पंजाब की राजनीति में रही, लेकिन एक सीमित दायरे तक ही देखी जाती थी। लेकिन पहली बार भाजपा अपने बलबूते पर लोकसभा के किसी चुनाव में हिस्सा ले रही है। खासकर पंजाब के गांवों में भाजपा की शमूलियत न के बराबर थी, लेकिन अब गांवों में भी भाजपा का विस्तार तेजी से हो रहा है। गांवों के कई राजनीतिक दलों के लोग भाजपा में आ रहे हैं। दूसरे दलों में वो नेता जिन्होंने पूरी जिंदगी लगा दी, वे भी भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं। भाजपा अगर अपने स्तर पर पंजाब में सत्ता में आती है तो जाहिर है कि राज्य में विकास तेज होगा और लोगों को इसका फायदा होगा।
जालंधर में पैराशूट उम्मीदवार की क्या जरूरत थी?
पार्टी जब भी चुनाव लड़ती है, वह स्थितियों के अनुसार उम्मीदवार की तलाश करती है। जालंधर के चुनाव के लिए भी उम्मीदवार की तलाश की गई, जब माहौल के अनुसार उम्मीदवार नहीं मिला तो दूसरे दलों के संभावित लोगों पर नजर दौड़ाई गई। जहां तक इंदर इकबाल सिंह अटवाल की बात है, तो वे अच्छे परिवार से हैं, उनके पिता चरणजीत अटवाल की छवि साफ है। पार्टी ने काफी सोच विचार के बाद इंदर इकबाल सिंह अटवाल को टिकट दी है।
पंजाब में भाजपा की क्यों है जरूरत?
दो सरकारें मिलकर जब काम करती हैं तो विकास तेज होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसी शख्सियत है, जिनका लोहा देश के साथ-साथ विदेशों में भी माना जाता है। उनके काम करने के तरीके ने यह बात साबित की है कि कई तरह के बड़े मुद्दे हल हो रहे हैं। वरना यहां तो कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे न ही प्रचार करें तो पार्टी जीत जाएगी। कोरोना का समय हो या दुनिया में कोई बड़ी मुसीबत हो, भारत ने आगे बढ़कर सहयोग किया है। यहां तक कि कुछ लोग तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध पर प्रधानमंत्री के दखल की भी वकालत कर रहे हैं। अनुभवी प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अगर राज्य काम करेगा तो जाहिर है कि राज्य में तरक्की होगी।
क्या जालंधर के अब तक के विकास से संतुष्ट है आप?
स्व. संतोख चौधरी एक अच्छे इन्सान थे, वह अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनके बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन जालंधर में जिस तरह से काम होने चाहिए थे, वह नहीं हुए हैं। खास कर स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट में 100 प्रमुख शहरों में से जालंधर एक था, जितना बड़ा प्रोजक्ट था, अब तक तो जालंधर की दशा बदल जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जहां तक चौधरी परिवार की बात है तो मेरा उनसे कोई संपर्क नहीं है। कांग्रेस में मैं सिर्फ कैप्टन अमरेंद्र सिंह के करीब रहा हूं।
पंजाब सरकार के एक साल पर आपकी क्या राय है?
पिछले करीब 13 महीने से पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। इस सरकार में राज्य के लोगों को जो परेशानियां सहनी पड़ रही है, वे इससे पहले कभी नहीं हुईं। सबसे बड़ी बात है कि पंजाब के लोग अब असुरक्षित महसूस करने लगे हैं क्योंकि राज्य में आए दिन गैंगवार या गोली चलने की घटनाएं हो रही हैं। लोगों से फिरौतियां मांगी जा रही हैं, लेकिन सरकार राज्य के लोगों को सुरक्षा देने में असफल रही है। राज्य में कानून व्यवस्था का जनाजा निकल चुका है, जिसके कारण लोग परेशान हैं तथा इस परेशानी के आलम में वह अब आम आदमी पार्टी से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। जालंधर के लोकसभा उपचुनाव में यह बात साबित हो जाएगी कि लोग किस हद तक 'आप' सरकार से हताश है।
पंजाब में मुख्य मुद्दा क्या है?
राज्य में ड्रग्स एक ऐसा मुद्दा है, जो पंजाब को पूरी तरह से नुक्सान पहुंचा रहा है। राज्य में बॉर्डर एरिया से नशा आ रहा है, जिसके कारण यहां का युवा खराब हो रहा है। इसके साथ ही एक बेहद बड़ा मुद्दा है, राज्य में पानी का गिरता स्तर। इन दो मसलों पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है और यह तभी संभव होगा, जब राज्य में कोई अनुभवी सरकार आएगी।
जंतर-मंतर पर लगे धरने से कितना नुक्सान हुआ?
सबसे बड़ी बात यह है कि देश के बच्चे जो भारत की शान हैं, वो जंतर मंतर पर बैठे हैं। मेरा तो यह कहना है कि इस मामले में ईमानदारी के साथ तहकीकात होनी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। जहां तक बृजभूषण शरण सिंह की बात है तो मुझे नहीं पता कि वह कितने कसूरवार हैं, क्योंकि हर बात के दो पहलू होते हैं। मैंने रोते हुए बच्चों को देखा है, मन परेशान हुआ, इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता।
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