ठेकेदारों को नुक्सान पहुंचाने वाली पॉलिसी, विभाग को नहीं मिला उम्मीद मुताबिक रिस्पांस
punjabkesari.in Wednesday, Jun 29, 2022 - 10:35 AM (IST)

जालंधर/लुधियाना (पुनीत/सेठी): पंजाब सरकार ने बजट में राजस्व वृद्धि करने के लिए आबकारी नीति को अहम माध्यम बताया है, जिससे राज्य के राजस्व में 56 प्रतिशत की वृद्धि होगी। एक तरफ सरकार आबाकारी विभाग से इतनी बड़ी अपेक्षाएं रख रही है, वहीं इसके विपरीत जो पॉलिसी लाई गई है, उसमें पंजाब का छोटा ठेकेदार निवेश करने से डर रहा है।
सरकार के बजट को लेकर उद्योगिक इकाइयों की नैगेटिव प्रतिक्रिया आई है जिससे साफ होता है कि सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर कार्य किए बिना ही नीतियां बनाई जा रही हैं। ठेकेदारों के ग्रुप ने एकमत होकर उक्त बातों का प्रगटावा एक मीटिंग के दौरान किया।
आपसी सहमति से ठेकेदारों का कहना है कि सरकार को एक्साइज पॉलिसी में कई तरह की सुविधाएं देनी चाहिए थी, लेकिन इसके विपरीत ठेकेदारों को नुक्सान पहुंचाने वाली पॉलिसी बनाई गई, जिससे विभाग को रिस्पांस नहीं मिला। अंत तक विभाग के मात्र 50 प्रतिशत ग्रुपों के लिए आवेदन हो सके। सरकार ग्रुप बढ़ाकर ठेकों की संख्या कम करती तो इससे रोजगार में बढ़ौतरी होनी तय थी, लेकिन पॉलिसी विपरीत दिशा की तरफ जाती हुई बनाई गई, जिसमें ग्रुपों का क्षेत्र व ठेके खोलने की संख्या में बेहद इजाफा किया गया। इससे प्रति ग्रुप की कीमत 30 करोड़ के करीब जा पुहंची जिससे पुराने ठेकेदारों का काम कर पाना संभव नहीं है।
बड़े ठेकेदारों ने भी पॉलिसी को नकारा
शहर के एक पुराने व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विभाग की इस पॉलिसी को बड़े ठेकेदारों ने भी नकार दिया है और वह टैंडर भरने की प्रक्रिया से गायब रहे। सरकार को उम्मीद थी कि पंजाब में दूसरे राज्यों के बड़े निवेशक आएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है।
जालंधर पंजाब का अहम जोन माना जाता है लेकिन यहां सबसे कम रिस्पांस देखने को मिला है। इसी तरह से पटियाला जोन में भी विभाग को निराशा हाथ लगी है। सरकार को तिथि बढ़ाने में अपना समय व्यर्थ करने के स्थान पर पॉलिसी में बड़े स्तर पर बदलाव करने चाहिए क्योंकि ठेकेदार काम करना चाहते हैं। अच्छी पॉलिसी होती तो टैंडर डालने को लेकर होने वाले कंपीटिशन से सरकार को बेहद लाभ अर्जित होगा, वहीं अब दर्जनों ऐसे ग्रुप हैं जिनके लिए मात्र 1 टैंडर ही आ पाया है।
ठेकेदारों को 5 जुलाई को हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार
वहीं, पटियाला जोन से संबंधित ठेकेदार संजीव कुमार सैनी व अन्य ठेकेदारों ने बताया कि हाईकोर्ट के अनुसार ठेके अलॉटमैंट करने की प्रक्रिया का फैसला 5 जुलाई को रिट पटीशन के नतीजे के अधीन होगा। ठेकेदारों ने कहा कि पंजाब के आधे से अधिक ठेकों के टैंडर नहीं हो पाए तो पॉलिसी कहां स्टैंड करती है। ठेकेदार कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे, फैसला हक में आता है और कोर्ट पंजाब सरकार को पॉलिसी पुन: बनाने का आदेश देगी है तो टैंडर भरने वाले ठेकेदारों द्वारा इन्वैस्ट किए जाने वाले करोड़ों रुपए सरकार के पास फंस जाएंगे।
हाईकोर्ट ने सी.एम. को भी एक एडीशनल नोटिस जारी किया है, जिसमें कोर्ट ने पूछा है कि उन्होंने किस कानून के अंतर्गत पॉलिसी पास कर हस्ताक्षर किए हैं। ठेकेदारों कहा कि मौजूदा हालातों को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पंजाब सरकार के पास पॉलिसी स्क्रैप करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ठेकेदारों ने बताया कि कुल 4 याचिकाएं पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में डाली गई हैं, जिसका कोर्ट ने पंजाब सरकार से 5 जुलाई तक जवाब मांगा है।
ठेकेदारों ने कहा कि एक्साइज उच्चाधिकारियों के साथ हुई बैठक में उन्होंने सवाल किया था कि पंजाब में से केवल 50 प्रतिशत से कम ठेकों के लिए टैंडर आए हैं। जो टैंडर आए हैं उन्हें ठेके कब अलॉट होंगे व ठेकेदार कब काम शुरू कर पाएंगे।
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