Labour day: मजदूरों के लिए हर रोज की खुराक बनते हैं आंसू

punjabkesari.in Wednesday, May 01, 2019 - 12:32 PM (IST)

जीरा/मक्खू (अकालियांवाला): देशभर में मजदूर दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है लेकिन यह दिन मजदूरों की तकदीर बदलने के लिए मददगार नहीं बन सका।
PunjabKesari
हमारे राजनेताओं द्वारा चुनाव दौरान अक्सर मजदूरों को कई तरह के दिलासे दिए जाते हैं लेकिन सत्ता प्राप्ति के बाद मजदूरों के चेहरों पर उदासी की झलक उतारने के अलावा मजबूरियों तथा गरीबी के सीने में से उड़ती टीस के निवारण के लिए कोई भी राजसी नेता मसीहा नहीं बन सका, जो खुशहाली का नकाब उनके चेहरों पर पहना सके। इस कारण आंसू मजदूरों की जिंदगी की रोज की खुराक बन गए हैं। हर काम का मशीनीकरण होने कारण महीनों का काम दिनों तथा घंटों में खत्म होने से आज का मजदूर दो वक्त  की रोटी को तरसता हुआ अपने सिर पर चढ़े कर्जे के बोझ को माफ करवाने के लिए समय की सरकारों की तरफ देखता है। ऐसा नहीं कि मजदूर ने अपनी जिंदगी बदलने के लिए कोई प्रयास न किया हो। मजदूर की मेहनत से अमीर घराने और अमीर हो गए लेकिन मजदूर की जिंदगी गरीबी की दीवार अभी तक नहीं फांद सकी जो आज भी अमीर लोगों की गुलामी का संताप भोग रहा है।'

PunjabKesari

इसी दिन मनाया जाता है भाई लालो जी दिवस
साहिब श्री गुरु नानक देव जी किसानों, मजदूरों तथा किरती लोगों के हामी थे तथा उस समय के अहंकारी तथा लुटेरे हाकिम मलिक भागो की रोटी न खाकर उसका अहंकार तोड़ा तथा भाई लालो की किरत-कमाई को सत्कार दिया था। गुरु नानक देव जी ने किरत करना, नाम जपना, बांट कर छकना तथा दसवंध निकालने का संदेश दिया। गरीब मजदूर तथा मुलाजिम का हलीमी शासन स्थापित करने के लिए मनमुख से गुरमुख तक की यात्रा करने का संदेश दिया। इसी कारण 1 मई को भाई लालो दिवस के तौर पर भी सिख जगत में मनाया जाता है। आओ आज साहिब श्री गुरु नानक देव जी के उन आदेशों को मानकर सच्ची किरत करने का प्रण करें।
—बेअंत सिंह खालसा चेयरमैन एच.के. पब्लिक स्कूल शाहवाला।

यदि 2 लाख तक का कर्ज माफ हो जाए तो बदल सकते हैं मजदूरों के दिन

खेत मजदूरों पर कुल चढ़े कर्जे का तकरीबन 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा गैर-संस्थागत स्रोतों का है। 10 प्रतिशत से कम हिस्सा ही संस्थागत स्रोतों का है। खेत मजदूरों पर 2016-17 दौरान 70,000 से 2,20,000 रुपए तक कर्जा चढ़ा। 2010-11 दौरान यह कर्जा 27,000 से 37,500 रुपए था। पंजाब सरकार के आगे खेत मजदूरों पर चढ़े 2 लाख रुपए तक के कर्जे माफ करने की मांग उठाई जा रही है। यदि सरकार इन पर चढ़े 2 लाख रुपए तक के कर्जे माफ करने की सिफारिश कर देती तो तकरीबन सभी खेत मजदूर कर्जे के बोझ से मुक्त हो जाते तथा उनके दिन बदल सकते हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Vatika

Recommended News

Related News