Operation amritpal singh: कम बजट की फ्लॉप Gangster Movie, बहुरूपिया बन भागा-भागा फिर रहा

punjabkesari.in Wednesday, Mar 29, 2023 - 08:50 AM (IST)

पंजाब डेस्कः भगौड़ा अमृतपाल सिंह किसी भी परिभाषा से एक गैंगस्टर के समान है। वह किसी भी तरह एक धर्मप्रचारक नहीं कहा जा सकता। उसका तथाकथित आंदोलन फ्लॉप हो गया है।  अमृतपाल की कहानी एक कम बजट की गैंगस्टर फिल्म की तरह चल रही है जिसमें अमृतपाल और उसके दोस्तों पर आई.एस.आई. द्वारा आपूर्ति किए गए हथियार रखने और इकट्ठा करने का आरोप है। उस पर आनंदपुर खालसा फौज (ए.के.एफ.) नामक एक ‘निजी मिलिशिया’ बनाने के लिए अपने नशामुक्ति केंद्रोंं से युवाओं को भर्ती करने का भी आरोप है।

लग्जरी कारों के काफिले के साथ भीड़ का आकर्षक नेता बनने के बजाय अमृतपाल अब एक अपराधी के रूप में कभी किसी मोटरसाइकिल पर तो कभी किसी मोटर रेहड़े पर भागता दिख रहा है। पूर्व अलगाववादी नेता जसवंत सिंह ठेकेदार ने हाल ही में खालिस्तान समर्थकों के विरोध की इस नई लहर के पीछे पाकिस्तान की भूमिका होने का दावा करते हुए कहा था कि ‘इस लहर में कोई सिख शामिल नहीं है।’ अमृतपाल का सिख्स फॉर जस्टिस (एस.एफ.जे.) और नामित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू से संबंध भी अब सार्वजनिक हो गया है। ‘वारिस पंजाब दे’ या सिख्स फॉर जस्टिस’ जैसे संगठन भारत में पंजाब पर दावा कर रहे हैं परंतु पाकिस्तान के संबंध में वे अपने मुंह सिले रहते हैं, भले ही सिखों के सबसे पवित्र तीर्थस्थल जैसे ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब पाकिस्तान में स्थित हैं।अमृतपाल सिंह इस समय गिरफ्तारी से बच रहा है पर जितना अधिक समय वह लोगों की नजरों से दूर रहेगा, पंजाब की शांति  के लिए उतना ही अच्छा होगा। संभावना है कि जिस प्रकार वह अचानक प्रकट हुआ था, उसी प्रकार गायब भी हो जाएगा। 

अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन  और आस्टे्रलिया के लिए ही भस्मासुर बनेंगे अलगाववादी
अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के नाम पर पन्नू जैसे अलगाववादियों को अन्य देशों में अशांति पैदा करने के लिए अपनी भूमि का उपयोग करने की अनुमति दे रहे हैं। पश्चिमी देश यह सच्चाई स्वीकार करने से इंकार कर रह हैं कि अलगाववादी आंदोलन उन बहुसंख्यक सिखों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है जो भारत को अपना घर कहते हैं और यह केवल कुछ विदेशी अलगाववादियों के गिरोह तक सीमित है जिन्हें भारत से कुछ शिकायतें हैं जिनका बहुत आधार नहीं है। ये अलगाववादी एक दिन स्वयं इन देशों के लिए ही भस्मासुर बनेंगे क्योंकि ये इनके नागरिक हैं।


अलगाववादियों व पश्चिमी देशों से ऐसे कड़ाई से निपटे भारत
1. भारत ने कड़ा निर्णय लेते हुए दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग से सुरक्षा हटा ली जिसके बाद ब्रिटेन को लंदन में भारतीय उ‘चायोग को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विवश होना पड़ा। अलगाववादी संगठनों से ‘सहानुभूति’ रखने वाले सभी देशों से इसी ढंग से निपटना चाहिए।
2. भारत को अपने उ‘चायोगों और वाणि’य दूतावासों में आत्मरक्षा के लिए अपने स्वयं के अद्र्धसैनिक बल रखने चाहिएं।
&. भारत-विरोधी ङ्क्षहसा में शामिल अलगाववादियों के नाम, फोटो और पता की जानकारी लेकर उनका प्रत्यर्पण कराना चाहिए।
4. ङ्क्षहसा में शामिल अलगाववादियों के ओ.सी.आई. कार्ड रद्द करने चाहिएं।


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Vatika

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