CM द्वारा दी गई ग्रांट को फिजूलखर्ची में उड़ा रहे थे निगम के अफसर, चीफ इंजीनियर ने पकड़े कई मामले
punjabkesari.in Wednesday, Aug 02, 2023 - 12:03 PM (IST)

जालंधर : लोकसभा उपचुनाव के दिनों में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जालंधर के कई दौरे किए और उन्होंने जालंधर के विकास हेतु अपनी ओर से 50 करोड़ रुपए की ग्रांट भी जारी की ताकि जालंधर को एक मॉडल शहर के रूप में विकसित करके आगामी निगम और लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी इसे बाकी शहरों में पेश कर सके।
मुख्यमंत्री की योजनाओं को जालंधर निगम के अधिकारियों ने उस समय मिट्टी में मिलाना शुरू कर दिया जब ग्रांट के कामों में घोर लापरवाही बरतनी शुरू कर दी गई। पहली बात तो यह रही कि टैंडरिंग प्रक्रिया में ही काफी वक्त लगा दिया गया। मुख्यमंत्री की 50 करोड़ की ग्रांट से शहर में 127 काम शुरू करने बाबत टैंडर लगाए गए परंतु पहले ही चरण में 8 ऐसे काम रद्द कर दिए गए जिनकी मौके पर कोई जरूरत ही नहीं थी। 119 कामों के टैंडर जब अलॉट हुए तो उनमें से कई काम ऐसे पकड़ में आए जहां काफी फिजूलखर्ची की जा रही थी क्योंकि मौके पर कई काम ऐसे थे जिनको करवाना जरूरी नहीं था और आने वाले कई सालों तक वे काम अभी चल सकते थे।
जब इस बाबत शिकायतें चंडीगढ़ पहुंची तो वहां बैठे अधिकारियों ने फगवाड़ा के एस.ई. रविंदर चोपड़ा की ड्यूटी लगाई कि वह जालंधर जाकर ग्रांट के कामों संबंधी बने एस्टीमेटों को चैक करें और रिपोर्ट पेश करें। पता चला है कि एस.ई. चोपड़ा जालंधर आए ही नहीं जिसके बाद पंजाब सरकार ने जालंधर में बने एस्टीमेटों की जांच का काम पी.आई.डी.बी. के चीफ इंजीनियर मुकुल सोनी को सौंपा ।
श्री सोनी ने 15 दिन पहले जालंधर आकर कई कामों के मौके चैक किए और अपनी रिपोर्ट दी कि कई साइट्स ऐसी हैं जहां काम की जरूरत ही नहीं और अगर है भी तो उतनी नहीं जितना एस्टीमेट बना है। इस प्रकार श्री सोनी ने जालंधर निगम के एस्टीमेटों को चैक करके ही सरकार के करोड़ों रुपए बचाए हैं। अब देखना है कि पंजाब सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर क्या कार्रवाई करती है और गलत एस्टीमेट बनाने वाले निगम अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होती भी है या नहीं ।
इन कामों पर फिजूल में खर्च की जा रही थी सी.एम. की ग्रांट
- मिट्ठापुर रोड राम मंदिर से लेकर मिट्ठापुर स्कूल तक की सड़क का एस्टीमेट 1.72 करोड़ रुपए का बनाया गया परंतु चीफ इंजीनियर ने मौका देखकर कहा कि ज्यादातर सड़क सही हालत में है, इसलिए बी.एम. का काम छोड़कर केवल पी.सी. का काम करवाया जाए।
- लिंक रोड पर गुरु अमरदास चौक से खालसा स्कूल टी-प्वाइंट तक जाती सड़क का 1.32 करोड़ का एस्टीमेट बनाया गया परंतु वहां भी केवल पी.सी. डालने की जरूरत बताई गई ।
- भगवान परशुराम मार्ग का एस्टीमेट 1.59 करोड़ का बनाया गया परंतु वहां भी सड़क पर बी.एम. डालना चीफ इंजीनियर ने फिजूल करार दिया।
- डिफैंस कॉलोनी की सड़कों बाबत 68 लाख का एस्टीमेट तैयार किया गया परंतु वहां अभी सरफेस वाटर का काम होना है, इसलिए वह काम भी रद्द कर दिया गया ।
- आदर्श नगर पार्ट-1 में फुटपाथ बनाने हेतु 42 लाख का एस्टीमेट तैयार किया गया परंतु चीफ इंजीनियर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि कई फुटपाथ बिल्कुल ठीक हालत में हैं। उन्हें दोबारा बनाने की कोई जरूरत नहीं, केवल वही काम करवाया जाए जहां जरूरत है।
- न्यू डिफैंस कॉलोनी की 48 लाख से बनने वाली सड़कों बाबत रिपोर्ट दी गई कि वहां बी.एम. डालने की कोई जरूरत नहीं केवल पी.सी. से काम चलाया जा सकता है ।
- लोरेंगों होटल के सामने वाली सड़क का एस्टीमेट 21 लाख का तैयार किया गया परंतु वहां भी केवल प्रीमिक्स डालने को कहा गया।
- चौगिट्टी में सीमैंट की सड़कों के निर्माण का एस्टीमेट 36 लाख रुपए का बनाया गया परंतु वहां भी सड़क सही हालत में मिली। केवल खराब हिस्से पर ही सड़क बनाने को कहा गया ।
- अड्डा होशियारपुर से रेलवे क्रॉसिंग तक सीमैंट की सड़क सरफेस वाटर के काम के बाद बनाने को कहा गया। लंबा पिंड गुरुद्वारे के निकट की गलियां बिल्कुल ठीक हालत में होने के कारण उन पर काम न करवाने संबंधी रिपोर्ट दी गई।
- माडल हाऊस तारां वाली गली में भी केवल सड़क पर प्रीमिक्स डालने का सुझाव दिया गया। दशमेश नगर की गलियों बाबत 45 लाख के एस्टीमेट पर रिपोर्ट दी गई कि फौजी वाली गली बिल्कुल ठीक हालत में है, उसे बिल्कुल न बनाया जाए और बाकी हिस्सों में भी अच्छी-भली सड़क को छोड़ दिया जाए।
आऊटसोर्स आधार पर काम कर रहे हैं ज्यादातर जे.ई., कुछ नहीं बिगाड़ सकते निगम के अफसर
इस समय जालंधर निगम में ज्यादातर जे.ई. आऊटसोर्स आधार पर काम कर रहे हैं, इसलिए जालंधर निगम के अधिकारी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाते। ऐसे कई एस्टीमेट सामने आ चुके हैं जो बिल्कुल फिजूलखर्ची वाले बनाए गए परंतु तब भी किसी जे.ई. को जवाबदेह नहीं बनाया गया।
खास बात यह है कि ज्यादातर जे.ई. सिफारशी आधार पर भर्ती हैं, इसलिए जालंधर निगम में खूब मनमर्जी चल रही है और साइट पर गए बिना ही ज्यादातर एस्टीमेट तैयार हो रहे हैं जिनका सीधा फायदा ठेकेदारों को मिलता है और सरकारी खजाने को भारी चूना लगता है।
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