क्या तलाक लिए बिना लिव इन में रहते हुए प्रोटैक्शन का अधिकार है?- याचिकाकर्ता

punjabkesari.in Tuesday, May 25, 2021 - 02:38 PM (IST)

चंडीगढ़ (हांडा): लिव इन रिलेशन में रहते हुए पुलिस प्रोटैक्शन को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पशोपेश की स्थिति बनी हुई है। एक मामले में लिव इन रिलेशनशिप को सामाज की मर्यादाओं के लिए खतरा मानते हुए प्रोटैक्शन देने से इंकार किया जाता है। वहीं, अन्य मामले में कोर्ट टिप्पणी करती है कि लिव इन में रहना हर व्यस्क का संवैधानिक अधिकार है और लिव इन के लिए विवाह बंधन में बंधना भी जरूरी नहीं है।

इसी पशोपेश के बीच एक अजीबो गरीब मामले ने हाईकोर्ट को असमंजस में डाल दिया है। याचिकाकर्ता शादीशुदा है, लेकिन पत्नी के साथ अनबन है, जो साथ रहना नहीं चाहती। इसके चलते वह पत्नी से अलग रह रहा है। इस दौरान उसे लिव इन पार्टनर मिल गई। वह दोनों भाग कर लिव इन में रह रहे हैं, लेकिन ससुराल पक्ष से धमकियां मिल रही हैं। पुलिस जान-माल की रक्षा करने से इंकार कर रही है, क्योंकि वह शादीशुदा है। जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल ने याची पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए बड़ी बैंच में सुनवाई की मांग को वाजिब करार दिया है।

हाईकोर्ट के कई केसों में दिए फैसलों का जिक्र भी किया
याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष कुछ सवाल रखे हैं और जवाब के लिए बड़ी बैंच के गठन की मांग की है। उसके सवाल हैं कि लिव इन में रह रहे 2 व्यस्क याचिका दाखिल कर प्रोटैक्शन की मांग करते हैं तो क्या कोर्ट बिना परिस्थितियों को देखे और याची की दिमागी हालत का जायजा लिए बिना ही प्रोटैक्शन देगी? अगर सवाल का जवाब नैगेटिव होता है तो उसके क्या कारण होंगे? 

अगर कोर्ट यह समझती है कि वह शादीशुदा है इसलिए प्रोटैक्शन नहीं दी जा सकती तो उसके लिए ने हाईकोर्ट के कई केसों में दिए फैसलों का जिक्र किया है। हाईकोर्ट कई आदेशों में कह चुकी है कि लिव इन में रहने के लिए विवाह बंधन में बंधना जरूरी नहीं है। कोर्ट ने माना है कि कई फैसलों में एडल्ट शब्द का जिक्र करते हुए लिव इन में रहने की इजाजत देते हुए प्रोटैक्शन दी है।

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Content Writer

Tania pathak

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