बच्चों के घर तक पहुंचेगा मिड डे मील का अनाज, बैंक अकाउंट में डाली जाएगी कुकिंग कास्ट

punjabkesari.in Tuesday, Mar 31, 2020 - 07:35 PM (IST)

लुधियाना(विक्की): राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में पहली से 8वीं कक्षा तक पढऩे वाले बच्चों को मिड डे मील के रूप में दोपहर का खाना उपलब्ध करवाया जाता है। लेकिन कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण 23 मार्च से 31 मार्च 2020 तक स्कूलों में विशेष छुट्टियां होने के कारण उन्हें मिड-डे-मील नहीं परोसा गया और अब पंजाब सरकार और भारत सरकार द्वारा लॉकडाउन की मियाद को 15 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है। जिसके चलते अब विभाग द्वारा मिड डे मील की कुकिंग कॉस्ट को विद्यार्थियों के खाते में ट्रांसफर करने का फैसला किया गया है। 

इस संबंध में डायरेक्टर शिक्षा विभाग (एलीमेंट्री शिक्षा) पंजाब ने एक पत्र जारी करते हुए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (एलीमेंट्री शिक्षा और सेकेंडरी शिक्षा) को दिशा निर्देश दिए हैं कि दिनांक 15 अप्रैल तक 24 दिनों की कुकिंग कॉस्ट जोकि प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए 4.48 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से  107.52 रुपए और अपर प्राइमरी के बच्चों के लिए 6.71 रुपए प्रति दिन के हिसाब से 161.04 रुपए बनती है सीधी ही उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की जाए। इसके इलावा फूडग्रेन की सप्लाई जो कि प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए 100 ग्राम प्रतिदिन के हिसाब से 2.400 (1.200 किलोग्राम गेहूं और 1.200 किलोग्राम चावल) किलोग्राम और अपने प्राइमरी के बच्चों के लिए 150 ग्राम प्रतिदिन के हिसाब से 3.600 किलोग्राम (1.800 किलोग्राम गेहूं और 1.800 किलोग्राम चावल) बच्चों के घरों तक सील बंद पैकेट में पहुंचाने के लिए प्रबंध किए जाएं। इस संबंध में कुकिंग कास्ट की राशि और अनाज पहले हो उपलब्ध करवाया जा चुका है।

लॉकडाउन में कैसे बाटेंगे अनार के पैकेट?
अदालत में पहुंचे इस मामले के कारण शिक्षा विभाग द्वारा उक्त आदेश जारी करते हुए जहां अपना पीछा छुड़वाने की कोशिश की गई है। वहीं इस संबंध में यह नहीं बताया गया कि अनाज के पैकेट कौन तैयार करेगा और वह कैसे वितरित किए जाएंगे। पंजाब सरकार द्वारा पहले ही लोगों को एक दूसरे के संपर्क से दूर रखने के लिए लॉकडाउन/कफ्र्यू लगाया गया है और अगर ऐसे में किसी भी  स्कूल अध्यापक या जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारी की ड्यूटी पैकेट बनाने और वितरित करने में लगती है तो यह पंजाब सरकार के दिशा निर्देशों का सीधा-सीधा उल्लंघन होगा। वहीं अगर अध्यापक वर्ग को इस काम में लगाया जाता है तो अधिकांश अध्यापक अलग-अलग स्थानों से स्कूलों में पढ़ाने के लिए आते हैं और ऐसे में वह कैसे स्कूल पहुंचेंगे और कैसे अनाज के पैकेट तैयार करेंगे इस बात पर भी सवालिया निशान है।

आज भी हमारे कई अध्यापक सेक्टर ऑफिसर के रूप में कार्य कर रहे हैं। इस काम को करने के लिए वह अपने मिड डे मील कार्यकत्र्ताओं से संपर्क कर सकते हैं। अभी यह बात पक्की है कि कोरोना वायरस के कारण हम शत प्रतिशत बच्चों को कवर नहीं कर सकते। हम माननीय अदालत के दिशा निर्देशों की पालना करते हुए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के दिशा निर्देशों की पालना भी करनी है और हम यह भी चाहते हैं कि इस समय के दौरान बच्चों की कुछ ना कुछ सहायता की जा सके। - डीपीआई इंदरजीत सिंह


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