पंजाब में ज्यादातर ATM खाली, बैंकों में कैश लेन-देन नहीं

punjabkesari.in Thursday, Apr 02, 2020 - 09:22 AM (IST)

जालंधर(एन. मोहन): पंजाब के लोगों को एक बार फिर से अघोषित नोटबंदी का सामना करना पड़ रहा है। रा’य के 7206 ए.टी.एम. में से अधिकतर में राशि 3-4 दिन से खत्म हो चुकी है। हालांकि सरकार ने बैंकों को खोलने के निर्देश जारी किए है परन्तु 10 बैंकों के 4 बैंकों में विलय होने के चलते खाताधारकों के खातों के तबादले होने हैं जिसे कम से कम 10 दिन का समय लगेगा। वैसे भी बैंकों ने अभी आंतरिक कार्यों पर जोर दिया हुआ है और कैश का लेन-देन अघोषित रूप से बंद है। 

राज्य के लोग लॉक डाऊन के बाद लगे कर्फ्यू उपरांत आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। चूंकि नकदी ’यादा रखी नहीं गई थी इसलिए लोगों की नजर बार-बार ए.टी.एम. की तरफ  दौड़ती है। जैसे ही थोड़ी राहत अथवा कर्फ्यू पास मिलता है तो लोग पैसे निकलवाने चल पड़ते हैं परन्तु अधिकतर ए.टी.एम. खाली पड़े हैं। ’यादा संकट उन मजदूर और प्रवासी लोगों को हो रहा है जिनके पास अधिक धन नहीं है और वे अपने राज्य में जाने के प्रयास में है। वैसे भी सरकार ने अपने दावे के बावजूद कई स्थानों पर राहत नहीं पहुंचाई जिसके चलते मजदूरों को खाने के लाले पड़े हुए हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल लुधियाना में है जहां पुलिस सख्ती के चलते मजदूर बाहर भी नहीं निकल पर रहे हैं। ऐसी ही स्थिति बठिंडा में देखी गई। कई ए.टी.एम. में जाने के बाद कही जा कर राशि मिलने का सौभाग्य मिलता है। बैंकों के अधिकारी कहते हैं कि बैंक को आंतरिक कार्यों के लिए खोला गया है, नकदी लेन-देन के लिए नहीं। पूरे राज्य भर से ए.टी.एम. में कैश को लेकर ऐसी सूचनाएं हैं।

बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि ओरिएंटल बैंक ऑफ  कामर्स, यूनाइटिड बैंक ऑफ इंडिया समेत 10 बड़े बैंकों का 4 में विलय औपचारिक रूप से आज ही शुरू हो रहा है। ऐसे में विलय वाले बैंकों की राशि, विवरण व अन्य डाटा तबदील होने में समय लगेगा और तब तक कैश का कार्य बंद रहेगा। दूसरी ओर लोगों के खातों में पैंशन भी नहीं आ रही जिससे आर्थिक तंगी की स्थिति बन रही है। हालांकि चंडीगढ़ में मोबाइल ए.टी.एम. द्वारा लोगों को सुविधा दी जा रही है परन्तु बैंक और सरकारें भी ए.टी.एम. को लेकर अभी असमंजस में हैं, क्योंकि ए.टी.एम. पर लोगों की उंगलियों का संपर्क बराबर बना रहता है। इस संदर्भ में पंजाब एक बैंकों की रा’यीय स्तरीय कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से बार-बार प्रयास किया गया जिनमें से कई कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थे और कुछ ने आर.बी.आई. से कैश आने की बात कह कर इतिश्री कर ली।


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