NGT में सुनवाई दौरान पंजाब सरकार की विश्वसनीयता पर उठे सवाल

punjabkesari.in Friday, Mar 01, 2019 - 07:50 AM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी): सतलुज-ब्यास नदी के प्रदूषण को लेकर पंजाब सरकार की विश्वसनीयता कटघरे में आ गई है। वीरवार को नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी. ) में प्रदूषण पर सबमिट हुई रिपोर्ट पर सुनवाई के दौरान मॉनीटरिंग कमेटी ने सरकारी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। इस पर ट्रिब्यूनल ने अब मॉनीटरिंग कमेटी में नए सदस्यों को शामिल करने का फैसला सुनाया है। दरअसल, मॉनीटरिंग कमेटी के सदस्यों का कहना था कि यह रिपोर्ट ऐसी कमेटी द्वारा तैयार की गई है, जिसमें सरकार के उन विभागों से जुड़े अफसर भी शामिल हैं, जिन विभागों पर प्रदूषण की रोकथाम पर सबसे अहम जिम्मा है और वे प्रदूषण रोकने में नाकाम रहे हैं।
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सतलुज-ब्यास नदी में बढ़ते प्रदूषण पर तैयार इस रिपोर्ट में जो आंकड़े दिए गए हैं, उनमें से ज्यादातर आंकड़े विभागीय अफसरों द्वारा मुहैया करवाए गए हैं। ऐसे में आंकड़ों पर विश्वास करना या न करना नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पर निर्भर करता है। ट्रिब्यूनल ने इस बात को गंभीरता से लिया। इसलिए ट्रिब्यूनल ने अब मॉनीटरिंग कमेटी के दायरे में विस्तार का फैसला सुनाया है। मॉनीटरिंग कमेटी के सदस्यों की मानें तो रिटायर्ड जस्टिस प्रितपाल सिंह को कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हालांकि बाकी सदस्यों व जिम्मेदारियों का पूरा ब्यौरा ट्रिब्यूनल द्वारा दिया जाएगा। नए सदस्यों वाली यह कमेटी 2 महीने में फाइनल रिपोर्ट का रिव्यू करेगी। साथ ही जरूरत पडऩे पर राज्य का मौका-मुआयना कर दोबारा से रिपोर्ट सबमिट करेगी।

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मॉनीटरिंग कमेटी ने पहले भी उठाया था सरकारी कार्यप्रणाली पर सवाल 
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गठित मॉनीटरिंग कमेटी ने पहले भी सरकारी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था। अक्तूबर 2018 में तैयार अंतरिम रिपोर्ट में मॉनीटरिंग कमेटी ने कहा था कि पंजाब सरकार के सरकारी कार्यालय नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश को लेकर उदासीन हैं। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मॉनीटरिंग कमेटी की पहली दो बैठकों में कई विभागों के अफसर शामिल ही नहीं हुए इसलिए वास्तविक तौर पर कार्रवाई तीसरी बैठक से शुरू हुई। कमेटी ने इस बात का जिक्र अब फाइनल रिपोर्ट में भी किया है।
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पानी की बर्बादी पर ट्रिब्यूनल सख्त 
सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने पंजाब में पानी की बर्बादी पर काफी सख्ती दिखाई। कमेटी ने बताया था कि पंजाब में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी की जरूरत से ज्यादा पानी सप्लाई किया जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश के अमूमन सीवरेज प्लांट वेस्ट वाटर के दबाव को झेल नहीं पा रहे हैं और कई सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट पानी को बाईपास कर सीधे नदी-नालों में धकेल रहे हैं, जिससे प्रदूषण की समस्या गहरा रही है। इसी कड़ी में ज्यादातर सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। 


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Anjna

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