फिर छोटा किया जा रहा है जालंधर का मशहूर चौक, गलती नहीं सुधार रहे अफसर व राजनेता
punjabkesari.in Monday, Sep 11, 2023 - 02:19 PM (IST)

जालंधर : केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जालंधर को सुंदर बनाने के नाम पर करोड़ों रुपए की जो ग्रांट आई, उसमें पिछली कांग्रेस सरकार के समय न केवल भारी गड़बड़ी की गई बल्कि अत्यंत घटिया स्तर के काम भी करवाए गए। अब हालात यह हैं कि जालंधर में स्मार्ट सिटी के ज़्यादातर प्रोजैक्ट फेल हो चुके हैं या ठप्प पड़े हैं। ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के चंडीगढ़ बैठे अधिकारी अत्यंत खफा हैं परंतु इस मामले में कोई कार्रवाई भी नहीं हो पा रही। वहीं फिर वर्कशॉप चौक को छोटा किया जा रहा है जिससे ट्रैफिक के गुजरने पर दिक्कतें आएंगी जबकि गलती को अफसर और राजनेता सुधार नहीं रहे हैं।
अब जिस प्रकार स्मार्ट सिटी के कई महत्वपूर्ण प्रोजैक्ट फेल हो चुके हैं और बाकी काम पूरे होने का नाम ही नहीं ले रहे, माना जा रहा है कि उस कारण आने वाले निगम और लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को अच्छी खासी मुश्किलें पेश आ सकती हैं।
वर्कशॉप चौक छोटा होने पर एतराज सभी को परंतु आगे कोई नहीं आ रहा
इन दिनों वर्कशॉप चौक पर स्मार्ट रोड का निर्माण चल रहा है पर चौक के नए डिजाइन के तहत जिस तरह इसे पहले से छोटा किया जा रहा है, उससे माना जा रहा है कि आने वाले समय में ट्रैफिक को लेकर गंभीर समस्याएं आएंगी। पिछले समय दौरान इस चौक के डिजाइन पर शहर के विधायकों तथा पार्षदों तक ने एतराज जताए थे परंतु न तो किसी विधायक और न ही किसी पूर्व पार्षद की सुनवाई हुई और आज भी वर्कशॉप चौक पर पुराने डिजाइन के हिसाब से ही काम चल रहा है। सभी दलों के नेता भी वर्कशॉप चौक को छोटा करने के खिलाफ हैं पर हैरानी इस बात की है कि कोई इसे ठीक करने आगे ही नहीं आ रहा।
वर्कशॉप चौक आज से 3-4 साल पहले शहर का सबसे सुंदर और व्यवस्थित चौराहा था परंतु फिर भी स्मार्ट सिटी जालंधर में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों ने इस चौक को 1 करोड़ रुपया लगाकर सुंदर बनाने का प्रोजैक्ट तैयार कर लिया। इस पैसे की बर्बादी का जिम्मेदार कौन है? इस प्रोजैक्ट के चलते चौक को पूरी तरह तोड़ दिया गया और उसे और छोटा कर दिया गया। एक करोड़ रुपया लगाकर भी जब इस चौक की हालत नहीं सुधरी तो ऊपर से स्मार्ट सिटी का एक और प्रोजैक्ट सरफेस वाटर यहां लॉन्च कर दिया गया। फिर यहां स्मार्ट रोड्ज प्रोजैक्ट चला जो दिक्कतों का कारण बना रहा।
स्मार्ट सिटी के प्रोजैक्ट या तो लटक रहे या भ्रष्टाचार का शिकार हो गए
- सरफेस वाटर प्रोजेक्ट लटक लटक कर चल रहा है। नई सड़कें खोदने की तैयारी तो चल रही है परंतु पुरानी खोदी गई सड़कों को बनाया नहीं जा रहा। लोग इस प्रोजैक्ट से लम्बे समय से परेशान हैं।
- 50 करोड़ का स्मार्ट रोड्ज प्रोजैक्ट भी अभी तक सिरदर्दी बना हुआ है। दो साल से टूटी सड़कों पर लोग मिट्टी फांक रहे हैं और निगम तथा सरकार को लगातार कोस रहे हैं। काम पूरा होने में ही नहीं आ रहा। जो सड़के स्मार्ट बननी थीं, उनकी हालत पहले से भी ज्यादा बदतर हो चुकी है।
- 55 करोड़ रुपए का एल.ई.डी स्ट्रीट लाइट प्रोजैक्ट भी घोटाले का शिकार होकर रह गया है। कंपनी शिकायतों का हल नहीं कर पा रही। आधा शहर अंधेरे की चपेट में है। लोग साफ कह रहे हैं कि इससे अच्छी तो पुरानी स्ट्रीट लाइटें ही थी जो रोशनी तो दे रही थी।
- मिट्ठापुर हॉकी स्टेडियम को सुंदर बनाने का प्रोजैक्ट बीच में ही लटका हुआ है। हॉकी खिलाड़ी अत्यंत गुस्से में है और अधूरे काम से उन्हें परेशानी भी हो रही है। काम भी घटिया स्तर का हो रहा है ।
- 120 फुट रोड स्टार्म वाटर सीवर प्रोजैक्ट चाहे पूरा हो गया है परंतु निगम ने उसे टेकओवर नहीं किया है। सही तरीके से साफ सफाई ना होने के चलते यह प्रोजैक्ट भी लोगों को सुविधा प्रदान नहीं कर पा रहा ।
- यू.आई.डी. नंबर प्लेट लगाने का प्रोजैक्ट छोटा सा है परंतु कंपनी उस पर भी तेजी से काम नहीं कर रही। कोई अधिकारी इस प्रोजैक्ट में दिलचस्पी ही नहीं ले रहा। कहा जा रहा है कि जल्द शहर में नंबर प्लेटें लगेंगीं परंतु कब, इसका कोई अता पता नहीं ।
- बर्ल्टन पार्क प्रोजैक्ट बंद हो चुका है। बायो माइनिंग शुरू ही नहीं हो पाया। बॉटल क्रशर मशीनें जगह जगह लगाई गईं पर उनमें एक भी बोतल क्रश नहीं हुई। पार्कों पर करोड़ों खर्चे गए पर उनकी हालात पहले से भी बदतर हो गई।
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