ऑप्रेशन ब्लू स्टॉर का मुद्दा फिर गरमाया, पी. चिदंबरम के बयान पर पंजाब में बैकफुट पर पार्टी

punjabkesari.in Tuesday, Oct 14, 2025 - 10:33 AM (IST)

पठानकोट (शारदा): तरनतारन उप चुनाव की नोटीफिकेशन सोमवार को हो गई और नॉमीनेशन का काम शुरू हुआ है। सभी राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी घोषित करके अपने राजनीतिक पत्ते पहले खोल दिए। वहीं ऑप्रेशन ब्लू स्टॉर का मुद्दा पुन: उछला है, जिसमें कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं ने पंजाब में पार्टी की स्थिति विकट कर दी है, जिससे विरोधियों को एक बड़ा अवसर मिल गय है।

सत्तापक्ष पूरी तन्मयता से हमेशा की तरह यह चुनाव इस बार भी लड़ रहा है। अकाली दल और भाजपा अपने अस्तित्व का संघर्ष कर रहे हैं और गर्मदलिए पुन: 2024 को लोकसभा चुनाव की परफोरमेंस को रिपीट करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। ऐसे में 2027 के मद्देनजर कांग्रेस की परफोरमेंस को लेकर सबकी नजरें टिकी हुई हैं पर कांग्रेस के बारे में कहते हैं कि दुश्मन उनका नुकसान नहीं करते जितना वे खुद कर लेते हैं।

तरनतारन चुनावों में भी ऐसी स्थिति बन रही है। पार्टी ने जिस स्थानीय कैंडिडेट को टिकट दी, अचानक टिकट बदलने के प्रचार को हवा दे दी, जिससे स्थिति विकट हो गई और स्थानीय लीडरशिप भी चिंतित नजर आई। अब कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता पी. चिदंबरम ने कसौली में दिए इंटरव्यू में ऑप्रेशन ब्लू स्टॉर पर ऐसी अनावश्यक टिपणी की कि पूरे पंजाब में कांग्रेस कटघरे में खड़ी हो गई है।

विपक्षी दलों के पास एक ऐसा हथियार आ गया है कि वे इसको अगले एक माह छोड़ेंगे नहीं और गर्मदलियों की तो इस बयान के बाद लॉटरी निकल सकती है। कहते हैं कि कांग्रेस में नेताओं को बोलने की पूरी आजादी है पर इससे अपनी ही पार्टी का नुकसान करना कहां की समझदारी है। चिदंबरम ने कहा कि 1984 में स्वर्ण मंदिर में ऑप्रेशन ब्लू स्टॉर का तरीका सही नहीं था, जिसकी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जान देकर कीमत चुकानी पड़ी।

इस टिपणी से अगर चिदंबरम बच जाते तो कांग्रेस के लिए अच्छा होता। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने हाईकमान को संदेश भेजा है कि अगर पुराने नेताओं को इग्नोर किया गया तो यथास्थिति नेतृत्व को परेशानी आनी संभावित है। ऐसा ही वक्तव्य उन्होंने 26/11 के बाद आतंकी हमले के संबंध में दिया था और कहा था कि बाहरी दबाव के कारण विशेषकर अमरीका के प्रभाव के चलते पाकिस्तान पर एक्शन नहीं हुआ। इससे भी सरेंडर की जो स्थिति बनी, उससे कांग्रेस की काफी जगहंसाई हुई। अब जबकि मात्र इस चुनाव में एक माह शेष है, अगली 11 नवम्बर को वोटिंग होनी है तो यह ब्लू स्टॉर का वक्तव्य कांग्रेस के गले की फांस बन सकता है।

स्थानीय नेतृत्व तरनतारन में अपना पसीना बहा रहा है और इस बात का प्रयास कर रहा है कि पंजाब में जनता का प्रभाव एवं झुकाव कांग्रेस की तरफ बन रहा है, उसके स्वरूप तरनतारन में कांग्रेस ऐसी परफोरमैंस दे कि वर्करों में जोश आ जाए, परंतु ऐसा लगता है कि कांग्रेस हाईकमान के नेता ही पंजाब में कांग्रेस की स्थिति को विकट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

बिट्टू की 117 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा से मिले कई संकेत

रेलवे राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने आज घोषणा की कि भाजपा 117 सीटों पर खुद चुनाव लड़ेगी और अकाली दल से गठबंधन का कोई तुक नहीं बनता, क्योंकि अकाली दल बेअदबियों के कारण सिख जगत में अपनी प्रतिष्ठा खो चुका है, ऐसी स्थिति में भाजपा को उनसे क्यों जुड़ना चाहिए। गठबंधन की स्थिति में भाजपा जनता को संतुष्ट कैसे करेगी। इसका अभिप्राय यह है कि जिस गठबंधन के एजैंडे को कैप्टन अमरेन्द्र सिंह एवं प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ चला रहे थे कि अकाली दल का मजबूत होना प्रदेश हित में है और भाजपा का उसके साथ गठबंधन होना चाहिए, वो स्थिति अब धीरे-धीरे हाथ से निकलती जा रही है, जिससे ‘आप’ व कांग्रेस के चेहरे खिलने स्वाभाविक है। इसका एक कारण और भी है कि अभी भी भाजपा को यह नहीं लगता कि सुखबीर बादल के नेतृत्व में अकाली दल में राजनीतिक जान पड़ रही है और वह अपने वोट बैंक को अपनी ओर अकर्षित करने में सफल हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में मात्र 1 वर्ष में भाजपा अपने आप को 117 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कैसे कार्य कर पाएगी, इस पर सभी की नजरें रहेंगी। अगर 4 कोणीय मुकाबला बनता है, जिसमें कांग्रेस, ‘आप’, अकाली दल और भाजपा होंगे तो परिणाम को लेकर संशय बना रहेगा, चाहे जितनी मर्जी एंटीइन्कंबैसी हो। गर्मदलिए भी अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में अपनी राजनीति करेंगे, उससे भी कई प्रकार के समीकरण बिगड़ेंगे।

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News Editor

Kalash

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