Jalandhar स्मार्ट सिटी में हुआ घोटाला विजिलेंस की रडार पर! सख्त Action की तैयारी

punjabkesari.in Monday, Apr 22, 2024 - 10:18 AM (IST)

जालंधर : लंबे समय से छावनी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक परगट सिंह ने 2018 में छावनी क्षेत्र के 12 गांवों को निगम की सीमा में शामिल करने से संबंधित प्रस्ताव दिया था जिस पर लंबी कार्रवाई चली और 2020 में इन 12 गांवों को निगम सीमा में शामिल कर लिया गया और औपचारिक नोटिफिकेशन भी जारी हो गया। अब कुछ ही महीनों बाद होने जा रहे निगम चुनावों के बाद इन सभी गांवों में पंचों सरपंचों की बजाय अब इन गांवों से बने वार्डों का प्रतिनिधित्व पार्षद किया करेंगे।

माना जा रहा है कि जिस प्रकार इन गांवों को निगम सीमा में शामिल हुए 4 साल का अरसा बीत चुका है, उस हिसाब से इन नए क्षेत्रों में विकास का तो नामोनिशान दिखाई नहीं दे रहा परंतु अब इन क्षेत्रों के लोगों को टैक्स सिस्टम को लेकर तरह-तरह की समस्याएं आनी शुरू हो गई हैं।

अब नगर निगम इन गांवों के निवासियों से प्रॉपर्टी टैक्स भी इकट्ठा कर रहा है और साथ ही साथ वाटर सीवरेज चार्ज भी वसूलने की प्रक्रिया शुरू है। इन गांवों के तहत आते सभी दुकानदारों को अब निगम से लाइसेंस भी लेना होगा। पहले इन गांवों के लोगों को घर दुकान इत्यादि बनाने की खुली छूट थी और उन्हें कोई पूछता नहीं था परंतु अब एक नई ईंट लगाते ही निगम अधिकारी और कर्मचारी पहुंच जाते हैं और नोटिस थमा देते हैं। गांवों से टैक्स कलेक्शन आसान बनाने के लिए यहां सभी घरों दुकानों इत्यादि के आगे यू.आई.डी.यू. युक्त नंबर प्लेटें भी लगाई जा रही हैं।

12 गांवों का नया स्ट्रीट लाईट सिस्टम ही खराब कर दिया

स्मार्ट सिटी कंपनी जालंधर में रहे पुराने अधिकारियों ने अपने कार्यकाल के दौरान खूब मनमर्जियां की जिसका सबसे बड़ा उदाहरण एल.ई.डी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट है जिसमें सबसे ज्यादा गड़बड़ी हुई। इस प्रोजेक्ट के टैंडर की शर्त के मुताबिक कंपनी ने सिर्फ पुरानी लाइटों के स्थान पर ही नई लाइटें लगानी थी। शहर में से 44283 पुरानी लाइटें उतारी गई परंतु उनके स्थान पर 72092 नई लाइटें लगा दी गई। इस प्रकार टैंडर की शर्त के उल्ट जाकर 27809 लाइटें ज्यादा लगा दी गई जो 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं।

कंपनी ने शहर की सीमा में नए जुड़े गांवों में 2092 लाइटें लगानी थीं जिनमें 35 वाट की 2036 और 90 वाट की सिर्फ 56 लाइटें लगनी थीं। हालात यह हैं कि कंपनी ने इन गांवों में 90 वाट की तो एक भी लाइट नहीं लगाई बल्कि 18 वाट की 1683, 35 वाट की 483, 70 वाट की 55 एल.ई.डी लाइटें लगा दीं। इस प्रकार नया सिस्टम ही खराब कर दिया गया।

पंजाब सरकार ने करीब दो साल पहले थर्ड पार्टी एजेंसी नियुक्त करके इस प्रोजेक्ट की असंख्य गड़बड़ियों का पता लगा लिया था परंतु तब जालंधर स्मार्ट सिटी में बैठे अधिकारी इतने निडर थे कि उन्होंने थर्ड पार्टी एजैंसी की रिपोर्ट को भी फाइलों में ही दफन कर दिया और उसके आधार पर भी कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसी मनमर्जी कई प्रोजेक्टों में की गई जिसमें चंडीगढ़ बैठे अधिकारी भी शामिल रहे।

अब चूंकि बाकी प्रोजेक्टों के साथ साथ एल.ई.डी. प्रोजेक्ट की जांच भी विजिलेंस द्वारा की जा रही है, पता चला है कि जांच में इस बिंदु को प्रमुख रखा गया है कि ज्यादा लाइटें लगाकर और गांवों में कम वाट की लाइटें लगाकर कंपनी को अनुचित फायदा पहुंचाया गया जो भ्रष्टाचार की श्रेणी में ही आता है।

कुछ अफसरों पर गाज गिरनी तय

स्मार्ट सिटी जालंधर में घोटाले करने वाले ज्यादातर अफसर इस समय रिटायरमेंट के बाद पंजाब सरकार से भारी भरकम पेंशन भी प्राप्त कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर आने वाले समय में विजिलेंस ने जालंधर स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों में घोटाले साबित कर दिए तो पंजाब सरकार सबसे पहले ऐसे अफसरों की पेंशन और भत्तों इत्यादि पर रोक लगा सकती है और उन्हें जवाबदेह भी बनाया जा सकता है। इसलिए माना जा रहा है कि विजिलेंस की कार्यवाही की गाज कई अफसरों पर गिरनी तय है।

निगम सीमा में शामिल हुए नए गांव

- सोफी पिंड
- खुसरोपुर
- फोल्ड़ीवाल
- रहमानपुर
- हल्लोताली
- अलीपुर
- संसारपुर
- धीणा
- नंगल करार खां
- खुसरोपुर
- सुभाना
- खांबड़ा

 

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News Editor

Kalash

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