Ludhiana : डेंगू के मामले हुए 400 से पार, स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहा डेंगू से मरने वालों का खुलासा
punjabkesari.in Monday, Nov 03, 2025 - 11:02 PM (IST)
लुधियाना (सहगल) : जिले में डेंगू से बीमार होकर आने वाले मरीजों का सरकारी आंकड़ा 400 से पार कर गया है, हालांकि सही संख्या इससे अधिक बताई जा रही है। दूसरी ओर डेंगू से मरने वाले मरीजों की संख्या के बारे में स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक चुप्पी साध रखी है, जिसका कारण यह बताया जाता है कि हेड ऑफिस के हुक्म है कि हर मरने वाले मृतक की फाइल को डेंगू डेथ रिव्यू कमेटी जांच कर किसकी पुष्टि करेगी कि मरने वाले व्यक्ति की मौत डेंगू से हुई है या अन्य कारणो से। अतीत में भी कई लोगों की डेंगू से ही मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग में उसके मौत के कारणो को किसी और बीमारी से जोड़ दिया जबकि जिस डॉक्टर ने मरीज का उपचार किया, उसके ओपिनियन को नजर अंदाज करने के साथ-साथ लैब रिपोर्ट्स को भी जानकारी दी। अगर लैब रिपोर्ट में डेंगू पॉजिटिव आया है तो सिविल अस्पताल में क्रास चेकिंग के नाम पर लेब रिपोर्ट्स को ही गलत साबित कर दिया। अगर उपचार करने वाले डॉक्टर का डायग्नोज गलत था या लैब रिपोर्ट गलत थी तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई और यह सिलसिला कई वर्षों से जारी है। कहा जाता है कि ऐसा इसलिए किया जाता है कि डेंगू को महामारी घोषित न करना पड़े और ना ही सरकार को किसी मरीज के परिजनों को इसका मुआवजा देना पड़े ।
डेंगू के संदिग्ध मरीजों की रिपोर्ट्स छिपाई
स्थानीय अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की काफी संख्या सामने आ रही है परंतु स्वास्थ्य विभाग इसकी संख्या को सदैव कम बताता आ रहा है और अधिकतर मरीजों को संदिग्ध मरीजों की श्रेणी में रखा जाता है परंतु इन संदिग्ध मरीजों की सूचना को स्वास्थ्य विभाग सार्वजनिक नहीं करता जबकि दूसरी ओर इन मरीजों को अस्पतालों के रिकॉर्ड में पॉजिटिव ही बताया जाता है। ऐसे में अगर अस्पताल गलत उपचार करते हैं या गलत रिपोर्ट्स बनाते हैं तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती।
मरीज के फायदे की बात नहीं की जा रही
डेंगू का उपचार करने वाले मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि सरकार को हर अस्पताल के लिए डेंगू के उपचार के दाम सार्वजनिक रूप से डिस्प्ले करने के निर्देश जारी किए जाने चाहिएं ताकि लोग अस्पतालों की लूट का शिकार ना हों। जैसा कि अक्सर सामने आता है। डेंगू के उपचार में सरकार द्वारा निर्धारित दामों से अधिक दाम मरीजों से लिए जाते है। हर निजी तथा कारपोरेट अस्पतालों के दामों में सरकार द्वारा निर्धारित दामों में भारी अंतर होता है जिसका भार मरीजों पर पड़ता है। लोगों का कहना है कि सरकार लोगों के हितों का ध्यान नहीं रख रही है। आज तक एक भी अस्पताल के विरुद्ध कार्रवाई तो दूर एक शो काज नोटिस भी जारी नहीं हुआ है।

