प्रदूषण के मामले में उत्तर भारत के इन राज्यों की हालत बदत्तर-CSE की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

punjabkesari.in Thursday, Feb 25, 2021 - 12:37 PM (IST)

जालंधर: पिछले कई साल से दिल्ली-एनसीआर को वायु प्रदूषण से निजात ही नहीं मिल पा रही है। यहां तक सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद भी केंद्र सरकार इस मामले में गंभीर नहीं दिख रही है। हाल ही में सीएसई द्वारा जारी रिपोर्ट में एक बार फिर से दिल्ली एन.सी.आर. की हवा को शहरवासियों के लिए घातक बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पॉल्यूशन के मामले में दोनों ही शहर इस बार भी टॉप पर है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट लगातार 2 साल से दखलअंदाजी करता आ रहा है। कई बार केंद्र  सरकार को दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए निर्देश भी जारी कर चुका है। बीते साल सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने जवाब दायर करते कहा था कि उसने प्रदूषण से निपटने के लिए एक आयोग का गठन किया है लेकिन अभी तक यह आयोग किन गाइडलाइंस पर काम कर रहा है। इसका कोई ठोस खाका तैयार नहीं हुआ है। 

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सी.एस.ई. की रिसर्च एवं एडवोकेसी इंचार्ज व कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि सर्दियों में ठंड और गर्मियों के मौसम में प्रदूषण बढ़ना एक खास चुनौती होता है। 2020 में कोरोना काल में जहां पूरा देश घरों में बंद था तो गर्मी और मानसून सीजन में प्रदूषण कम रहा, इसके बावजूद सर्दी के वर्तमान सीजन में 2019 के सीजन के मुकाबले पीएम2.5 का स्तर अधिक है, जोकि चिंता का विषय है। ऐसे में  वाहन, उद्योग, बिजली घर और कूड़ा जलाने आदि से बढ़ने वाले प्रदूषण पर लगाम लगानी होगी। सी.एम.ई. रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण भारत के शहरों के मुकाबले उत्तर भारत के शहरों में 3 गुणा अधिक प्रदूषण पाया गया। पिछली सर्दियों (अक्टूबर से जनवरी) के मुकाबले इन सर्दियों में जिन 99 शहरों का एनालिसिस किया गया, इनमें गुरुग्राम, लखनऊ, जयपुर, विशाखापट्टनम, आगरा, नवी मुंबई और जोधपुर व कोलकाता शामिल है। इन शहरों में पीएम 2.5 का स्तर खराब रहा।  वहीं सिर्फ 19 शहर ऐसे पाए गए जहां हवां की गुणवत्ता में पिछली सर्दियों के मुकाबले इन सर्दियों में सुधार हुआ है। इन शहरों की सूची में चैन्नई का नाम भी शामिल हैं जबकि 37 शहरों में हवा की गुणवत्ता में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया।

इन शहरों का मौसम रहा स्थाई
रिपोर्ट के अनुसार उत्तर भारत के  15 ऐसे शहर जहां पिछली सर्दी 8 प्रतिशत से कम बदलाव आए है जिनमें मुख्यता फरीदाबाद, वाराणसी, जालंधर, खन्ना, नोएडा, अंबाला, पटियाला, अमृतसर, रूपनगर, गाजियाबाद, नारनौल, दिल्ली, मुरादाबाद, ग्रेटर नोएडा और कानपुर शामिल है।  

इन शहरों के प्रदूषण में आई बढ़ौतरी
वहीं 26 शहर ऐसे है जहां पिछली सर्दियों के मुकाबले इन सर्दियों में प्रदूषण के स्तर में 8 प्रतिशत बढौ़तरी हुई है। जिनमें बागपत, लुधियाना, गुरुग्राम, कुरुक्षेत्र, हिसार, मेरठ, भटिंडा, यमुना नगर, जींद, मानेसर, लखनऊ, रोहतक, अलवर, भिवाड़ी, बुलंदशहर, पंचकुला, कैथल, धारूहेड़ा, बहादुरगढ़, और सोनीपत थे। वहीं हरियाणा के फतेहवाद में मौसमी औसत में 228 प्रतिशत, आगरा में 87 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है।
 
इन शहरों में दिखा प्रदूषण का कम स्तर 
पानीपत, हापुड़, मंडीखेड़ा, करनाल, बल्लभगढ़, सिरसा, चंडीगढ़ और मंडी गोबिंदगढ़ जैसे 12 ऐसे शहर है जिन में गिरावट देखने को मिली यानी पिछली सर्दियों से 8 प्रतिशत से अधिक की कमी। वहीं हरियाणा में भिवानी और पलवल के मौसम में 60 प्रतिशत से अधिक गिरावट देखने को मिली।
 

सबसे प्रदूषित क्लस्टर
सबसे प्रदूषित क्लस्टर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र है जिसमें गाजियाबाद बुलंदशहर, ग्रेटर नोएडा, नोएडा और दिल्ली पैक प्रमुख हैं। कानपुर और लखनऊ ने चार्ट में छठे और नौवें स्थान पर है। वहीं  हरियाणा में भिवानी और पलवल और राजस्थान के अलवर में 2020-21 के दौरान सबसे कम मौसमी औसत दर्ज किया गया। दिलचस्प बात यह है कि पांच सबसे कम प्रदूषित लोगों में चंडीगढ़ एकमात्र प्रमुख शहर है। किसी भी शहर में 40 μg / m3 के वार्षिक मानक से नीचे मौसमी औसत नहीं था। 


 


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Vatika

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