''भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को जलाने पर माफी मांगे गुरपतवंत सिंह पन्नू''

punjabkesari.in Friday, May 22, 2020 - 11:31 AM (IST)

जालंधर(विशेष): पंजाब फाऊंडेशन, सिलिकॉन वैली, कैलिफोर्निया के चेयरमैन सुक्खी चाहल ने पंजाब में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले प्रतिबंधित सिख्स फॉर जस्टिस के कानूनी सलाहकार और खालिस्तान कट्टर समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू को एक बार फिर आड़े हाथों लेते हुए उसे गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज जलाने पर माफी मांगने को कहा है। 

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सिख्स फॉर जस्टिस को गैर कानूनी घोषित करते हुए इस संगठन पर पांच वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। गृह मंत्रालय के अनुसार यह संगठन खालिस्तान के नाम पर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हुए पंजाब का माहौल बिगाड़ रहा है। सुक्खी चाहल ने कहा है कि वह जीवन के सभी क्षेत्रों से कई प्रमुख हस्तियों से मिले भारी समर्थन के लिए बहुत आभारी हूं, विशेषकर बाबा साहेब बी.आर. अंबेडकर जी के अनुयायियों का, जिन्होंने उनके ट्वीट की प्रतिक्रिया में बाबा साहेब द्वारा लिखित भारतीय संविधान की प्रतियां जलाने के लिए जिम्मेदार लोगों की निंदा की है। उन्होंने नम्रता सहित कहा कि मैंने अपने आज के ट्वीट के परिणामस्वरूप कुछ शोध किए हैं।

इन सात सवालों के जवाब मांगे पन्नू से
1.
क्या गरपतवंत सिंह पन्नू इतना भोला है कि वह भारतीय ध्वज में बाबा साहेब के उपर्युक्त अमूल्य योगदान को नहीं जानता है?
2. वह भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को जलाने और अपमान करने के अलावा लोगों को भी राष्ट्रीय ध्वज जलाने और अपमान करने के लिए क्यों भड़काता है?  
3.
क्या वह नहीं जानता है कि उसके इस तरह के जानबूझकर किए गए कृत्य से बाबा साहेब, जोकि झंडा समिति में गर्व से हमारा प्रतिनिधित्व करते हैं, 
के अनुयायियों सहित भारतीयों के गौरव को ठेस पहुंचेगी?
4. क्या वह नहीं जानता कि भारतीय ध्वज को जलाने की उसकी शरारती और बार-बार की गई हरकत को उस नीले रंग के अपमान के रूप में देखा जाता है, जो बाबा साहेब का पसंदीदा था?
5. इसलिए मैं पन्नू से बिना शर्त लिखित माफी की मांग करता हूं, जो भारत के राष्ट्रीय ध्वज को जलाने के अपने शैतानी कृत्य के लिए हमारे श्रद्धेय बाबा साहेब के प्रति उनके सम्मान और समाज के लिए उनके अविश्वसनीय योगदान को प्रदर्शित करता है।
6. मैं पन्नू से लिखित प्रतिज्ञा लेने की भी दृढ़ता से मांग करता हूं कि वह कभी भी किसी भी प्रकार से भारतीय ध्वज का अनादर करने की हिम्मत नहीं करेगा या अपने समर्थकों को ऐसा करने की अनुमति नहीं देगा।
7. यदि वह उपर्युक्त दो पश्चाताप उपाय करने में विफल रहता है तो उसे मेरे जैसे लोगों द्वारा बाबा साहेब के प्रति अपनी निष्ठा का त्याग करने के बाद बड़े शांतिपूर्ण और अहिंसक विरोध और प्रदर्शनों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
 

दलित संगठनों में आक्रोश : संविधान और राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बर्दाश्त नहीं 
बाबा साहेब बी.आर. अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान की प्रति जलाए जाने पर दलित संगठनों व दलित नेताओं में रोष व्याप्त है। दलित नेताओं का कहना है कि भारतीय संविधान की प्रतियों को जलाए जाने की आज्ञा किसी को नहीं दी जाएगा तथा न ही इसे बर्दाश्त किया जाएगा। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि लॉकडाऊन के बाद सिख्स फॉर जस्टिस और उसके कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह के खिलाफ धरने प्रदर्शन किए जाएंगे तथा पन्नू के पुतले फूंके जाएंगे। उन्होंने कहा कि दलित वर्ग किसी भी व्यक्ति या संगठन के प्रलोभन में आना वाला नहीं है। 


राष्ट्रीय ध्वज डॉ. बी.आर. अंबेडकर के विजन और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है
सुक्खी चाहल ने अपने ट्वीट में कहा कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज डॉ. बी.आर. अंबेडकर के दर्शन(विजन) और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। बाबा साहेब 23 जून 1947 को गठित की गई झंडा समिति के सदस्य थे, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को चुना था। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के केंद्र में नीले रंग के अशोक चक्र को चुना, जो बौद्ध धर्म के साथ भारत के मजबूत बंधन को भी दर्शाता है। डॉ. बी.आर. अंबेडकर साहेब का पसंदीदा रंग होने के अलावा, 1942 में अंबेडकर शैड्यूल्ड कास्ट फैडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किए गए पार्टी के झंडे का रंग भी नीला था। बाबा साहेब भी अपने निजी जीवन में ज्यादातर नीले रंग का इस्तेमाल करते थे।वहीं आकाश का रंग भी नीला है, जो विशालता को दर्शाता है और यह बाबा साहेब का दर्शन था तथा बाबा साहेब की प्रतिमाओं को हमेशा नीले कोट में देखा जाता है।

कोई भी देश ऐसे कृत्य की आज्ञा नहीं देता : बंगड़ 
दलित नेता टेक चंद बंगड़ ने सिख्स फॉर जस्टिस और उसकी समान विचारधारा वाले संगठनों की इस कृत्य के लिए कड़ी ङ्क्षनदा करते हुए कहा कि कोई भी देश उसके संविधान को जलाए जाने की आज्ञा नहीं देता है। भारतीय  संविधान के जिस आर्टीकल की धारा को लेकर संविधान की प्रतियां जलाई गई हैं उसी में सिखों को अलग पहचान दी गई है।  संविधान की प्रतियां जलाना कतई बर्दाश्त नहीं होगा। जरूरत पड़ी तो सिख्स फॉर जस्टिस के विरोध में धरने प्रदर्शन भी किए जाएंगे। 


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