Jalandhar: नगर निगम ने स्वच्छ सर्वेक्षण में इस बार बनाया नया Record, लेकिन...

punjabkesari.in Friday, Jul 18, 2025 - 03:15 PM (IST)

जालंधर : स्वच्छ भारत मिशन के तहत आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में जालंधर नगर निगम ने इस बार नया रिकार्ड बनाते हुए देशभर में 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में 82वां स्थान प्राप्त किया है। यह प्रदर्शन पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय रूप से बेहतर है, जब जालंधर को नेशनल लेवल पर 239 वां रैंक प्राप्त हुआ था। इस प्रकार जालंधर नगर निगम ने 157 पायदान ऊपर उठकर न केवल शहर की छवि को स्वच्छता के क्षेत्र में उज्ज्वल किया है, बल्कि पंजाब में तीसरे स्थान पर आकर एक नई मिसाल भी कायम की है।

रैकिंग में रिकार्ड बनाया लेकिन...

स्वच्छता रैंकिंग में नगर निगम ने रैंक में 157 अंक प्राप्त कर लिए हैं लेकिन डोर-टू-डोर में 91 प्रतिशत से लुढ़कर 40 प्रतिशत आ गया है। इसके बावजूद डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन और कचरा प्रोसेसिंग जैसे अहम पहलुओं में हालत अब भी कमजोर बनी हुई है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत किए गए स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में जालंधर की रैंकिंग चाहे काफी सुधरी पर निगम का प्रदर्शन इस बार मिश्रित रहा। सर्वे टीमों ने शहर का दौरा कर विभिन्न क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था की वास्तविक स्थिति का आकलन किया। टीमों ने स्थानीय लोगों से बातचीत, स्पॉट विज़िट, नगर निगम से दस्तावेज तलब, और फोन पर सर्वे के ज़रिए रिपोर्ट तैयार की। हालांकि यह रिपोर्ट दर्शाती है कि जालंधर नगर निगम ने रिहायशी और कमर्शियल इलाकों की सफाई पर तो अच्छा काम किया है, लेकिन कूड़े की प्रोसैसिंग, डंप साइट्स की मैनेजमैंट और वाटर बॉडीज की स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है।

डोर-टू-डोर कलेक्शन में भारी गिरावट

नगर निगम की सबसे बड़ी विफलता डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण में देखने को मिली है। जहां पिछले साल यह कवरेज 91 प्रतिशत था, वहीं इस बार यह 40 प्रतिशत तक गिर गया है। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि कचरे का घरों से नियमित उठाने का कम हो रहा है। गीले और सूखे कचरे को अलग करने का प्रतिशत भी 60% से घटकर 15% रह गया है। वरियाणा डंप यार्ड पर कचरे की प्रोसेसिंग पूरी तरह बंद रही, जिससे इस मोर्चे पर निगम को शून्य अंक मिले। अब प्रशासन ने वरियाणा में बायो-माइनिंग शुरू कर दी है, जिससे आने वाले समय में स्थिति सुधरने की उम्मीद है।

अंक तो बढ़े, लेकिन चुनौतियां बरकरार

जालंधर को इस बार कुल 9000 में से 6200 अंक प्राप्त हुए हैं। प्रदेश स्तर पर जालंधर नगर निगम को तीसरा स्थान मिला है। साथ ही निगम को वॉटर प्लस रेटिंग भी मिली है, जो इस बात का संकेत है कि एसटीपी से निकलने वाला पानी अब मानकों के अनुसार है और इसका उपयोग निर्माण कार्यों में हो रहा है। गौरतलब है कि पंजाब की 166 अर्बन लोकल बॉडीज (ULB) में 13 नगर निगम हैं। इनमें 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले अमृतसर और लुधियाना को इस रैंकिंग से बाहर रखा गया है। इसलिए जालंधर को 11 में से तीसरा स्थान मिला है। हालांकि, स्टेट रैंकिंग में 96वां स्थान हासिल हुआ है, जो बताता है कि सुधार की काफी गुंजाइश अब भी बाकी है।

शहर अब भी पिछड़ रहा 

85 वार्डों में रैग पिकर्स घरों से कचरा उठाते हैं, लेकिन गीला-सूखा अलग नहीं किया जाता। निगम के पास कचरा उठाने वाले वाहनों की कमी है, जिससे शत-प्रतिशत लिफ्टिंग संभव नहीं। यूनियनों के विरोध व हड़तालों के कारण कामकाज बार-बार ठप हो जाता है। एमआरएफ शेड जैसे स्थलों पर स्टाफ की भारी कमी रहती है। मुख्य सड़कों पर 100 से अधिक अवैध डंप साइटें है। 39 करोड़ की लागत से खरीदे जाने वाले नए वाहनों की प्रक्रिया अब तक अधूरी है।

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News Editor

Kamini

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