सियासत के "बाबा बोहड़" पहली बार अकाली दल नहीं इस पार्टी की टिकट पर बने थे विधायक, ऐसे की राजनीति में Entry

punjabkesari.in Thursday, Apr 27, 2023 - 09:23 AM (IST)

पंजाब डेस्कः सबसे युवा व सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल ने मंगलवार को अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ ही पंजाब की राजनीति का एक बुलंद सितारा अस्त हो गया। स्व. बादल उन बिरले राजनेताओं में हैं, जिन्होंने शासन की कमान ‘राज नहीं सेवा’ के मंत्र को मुख्य रख कर संभाली। 95 साल की उम्र तक सियासत में सक्रिय रहने के कारण उन्हें राजनीति का बाबा बोहड़ (दिग्गज) कहा जाता था। 

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बताया जाता है कि वह प्रशासनिक अफसर बनना चाहते थे लेकिन अकाली नेता ज्ञानी करतार सिंह से प्रभावित होकर वह राजनीति में आ गए।  उन्होंने 1947 में अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत गांव के सरपंच के रूप में की। वह दशकों तक पंजाब की राजनीति का अहम चेहरा बने रहे। प्रकाश सिंह बादल ने अपना पहला विधानसभा चुनाव साल 1957 में कांग्रेस की टिकट पर जीता था। लेकिन कांग्रेस में मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के साथ बादल की अनबन शुरू हो गई और उन्होंने पार्टी को छोड़ दिया। 

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1967 में वह अकाली दल से चुनाव लड़े और हार गए लेकिन इसके बाद उन्होंने 1969 में चुनाव लड़ा और जीता। 1970 में वह पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए, तब वह 43 साल के पंजाब के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। प्रकाश सिंह बादल ने कुल 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री की शपथ ली।उनके नाम एक अनोखा रिकॉर्ड भी रहा, जहां एक तरफ वह पंजाब के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने तो वहीं जब साल 2017 में उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में 5वां कार्यकाल पूरा किया तो 90 साल की उम्र के वह सबसे बुजुर्ग मुख्यमंत्री भी रहे।

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बता दें कि 2007 से लेकर 2017 तक लगातार दस साल तक शासन कर इतिहास रचा। उधर, सिख धर्म के प्रचार-प्रसार में बहुमूल्य योगदान के लिए प्रकाश सिंह बादल को पंथ रतन फख्र-ए-कौम के सम्मान से नवाजा गया। श्री अकाल तख्त साहिब ने दिसम्बर 2011 में प्रकाश सिंह बादल को इस सम्मान के साथ नवाजा था।
 


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Vatika

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