कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पार्लियामेंट में उठाया जम्मू -कश्मीर में पंजाबी भाषा का मुद्दा

punjabkesari.in Monday, Sep 14, 2020 - 05:45 PM (IST)

रूपनगर (विजय शर्मा): सीनियर कांग्रेसी नेता और श्री आंनदपुर साहब से लोकसभा मैंबर मनीष तिवारी ने आज पार्लियामेंट में केंद्र की भाजपा सरकार पर उसके पंजाबी विरोधी रवैये के लिए बरसते नजर आए। इस दौरान उन्होंने खुलासा किया कि केंद्र सरकार की तरफ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू -कश्मीर के लिए पांच अधिकारिक भाषाओं को नोटिफाई करते हुए पंजाबी को नजरअंदाज कर उनके साथ भेदभाव किया गया है।

पार्लियामेंट में स्पीकर ओम बिरला की बेंच को संबोधन करते तिवारी ने कहा कि शेर-ऐ -पंजाब महाराजा रणजीत सिंह ने थे 1808 में जम्मू पर अपना अधिकार जमाया था। सन 1820 में उन्होंने जम्मू की जागीर महाराजा गुलाब सिंह के पिता मियां किशोर सिंह जामवाल को दिया था। जबकि 1822 में उन्होंने खुद महाराजा गुलाब सिंह को जम्मू के राजा के तौर पर अपने हाथों से राजतिलक किया था।

करीब 200 सालों से जम्मू और उसके आस -आसपास के इलाकों में पंजाबी का बोलबाला है। जम्मू और कश्मीर में पंजाबी और उसकी कई उप -बोलियां बोली जाती हैं और 1947 में जब देश का विभाजन हुआ तो बड़ी संख्या में पंजाबी भाषाई लोग जम्मू और कश्मीर में आकर बस गए थे परन्तु केंद्र सरकार की तरफ से 2 सितंबर 2020 को नोटिफाई की गई जम्मू -कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं में सिर्फ़ कश्मीरी, डोगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेज़ी को शामिल करते पंजाबी के साथ भेदभाव किया गया है। उन्होंने मांग की कि सरकार को नोटिफिकेशन में पंजाबी भाषा को भी शामिल करना चाहिए और केंद्र शासित प्रदेश में पंजाबी भाषा के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। 


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Tania pathak

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